ISRO ने 100वें मिशन को दी सफल उड़ान, GSLV-F15 से NVS-02 लॉन्च

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने अपने ऐतिहासिक 100वें मिशन को सफलतापूर्वक अंजाम दिया। इस मिशन में GSLV-F15 रॉकेट से NVS-02 सैटेलाइट को लॉन्च किया गया। यह इसरो के नए अध्यक्ष वी नारायणन के कार्यकाल का पहला मिशन था।

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Siddhi Tamrakar
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भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने एक और उपलब्धि अपने नाम करते हुए 100वें मिशन को सफलतापूर्वक पूरा किया। बुधवार सुबह 6:23 बजे श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से GSLV-F15 रॉकेट द्वारा NVS-02 सैटेलाइट को ऑर्बिट में स्थापित किया गया। यह इसरो के लिए एक खास उपलब्धि है, क्योंकि यह मिशन भारत के स्वदेशी नेविगेशन सिस्टम को और ज्यादा विकसित बनाएगा।

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नए अध्यक्ष वी नारायणन का पहला मिशन 

इसरो के नए अध्यक्ष वी नारायणन के नेतृत्व में यह पहला बड़ा मिशन था। उन्होंने 13 जनवरी 2025 को इसरो प्रमुख का कार्यभार संभाला था। उनकी अध्यक्षता में यह इसरो का पहला और वर्ष 2025 का पहला मिशन भी है। इससे पहले, इसरो ने 30 दिसंबर 2024 को अंतरिक्ष डॉकिंग प्रयोग को सफलतापूर्वक लॉन्च किया था, जो कि एजेंसी का 99वां मिशन था।  

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NAVIC सिस्टम को और मजबूत करेगा NVS-02

NVS-02 सैटेलाइट भारतीय क्षेत्र के साथ-साथ आसपास के 1,500 किमी तक के क्षेत्रों को सटीक नेविगेशन सेवाएं प्रदान करने के लिए डिजाइन किया गया है। यह नाविक (NAVIC) प्रणाली का हिस्सा है, जिसे "नेविगेशन विद इंडियन कॉन्स्टेलेशन" के नाम से भी जाना जाता है।

NAVIC भारतीय क्षेत्रीय नेविगेशन प्रणाली (IRNSS) है, जो अमेरिका के GPS की तरह एक स्वतंत्र और स्वदेशी नेविगेशन सिस्टम प्रदान करती है। इसरो का यह प्रयास भारत को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में एक और बड़ा कदम है।  

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दूसरी पीढ़ी के सैटेलाइट्स का विस्तार

इसरो की योजना के तहत, NAVIC प्रणाली में पांच दूसरी पीढ़ी के सैटेलाइट्स शामिल किए जा रहे हैं। इन सैटेलाइटों में NVS-01, NVS-02, NVS-03, NVS-04 और NVS-05 शामिल हैं। यह नई पीढ़ी के सैटेलाइट NAVIC बेस लेयर कॉन्स्टेलेशन को ज्यादा विकसित सुविधाओं के साथ अपग्रेड करने में मदद करेंगे, जिससे सेवाओं की निरंतरता सुनिश्चित की जा सके।

पहला नेविगेशन सैटेलाइट NVS-01 को 29 मई 2023 को लॉन्च किया गया था। अब NVS-02 की सफल लॉन्चिंग के बाद, इसरो अपनी अगली योजनाओं की ओर तेजी से बढ़ रहा है।  

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2250 किलोग्राम वजनी सैटेलाइट से मिलेगी हाई-टेक सुविधाएं

इसरो के अनुसार, NVS-02 का वजन लगभग 2 हजार 250 किलोग्राम है। इसे यूआर राव सैटेलाइट सेंटर द्वारा डिजाइन और विकसित किया गया है। इसमें कई नई तकनीकों का इस्तेमाल किया गया है, जिसमें L1, L5 और S-बैंड में नेविगेशन पेलोड तथा C-बैंड में रेंजिंग पेलोड शामिल है। ये तकनीकें इसे पहले लॉन्च किए गए NVS-01 सैटेलाइट के समान बनाती हैं, लेकिन इसमें बेहतर विशेषताएं भी जोड़ी गई हैं।  

FAQ

1. इसरो का 100वां मिशन कौन सा था?
इसरो का 100वां मिशन GSLV-F15 रॉकेट द्वारा NVS-02 उपग्रह का सफल प्रक्षेपण था।
2. NVS-02 उपग्रह का मुख्य उद्देश्य क्या है?
NVS-02 भारतीय उपमहाद्वीप में नेविगेशन, समय और वेग सेवाएं प्रदान करने के लिए डिजाइन किया गया है।
3. NAVIC प्रणाली क्या है?
NAVIC (Navigation with Indian Constellation) भारत का स्वदेशी नेविगेशन सिस्टम है, जो GPS की तरह काम करता है।
4. इसरो के नए अध्यक्ष कौन हैं?
इसरो के नए अध्यक्ष वी नारायणन हैं, जिन्होंने 13 जनवरी 2025 को कार्यभार संभाला।
5. इसरो का अगला मिशन क्या होगा?
इसरो अपनी NAVIC प्रणाली को और सुदृढ़ करने के लिए नई पीढ़ी के उपग्रहों को लॉन्च करने की योजना बना रहा है।

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