'ये जरूरी नहीं कि चुनाव आयोग तभी स्वतंत्र होगा,जब पैनल में सीजेआई हों'

चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति को लेकर बनाए गए कानून पर सुप्रीम कोर्ट सुनवाई कर रहा है। केंद्र ने साफ कर दिया है कि चयन समिति में सीजेआई के शामिल होने पर ही चुनाव आयोग की स्वतंत्रता मानी जाएगी, ऐसा जरूरी नहीं है।

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Marut raj
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It is not necessary that the Election Commission will be independent only when the CJI is in the panel द सूत्र the sootr
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भोपाल. चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति वाले कानून को लेकर केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में अपना जवाब पेश कर दिया है। केंद्र सरकार की ओर से दायर हलफनामे में बताया गया है कि ये जरूरी नहीं है कि आयोग तभी स्वतंत्र होगा, जब पैनल में सीजेआई हों। केंद्र सरकार ने कहा कि यह दलील गलत है कि आयोग की स्वतंत्रता तभी होगी, जब सिलेक्शन पैनल में सीजेआई ( CJI ) या कोई न्यायिक व्यक्ति जुड़े। इलेक्शन कमीशन एक स्वतंत्र संस्था है। इस याचिका का मकसद सिर्फ राजनीतिक विवाद को खड़ा करना है।

क्या है मामला

पिछले साल 2 मार्च  को मुख्य चुनाव आयुक्त और चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति पर सुप्रीम कोर्ट ने एक ऐतिहासिक फैसला सुनाया था। कोर्ट ने आदेश दिया कि चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति एक पैनल करेगा। इसमें प्रधानमंत्री, लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष और CJI शामिल होंगे। इससे पहले सिर्फ केंद्र सरकार इनका चयन करती थी। 5 सदस्यीय बेंच ने कहा कि ये कमेटी नामों की सिफारिश राष्ट्रपति को करेगी। इसके बाद राष्ट्रपति मुहर लगाएंगे। सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में साफ कहा था कि यह प्रोसेस तब तक लागू रहेगी, जब तक संसद चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति को लेकर कोई कानून नहीं बना लेती।

संसद में पास कानून को चुनौती

सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद केंद्र सरकार पिछले साल मानसून सत्र में चुनाव आयोग में मुख्य चुनाव आयुक्त ( Election Commission ) ( CEC ) और अन्य चुनाव आयुक्तों ( EC) बिल, 2023 लेकर आई। इस बिल के तहत चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति तीन सदस्यों का पैनल करेगा। इसमें प्रधानमंत्री, लोकसभा में विपक्ष का नेता और एक कैबिनेट मंत्री शामिल होंगे। बिल में CJI को बाहर कर दिया गया था। दिसंबर में शीतकालीन सत्र के दौरान यह बिल दोनों सदनों में पास हो गया। अब इस कानून को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है।

चुनाव आयोग मुख्य चुनाव आयुक्त