कर्नाटक में बीजेपी सरकार ने मुसलमानों को मिला 4 प्रतिशत रिजर्वेशन किया खत्म, इसे दो प्रमुख समुदायों में बांटा

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BP Shrivastava
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कर्नाटक में बीजेपी सरकार ने मुसलमानों को मिला 4 प्रतिशत रिजर्वेशन किया खत्म, इसे दो प्रमुख समुदायों में बांटा

BANGALORE. कर्नाटक में बीजेपी सरकार ने मुसलमानों के रिजर्वेशन को लेकर सोमवार, 27 मार्च को बड़ा फैसला लिया है। सरकर ने राज्य में मुसलमानों को दिया जाने वाला  4 प्रतिशत आरक्षण खत्म कर दिया है। सरकार ने इस आरक्षण को खत्म करके दो प्रमुख समुदायों, वीरशैव.लिंगायत और वोक्कालिगा में बांट दिया है। इस सरकार के इस निर्णय के साथ ही बीजेपी सरकार ने मुसलमानों को 10 प्रतिशत आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग ;ईडब्ल्यूएस श्रेणी में ट्रांसफर करने का फैसला लिया है।



वोक्कालिगा और लिंगायत श्रेणियों का कोटा बढ़ाया



 सरकार ने अब वोक्कालिगा समुदाय को मिलने वाला आरक्षण 4 प्रतिशत से बढ़ाकर 6 प्रतिशत कर दिया गया है। पंचमसालियों, वीरशैवों और दूसरे लिंगायत श्रेणियों के लिए कोटा 5 प्रतिशत से बढ़ाकर 7 प्रतिशत हो गया है। वहींए मुस्लिम समुदाय को अब आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग ; ईडब्ल्यूएस कोटे के तहत आरक्षण मिलेगा। इस कैटेगरी में मुस्लिमों को ब्राह्मणों। वैश्यों, मुदालियर, जैन, और दूसरे समुदाय के साथ 10 प्रतिशत ईडब्लूएस कोटे के लिए लड़ना होगा।



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चुनाव से एक महीने पहले रिजर्वेशन कैटेगरी में बदलाव



इस फैसले के बाद कांग्रेस प्रवक्ता रमेश बाबू ने कहा कि पिछड़े राज्य में मुसलमानों के लिए कोटा या आरक्षण लगभग तीस सालों से अस्तित्व में है। एक तरह से राज्य में ये एक स्थापित कानून बन चुका है। बगैर किसी वैज्ञानिक आधार और राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग रिपोर्ट के इसे अचानक  बदला नहीं जा सकता है। 



सांप्रदायिक रूप से प्रेरित और चुनावी हथकंडा- विपक्ष



कर्नाटक की बीजेपी सरकार ने विधानसभा चुनाव से महीने भर पहले ये घोषणा की है। वहीं, विपक्ष ने इस फैसले को सांप्रदायिक रूप से प्रेरित और चुनावी हथकंडा कहा है। विपक्ष ने ये कहा है कि यह कानून की कसौटी पर खरा नहीं उतरेगा, लेकिन बासवराज बोम्मई का ये कहना है कि धार्मिक अल्पसंख्यकों के लिए आरक्षण का किसी भी राज्य में कोई प्रावधान नहीं है।



अब उठ रहे सवाल



ऐसे में सवाल ये उठता है कि क्या वाकई कर्नाटक में धार्मिक अल्पसंख्यकों को आरक्षण न देने का चलन रहा है। आखिर पहले की कर्नाटक सरकार मुसलमानों को किस आधार पर आरक्षण देते आए हैं। 


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