Char Dham Yatra : उत्तराखंड के चारों धामों- केदारनाथ, बद्रीनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री धाम के दर्शन के लिए अब बस कुछ ही दिन बचे हैं। क्योंकि अगले महीने से सभी धामों के कपाट शीतकाल के लिए बंद होने जा रहे हैं। हर साल सर्दियों की शुरुआत में इन मंदिरों के कपाट बंद कर दिए जाते हैं, जो अगले साल मार्च-अप्रैल में सर्दियां खत्म होने के बाद फिर से खोल दिए जाते हैं। इस साल बाबा केदारनाथ के कपाट 10 मई को खोले गए थे।
40 लाख श्रद्धालुओं ने किए चारधाम के दर्शन
इस बार चार धाम यात्रा शुरू होने के बाद लाखों की संख्या में श्रद्धालु बाबा केदारनाथ, बद्री विशाल और गंगोत्री-यमुनोत्री धाम के दर्शन के लिए पहुंचे थे। जानकारी के अनुसार इस साल करीब 40 लाख श्रद्धालुओं ने चारों धामों के दर्शन किए थे। हालांकि इस साल ज्यादा बारिश और भूस्खलन के कारण यात्रा मार्ग पूरी तरह बंद होने के कारण चार धाम यात्रा को लंबे समय तक बंद रखना पड़ा था। यात्रा मार्ग की मरम्मत और बारिश कम होने के बाद तीर्थयात्रा को फिर से शुरू किया जा सका।
इन दिन से बंद होंगी चारों धाम यात्रा
बाबा केदारनाथ धाम
भगवान शिव के बारह ज्योतिर्लिंगों और पंच केदार में से एक बाबा केदारनाथ के दरबार में मत्था टेकने के लिए संभवतः चारों धामों में सबसे अधिक श्रद्धालु उमड़ते हैं। हर साल भाई दूज के दिन बाबा kedarnath के कपाट शीतकाल के लिए बंद कर दिए जाते हैं। इस साल केदारनाथ धाम के कपाट 3 नवंबर को बंद होंगे। यानी अब केदारनाथ धाम यात्रा बंद होने में 1 महीने से भी कम समय बचा है। 3 नवंबर को सुबह 8.30 बजे बाबा केदारनाथ की चल डोली अपने शीतकालीन गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर उखीमठ के लिए प्रस्थान करेगी। अगले 6 महीने तक बाबा केदारनाथ का शीतकालीन गद्दीस्थल उखीमठ में ही रहेगा। खास बात यह है कि बाबा केदारनाथ की चल डोली के साथ केदारनाथ धाम से उखीमठ तक जाने वाले और उखीमठ से वापस केदारनाथ धाम लाने वाले सभी भक्त बर्फीले मौसम में भी नंगे पांव चलते हैं।
बद्री विशाल के कपाट
भगवान विष्णु को समर्पित बद्रीनाथ धाम हिमालय पर्वत श्रृंखला में अलकनंदा नदी के तट पर स्थित है। यहां नर और नारायण की पूजा की जाती है। बद्रीनाथ मंदिर परिसर में कुल 15 देवी-देवताओं की मूर्तियां हैं, जिनमें सबसे प्रमुख भगवान विष्णु की मूर्ति है। इस साल badrinath धाम के कपाट शीतकाल के लिए 17 नवंबर को बंद कर दिए जाएंगे। यह फैसला दशहरे के दिन लिया गया। पंचांग गणना के बाद कपाट बंद होने की तिथि घोषित की गई। प्राप्त जानकारी के अनुसार बद्रीनाथ धाम के कपाट 17 नवंबर को रात 9:07 बजे बंद हो जाएंगे, जो अगले साल शीतकाल खत्म होने के बाद खुलेंगे। यानी इस साल बद्रीनाथ धाम की यात्रा के लिए आपके पास 1 महीने 4 दिन का समय बचा है।
गंगोत्री-यमुनोत्री धाम के कपाट
यमुनोत्री धाम
यमुनोत्री धाम के कपाट हर साल केदारनाथ धाम के साथ ही खुलते और बंद होते हैं। इस साल यमुनोत्री धाम के कपाट केदारनाथ धाम के ही दिन यानी 3 नवंबर को भैयादूज के दिन बंद होंगे। इसके साथ ही गंगोत्री धाम के कपाट इससे एक दिन पहले यानी अन्नकूट पर्व के दिन बंद होंगे। अन्नकूट पर्व 2 नवंबर को मनाया जाएगा। एक तरह से यह कहा जा सकता है कि दिवाली के बाद एक-एक करके सभी छोटे चार धामों के कपाट शीतकाल के लिए बंद हो जाएंगे। भगवान मद्महेश्वर के कपाट 20 नवंबर को शीतकाल के लिए बंद हो जाएंगे। 23 नवंबर को भगवान मद्महेश्वर की चल चोली अपने शीतकालीन गद्दीस्थल ऊखी मठ में पहुंचेगी।
रील्स बनाने पर रोक
हाल ही में उत्तराखंड सरकार ने एक अहम फैसला लेते हुए चारों धामों में मंदिर परिसर के 50 मीटर के दायरे में सोशल मीडिया के लिए रील बनाने या वीडियोग्राफी करने पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दिया था। उत्तराखंड की मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने आदेश जारी कर चारों धाम मंदिरों के 50 मीटर के दायरे में वीडियो और रील बनाने पर रोक लगा दी थी। हालांकि, अधिकारियों ने स्पष्ट किया था कि यात्रा के दौरान मोबाइल फोन ले जाने पर कोई प्रतिबंध नहीं है।
केदारनाथ का महत्व
केदारनाथ उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में भगवान शिव का एक पवित्र धाम है। हर साल लाखों लोग यहां दर्शन के लिए आते हैं। केदारनाथ को भगवान शिव के बारह ज्योतिर्लिंगों और पंच केदार में भी गिना जाता है। केदारनाथ मंदिर में स्थापित शिवलिंग स्वयंभू है। इस कारण मंदिर का महत्व और अधिक बढ़ जाता है।
बद्रीनाथ का महत्व
बद्रीनाथ को चार प्रमुख धामों में से एक माना जाता है। यह हिमालय पर्वत श्रृंखला में अलकनंदा नदी के तट पर स्थित है। यह मुख्य रूप से भगवान विष्णु का मंदिर है। यहाँ नर और नारायण की पूजा की जाती है। यह मंदिर तीन भागों में विभाजित है - गर्भगृह, दर्शन मंडप और सभा मंडप। बद्रीनाथ मंदिर परिसर में 15 मूर्तियाँ हैं, उनमें से सबसे प्रमुख भगवान विष्णु की मूर्ति है।
FAQ
thesootr links
- मध्य प्रदेश की खबरें पढ़ने यहां क्लिक करें
- छत्तीसगढ़ की खबरें पढ़ने यहां क्लिक करें
- रोचक वेब स्टोरीज देखने के लिए करें क्लिक