UCC पर जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने तैयार की अपनी राय, 4 जुलाई को लॉ कमीशन को भेजेगा, जानें क्या लिखा है रिपोर्ट में?

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Pratibha Rana
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UCC पर जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने तैयार की अपनी राय, 4 जुलाई को लॉ कमीशन को भेजेगा, जानें क्या लिखा है रिपोर्ट में?

New Delhi. लोकसभा चुनाव से पहले यूनिफॉर्म सिविल कोड (UCC) को लेकर देश में हलचल तेज है। मुस्लिम संगठन जमीयत उलेमा-ए-हिंद इसका खुलकर विरोध कर रहा है। जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने इसे लेकर अब अपनी राय तैयार की है, जिसे मंगलवार (4 जुलाई) को लॉ कमीशन को भेजा जाएगा। इसमें कहा गया है कि यूनिफॉर्म सिविल कोड मजहब से टकराता है। ऐसे में लॉ कमीशन को चाहिए कि वो सभी धर्मों के जिम्मेदार लोगों से बुलाकर बात करें और समन्वय स्थापित करें। मौलाना अरशद मदनी की जमीयत अपनी राय में बताएगी कि कोई भी ऐसा कानून जो शरीयत के खिलाफ हो, मुसलमान उसे मंजूर नहीं करेंगे। इसमें कहा गया है कि मुसलमान सब कुछ बर्दाश्त कर सकता है लेकिन अपनी शरीयत के खिलाफ नहीं जा सकता।



संविधान में मिली धर्म के पालन की आजादी के खिलाफ है UCC 



सोमवार (3 जुलाई) को इंडिया टीवी की रिपोर्ट के अनुसार, जमीयत उलेमा-ए-हिंद ने अपनी राय में कहा कि यूनिफॉर्म सिविल कोड (UCC) भारतीय संविधान में मिली धर्म के पालन की आजादी के खिलाफ है, क्योंकि यह संविधान में नागरिकों को धारा 25 में दी गई धार्मिक आजादी और बुनियादी अधिकारों को छीनता है। जमीयत की तरफ से कहा गया कि हमारा पर्सनल लॉ कुरान और सुन्नत से बना है। उसमें कयामत तक कोई भी संशोधन नहीं हो सकता। हमें संविधान मजहबी आजादी का पूरा मौका देता है। इसमें कहा गया है कि यूनिफॉर्म सिविल कोड देश की एकता के लिए बड़ा खतरा है।



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क्या है यूनिफॉर्म सिविल कोड?



समान नागरिक संहिता यानी सभी धर्मों के लिए एक ही कानून। अभी होता ये है कि हर धर्म का अपना अलग कानून है और वो उसी हिसाब से चलता है। भारत में आज भी ज्यादातर धर्म के लोग शादी, तलाक और जमीन जायदाद विवाद जैसे मामलों का निपटारा अपने पर्सनल लॉ के मुताबिक करते हैं। मुस्लिम, ईसाई और पारसी समुदाय के अपने पर्सनल लॉ हैं। जबकि हिंदू सिविल लॉ के तहत हिंदू, सिख, जैन और बौद्ध आते हैं। समान नागरिक संहिता को अगर लागू किया जाता है तो सभी धर्मों के लिए फिर एक ही कानून हो जाएगा यानी जो कानून हिंदुओं के लिए होगा, वही कानून मुस्लिमों और ईसाइयों पर भी लागू होगा। अभी हिंदू बिना तलाक के दूसरे शादी नहीं कर सकते, जबकि मुस्लिमों को तीन शादी करने की इजाजत है। समान नागरिक संहिता आने के बाद सभी पर एक ही कानून होगा, चाहे वो किसी भी धर्म, जाति या मजहब का ही क्यों न हो। बता दें कि अभी भारत में सभी नागरिकों के लिए एक समान ‘आपराधिक संहिता’ है, लेकिन समान नागरिक कानून नहीं है।



UCC के विरोध की वजह क्या?




  • मुस्लिमों संगठनों का ज्यादा विरोध   


  • धार्मिक स्वतंत्रता का हवाला दे रहे

  • शरिया कानून का हवाला दे रहे

  • धार्मिक आजादी छीने जाने का डर


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