SRIHARIKOTA. IRSO ने चंद्रयान-3 की लॉन्चिंग की रिहर्सल पूरी कर ली है। ये रिहर्सल 24 घंटे चलती है। इसमें श्रीहरिकोटा के लॉन्च सेंटर से लेकर अन्य जगहों के सभी केंद्र, टेलिमेट्री सेंटर और कम्युनिकेशन यूनिट्स की तैयारियों का जायजा लेते हैं। पूरा माहौल एकदम लॉन्च के वक्त जैसा होता है। सिर्फ रॉकेट को लॉन्च नहीं करते हैं। ऐसा इसलिए किया जाता है कि सभी सेंटर्स को उनका काम और उससे जुड़ा क्रम याद रह सके।
10 चरणों में चांद तक पहुंचेगा चंद्रयान-3
पहला चरण
पहले चरण में धरती पर होने वाले काम आते हैं। इसमें 3 स्टेज होती हैं। पहला लॉन्च से पहले का स्टेज। दूसरा लॉन्च और रॉकेट को अंतरिक्ष तक ले जाना और तीसरा धरती की अलग-अलग कक्षाओं में चंद्रयान-3 को आगे बढ़ाना। इस दौरान चंद्रयान-3 धरती के चारों ओर करीब 6 चक्कर लगाएगा। फिर वो धरती के दूसरे फेज की तरफ बढ़ जाएगा।
दूसरा चरण
दूसरा चरण लूनर ट्रांसफर फेज यानी चंद्रमा की तरफ भेजने का काम। इस फेज में ट्रैजेक्टरी का ट्रांसफर होता है। यानी स्पेसक्राफ्ट लंबे से सोलर ऑर्बिट से होते हुए चंद्रमा की ओर बढ़ने लगता है।
तीसरा चरण
तीसरे चरण में लूनर ऑर्बिट इंसर्सन फेज (LOI) यानी चांद की कक्षा में चंद्रयान-3 को भेजा जाएगा।
चौथा चरण
चौथे चरण में 7 से 8 बार ऑर्बिट मैन्यूवर करके चंद्रयान-3 चंद्रमा की सतह से 100 किलोमीटर ऊंची कक्षा में चक्कर लगाना शुरू करेगा।
पांचवां चरण
पांचवें चरण में प्रोपल्शन मॉड्यूल और लूनर मॉड्यूल एक-दूसरे से अलग हो जाएंगे।
छठवां चरण
छठवें चरण में डी-बूस्ट फेज यानी जिस दिशा में जा रहे हैं, उसमें गति को कम किया जाएगा।
सातवां चरण
सातवें चरण में प्री-लैंडिंग फेज यानी लैंडिंग से ठीक पहले की स्थिति जांची जाएगी और लैंडिंग की तैयारी शुरू की जाएगी।
आठवां चरण
आठवें चरण में लैंडिंग कराई जाएगी।
नौवां चरण
नौवें चरण में लैंडर और रोवर चंद्रमा की सतह पर पहुंचकर सामान्य हो रहे होंगे।
दसवां चरण
दसवें चरण में प्रोपल्शन मॉड्यूल का चंद्रमा की 100 किलोमीटर की कक्षा में वापस पहुंचना।
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लैंडर को चांद पर पहुंचने में लगेंगे 45 से 50 दिन
14 जुलाई 2023 को लॉन्चिंग से लेकर लैंडर और रोवर के चांद की सतह पर उतरने में करीब 45 से 50 दिन का वक्त लगेगा। 14 जुलाई को दोपहर 2 बजकर 35 मिनट पर चंद्रयान-3 को लॉन्च किया जाएगा।