जापान की राजधानी टोक्यो में लोगों को काम और परिवार के बीच बेहतर संतुलन देने के लिए एक नई योजना शुरू की जा रही है। अगले साल से यहां के कर्मचारी सप्ताह में सिर्फ 4 दिन काम करेंगे और 3 दिन की छुट्टी ले सकेंगे। इस पहल का मुख्य उद्देश्य प्रजनन दर (Birth Rate) बढ़ाना और माता-पिता को करियर छोड़ने से रोकना है।
चार-दिन के कार्य सप्ताह का उद्देश्य
जापान की राजधानी टोक्यों के गवर्नर Yuriko Koike ने घोषणा की है कि यह योजना अप्रैल 2024 से लागू की जाएगी। इस योजना का मकसद यह सुनिश्चित करना है कि बच्चों की परवरिश के लिए माता-पिता को अपना करियर न छोड़ना पड़े। अक्सर देखा गया है कि बच्चे के जन्म के बाद माता-पिता, खासकर महिलाएं, करियर छोड़ने पर मजबूर हो जाती हैं। इससे प्रजनन दर में कमी आती है। नए नियम के तहत माता-पिता सप्ताह में सिर्फ 4 दिन काम करेंगे और 3 दिन की छुट्टी का विकल्प चुन सकते हैं।
परवरिश में मददगार होगी नई योजना
यह योजना उन माता-पिता के लिए मददगार होगी जिनके बच्चे प्राथमिक विद्यालय में पढ़ते हैं। इस दौरान माता-पिता को कम घंटे काम करने और वेतन में न्यूनतम कटौती का विकल्प मिलेगा। इससे माता-पिता बच्चों की पढ़ाई और परवरिश के साथ अपने करियर को भी जारी रख पाएंगे।
जापान की जन्म दर में गिरावट क्यों?
जापान में 2022 में सिर्फ 7 लाख27 हजार 277 बच्चों का जन्म दर्ज किया गया था, जो पिछले कई वर्षों से लगातार घट रही जन्म दर का हिस्सा है। इसके पीछे ज्यादा काम का दबाव (Overtime Work Culture) एक बड़ा कारण है। जापान में पुरुषों और महिलाओं के रोजगार में बड़ा अंतर है। जहां पुरुषों की भागीदारी 72 प्रतिशत है, वहीं महिलाओं की भागीदारी केवल 55 प्रतिशत है। इस वजह से महिलाएं करियर और परिवार के बीच कठिन चुनाव करने पर मजबूर हो जाती हैं।
वर्क वीक ग्लोबल स्तर पर कैसे सफल हुआ?
2022 में '4 डे-वीक ग्लोबल' नामक योजना को कई देशों में आजमाया गया था। इस योजना में हिस्सा लेने वाले 90% कर्मचारियों ने इसे बनाए रखने की इच्छा जताई। अन्य एशियाई देशों जैसे सिंगापुर ने भी लचीले काम के घंटे (Flexible Work Hours) का समर्थन किया है। इस कदम का उद्देश्य काम और निजी जीवन के बीच बेहतर संतुलन बनाना है।
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