Jammu Kashmir Elections : पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (Pakistan Occupied Kashmir) भारत का हिस्सा था, है और रहेगा। यह बात गृह मंत्री अमित शाह समेत तमाम नेताओं ने एक दो बार नहीं बल्कि, कई बार अनेक अवसरों पर कही है। यहां तक कि संसद में आर्टिकल 370 हटाते वक्त दहाड़ कर बोला गया। बीजेपी ने पाक अधिकृत कश्मीर की 24 विधानसभा सीट पर चुनाव करवाने की दम भरी थी...। अब जम्मू-कश्मीर में केंद्रीय चुनाव आयोग ने तारीखों का ऐलान कर दिया है, लेकिन PoK की 24 सीटों पर वोटिंग नहीं होगी। चुनाव आयोग यहां वोटिंग नहीं करवा रहा। बीजेपी के दम भरने और चुनाव आयोग के पीओके की 24 सीट पर मतदान नहीं कराने की आखिर क्या है वजह...।
जम्मू कश्मीर में विधानसभा की कुल 114 सीट है। चुनाव आयोग ने सिर्फ 90 सीट पर मतदान कराने की घोषणा की है। इसका साफ मतलब है कि 24 सीट पर मतदान नहीं होगा। ये वही 24 सीट हैं जो पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (Pakistan Occupied Kashmir) में आती हैं।
कश्मीर में चुनाव का ऐलान
चुनाव आयोग ने शुक्रवार को चुनाव का पूरा शेड्यूल जारी किया है। यहां तीन चरण में चुनाव होने जा रहे हैं। जम्मू कश्मीर में 87.09 लाख वोटर हैं जो 18 सितंबर, 25 सितंबर और 1 अक्टूबर को मतदान करेंगे। चुनाव परिणाम 4 अक्टूबर को आ जाएंगे, लेकिन पीओके के लोग इस चुनाव में भागीदार नहीं होंगे।
मामला क्या है ?
केंद्र सरकार ने जम्मू कश्मीर से धारा 370 को समाप्त कर दिया था। इसके बाद अब जम्मू-कश्मीर राज्य में चुनाव होने जा रहे हैं। इसके पहले साल 2020 में जम्मू कश्मीर के लिए परिसीमन आयोग का गठन किया गया था। इस आयोग ने 2022 में अपनी रिपोर्ट पेश की थी। रिपोर्ट के सामने आने के बाद जम्मू कश्मीर में विधानसभा की सीट बढ़ा दी गई। पहले जम्मू-कश्मीर में जहां 107 सीट थी अब वहीं 114 सीट हैं। 6 जम्मू तो 1 सीट कश्मीर में बढ़ी।
पीओके की 24 सीट पर चुनाव क्यों नहीं
पीओके पर पाकिस्तान का कब्जा है। जिसे पीओके कहा जाता है, जबकि पाकिस्तान उसे आजाद कश्मीर कहता है। यहां आज भी पाकिस्तान का अवैध कब्जा है। भारतीय सेना या सरकार की पीओके तक पहुंच नहीं है इसलिए यहां चुनाव नहीं कराए जा सकते हैं।
पाकिस्तान का कब्ज़ा तो विधानसभा सीट क्यों
पाकिस्तान ने 1947 यानी आजादी के बाद से ही पीओके पर कब्जा कर लिया था। भारत पीओके को अपना अभिन्न अंग मानता है। पीओके के लिए भारत सरकार ने विधानसभा की 24 सीट रिजर्व की है। सरकार का मानना है कि, सीटें रिजर्व करने से पीओके के लोगों के लिए प्रतिनिधित्व सुनिश्चित होता है। चुनाव के लिए सीट आरक्षित करके भारत सरकार अपने दावे को भी सुनिश्चित करती है। पीओके का 13,297 वर्ग मील क्षेत्रफल है। यहां फिलहाल पाकिस्तान चुनाव कराता है।
क्या कभी पीओके में भारत करा पाएगा चुनाव
जब कभी पीओके की बात आती है तो भारत के तमाम नेता पूरा जोर देकर इसे भारत का हिस्सा बताते हैं और बताना भी चाहिए क्योंकि पीओके असल में भारत का ही हिस्सा है। चिंता का विषय यह है कि साल दर साल बीत जाने के बावजूद पीओके में पाकिस्तान ही चुनाव करा रहा है। धारा 370 समाप्त हो गई है। जल्द ही विधानसभा चुनाव भी हो जाएंगे। अब पीओके में कब भारत सरकार चुनाव करा पाएगी, इसके लिए कितने साल और इंतजार करना होगा यह भविष्य का सवाल है। फिलहाल इस सवाल का जवाब किसी के पास नहीं है..।
कैसे किया पाकिस्तान ने कब्जा
आजादी के समय महाराजा हरि सिंह द्वारा शासित जम्मू और कश्मीर रियासत को भारत या पाकिस्तान में से किसी एक में शामिल होने का विकल्प दिया गया था। महाराजा हरि सिंह स्वतंत्र रहना चाहते थे, लेकिन 26 अक्टूबर, 1947 को उन्होंने भारत के साथ विलय के दस्तावेज पर हस्ताक्षर किए। उन्होंने यह निर्णय इसलिए लिया क्योंकि पाकिस्तान के कबीलाई लोगों ने कश्मीर में प्रवेश कर लिया था। अक्टूबर 1947 में पाकिस्तानी सेना द्वारा समर्थित इन लोगों ने घाटी में खूब लूटपाट कर हत्या की। कई कश्मीरियों को भागने पर मजबूर कर दिया।
1947 का भारत-पाकिस्तान युद्ध
भारत ने इन आक्रमणकारियों से लोगों को बचाव के लिए कश्मीर में सेना भेजी। इसके बाद युद्ध हुआ। परिणामस्वरूप नियंत्रण रेखा (LOC) पर कश्मीर का विभाजन हुआ। इसके बाद मामला संयुक्त राष्ट्र पहुंच गया। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने संकल्प 47 पारित किया, जिसमें कश्मीर के भविष्य को निर्धारित करने के लिए जनमत संग्रह (plebiscite) का आह्वान किया गया, लेकिन अब तक यह लंबित है। 1 जनवरी, 1949 को युद्ध विराम की घोषणा की गई। कश्मीर का एक बहुत बड़ा हिस्सा पाकिस्तान ने हथिया लिया। दोनों देशों के खराब रिश्तों का कारण भी यही पीओके विवाद है।
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