इसरो के सबसे छोटे SSLV रॉकेट की कामयाब लॉन्चिंग, अब सस्ते में सैटेलाइट ले जाने का रास्ता साफ, बड़े और महंगे रॉकेट से मिलेगी मुक्ति

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Atul Tiwari
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इसरो के सबसे छोटे SSLV रॉकेट की कामयाब लॉन्चिंग, अब सस्ते में सैटेलाइट ले जाने का रास्ता साफ, बड़े और महंगे रॉकेट से मिलेगी मुक्ति

HYDERABAD. भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने 10 फरवरी को अपने नए और सबसे छोटे रॉकेट SSLV-D2 (Small Sataellite Launch Vehicle) की लॉन्चिंग की। आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा में सतीश धवन स्पेस सेंटर से यह लॉन्चिंग की गई। यही नहीं, एसएसएलवी-डी2 ने सफलतापूर्वक तीनों सैटेलाइट्स को पृथ्वी की निचली कक्षा में स्थापित कर दिया। इसरो चीफ एस सोमनाथ ने तीनों सैटेलाइट को ऑर्बिट में सही जगह पहुंचाने के लिए टीमों को बधाई दी। उन्होंने कहा कि एसएसएलवी-डी1 के दौरान जब दिक्कतें आईं, हमने उनका एनालिसिस किया और जरूरी कदम उठाए और यह सुनिश्चित किया कि इस बार लॉन्चिंग सफल रहे।



छोटे रॉकेट से अंतरिक्ष में सैटेलाइट भेजने का खर्च 100 करोड़ कम हो जाएगा



इसरो का ये छोटा रॉकेट SSLV-D2 कई मायने में खास है। इससे सस्ते में अंतरिक्ष में सैटेलाइट भेजे जाने का रास्ता साफ हो सकेगा। SSLV की जरूरत इसलिए पड़ी क्योंकि छोटे सैटेलाइट्स को लॉन्च करने के लिए पीएसएलवी के बनने का इंतजार करना पड़ता था, वो महंगा भी पड़ता था। उन्हें बड़े सैटेलाइट्स के साथ असेंबल करके भेजना होता था। इंटरनेशनल लेवल पर छोटे सैटेलाइट्स काफी ज्यादा आ रहे हैं। उनकी लॉन्चिंग का बाजार बढ़ रहा है। इसलिए इसरो ने यह रॉकेट बनाया। SSLV रॉकेट के एक यूनिट पर 30 करोड़ रुपए का खर्च आएगा, जबकि PSLV पर 130 से 200 करोड़ रुपए आता है।



SSLV का किसमें होगा इस्तेमाल



एसएसएलवी का इस्तेमाल छोटे सैटेलाइट्स की लॉन्चिंग के लिए होता है। यह एक स्मॉल-लिफ्ट लॉन्च व्हीकल है। इसके जरिए धरती की निचली कक्षा में 500 किलो तक के सैटेलाइट्स को निचली कक्षा यानी 500 किलोमीटर से नीचे या फिर 300 किलोग्राम के सैटेलाइट्स को सन सिंक्रोनस ऑर्बिट में भेज सकते हैं। इस ऑर्बिट की ऊंचाई 500 KM के ऊपर होती है।



धरती से 450 किमी दूर अंतरिक्ष में स्थापित किए गए सैटेलाइट्स



एसएसएलवी-डी2 ने अपने साथ तीन सैटेलाइट लेकर अंतरिक्ष की उड़ान भरी, जिनमें अमेरिकी की कंपनी अंतारिस की सैटेलाइट Janus-1, चेन्नई के स्पेस स्टार्टअप स्पेसकिड्ज की सैटेलाइट AzaadiSAT-2 और इसरो की सैटेलाइट EOS-07 शामिल थी। ये तीनों सैटेलाइट्स 450 किलोमीटर दूर सर्कुलर ऑर्बिट में स्थापित किए गए। 




— ANI (@ANI) February 10, 2023



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