BANGALORE. कांग्रेस शासित छत्तीसगढ़, राजस्थान और हिमाचल प्रदेश में ओल्ड पेंशन स्कीम लागू की जा चुकी है। इसके बाद देश के कई राज्यों में ओपीएस की मांग उठ रही हैं। कर्मचारी धरना-प्रदर्शन कर रहे हैं। पिछले दिनों कर्नाटक में भी सरकारी कर्मचारियों ने ओपीएस सहित विभिन्न मांगों को लेकर धरना-प्रदर्शन किए थे। इसके बाद बीजेपी शासित राज्य कर्नाटक में ओल्ड पेंशन स्कीम (ओपीएस) लागू करने की तैयारी शुरू हो गई है। राज्य सरकार का एक दल अध्ययन के लिए महीने कांग्रेस शासित राजस्थान जाएगा। यदि कर्नाटक में ओपीएस लागू होता है तो ऐसा करने वाला यह पहला भाजपाईं राज्य होगा।
सबसे पहले करेगी कर्नाटक की कमेटी राजस्थान का दौरा करेगी, फिर सीजी का
धरना-प्रदर्शन खत्म कराने के लिए प्रदेश के मुख्यमंत्री बासवराज बोम्मई ने यह कमेटी बनाई है। अध्यक्षता अतिरिक्त मुख्य सचिव स्तर के एक आईएएसको सौंपी गई है। उनके साथ तीन आईएएस अफसरों को सदस्य बनाया गया है। यह कमेटी राजस्थान का दौरा सबसे पहले करेगी, क्योंकि राजस्थान ने ओपीएस सबसे पहले लागू की। राजस्थान के बाद यह दल छत्तीसगढ़ जाएगा। कमेटी 30 अप्रैल को अपनी रिपोर्ट देगी।
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मप्र में ओपीएस पर कांग्रेस-बीजेपी में छिड़ा है संग्राम
कर्नाटक में दो महीने बाद चुनाव होने वाले है। इसके बाद राजस्थान, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में चुनाव होने हैं। मप्र में कांग्रेस पहले ही कह चुकी है कि यदि उनकी सरकार बनी तो वह ओपीएस लागू करेगी। वहीं विधानसभा के बजट सत्र में शिवराज सरकार स्पष्ट कर चुकी है कि फिलहाल ओपीएस का कोई विचार नहीं है।
क्या है ओल्ड पेंशन स्कीम?
पुरानी पेंशन योजना यानी ओल्ड पेंशन स्कीम (OPS) के तहत सरकार साल 2004 से पहले कर्मचारियों को रिटायरमेंट के बाद एक निश्चित पेंशन देती थी। यह पेंशन कर्मचारी के रिटायरमेंट के समय उनके वेतन पर आधारित होती थी। इस स्कीम में रिटायर हुए कर्मचारी की मौत के बाद उनके परिजनों को भी पेंशन दी जाती थी। हालांकि, इस स्कीम को 1 अप्रैल 2004 में बंद करके इसे राष्ट्रीय पेंशन योजना से बदल दिया गया।
ओल्ड पेंशन स्कीम के फायदें
- इस स्कीम के तहत कर्मचारियों को रिटायरमेंट के समय उनके वेतन की आधी राशि पेंशन के रूप में दी जाती है।