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चारधाम यात्रा
चारधाम यात्रा की शुरुआत हो चुकी है और इस यात्रा में केदारनाथ मंदिर (Kedarnath Dham) एक प्रमुख स्थल है। केदारनाथ का महत्व केवल एक तीर्थ स्थल ही नहीं, बल्कि यह भगवान शिव की पूजा और रहस्यों से भी जुड़ा हुआ है।
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केदारनाथ का विशेष आध्यात्मिक महत्व
केदारनाथ भगवान शिव को समर्पित एक प्रमुख तीर्थ स्थल है। (केदारनाथ मंदिर के कपाट खुले) शिव पुराण के मुताबिक, जो व्यक्ति यहां दर्शन करता है और कुंड का जल पान करता है, उसे मुक्ति मिलती है और वह जीवन-मृत्यु के चक्र से मुक्त हो जाता है।
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केदारनाथ की पूजा विधि
केदारनाथ मंदिर (केदारनाथ धाम) में पूजा तीर्थ पुरोहित द्वारा की जाती है। इन्हें पांडवों के वंशज राजा जनमेजय ने पूजा का अधिकार दिया था। मुख्य पुजारी को रावल कहा जाता है और वह पूजा के लिए निर्देशित करते हैं, लेकिन खुद पूजा नहीं करते।
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मंदिर की संरचना
केदारनाथ मंदिर को तीन भागों में बांटा गया है: गर्भगृह, मध्य भाग और सभा मंडप। गर्भगृह में सदैव एक दीपक जलता रहता है, जो मंदिर के बंद होने के बाद भी जलता है। इसके बारे में कहा जाता है कि यह दीपक अपने आप जलता है, यहां तक कि जब मंदिर के कपाट छह महीने के लिए बंद होते हैं।
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पंच केदार का रहस्य
महाभारत के युद्ध के बाद, पांडवों ने भगवान शिव से पापों की मुक्ति के लिए आशीर्वाद प्राप्त करना चाहा। जब भगवान शिव उनसे छिपने लगे, तो उन्होंने बैल का रूप धारण किया। पांडवों ने भगवान शिव को खोज लिया और उनके विभिन्न अंगों का प्रकट होना पंच केदार के रूप में हुआ।
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गौरी कुंड का महत्व
गौरी कुंड के पास माता पार्वती ने भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए तपस्या की थी। यहां का गर्म पानी हमेशा बरकरार रहता है, और श्रद्धालु यहां स्नान करने के बाद ही केदारनाथ की यात्रा (Kedarnath Yatra) शुरू करते हैं। इसे पार्वती के तपस्या स्थल के रूप में भी पूजा जाता है। (Kedarnath Dham News)
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कुंड के पानी में बुलबुले
केदारनाथ मंदिर के पास रेतस कुंड स्थित है, जहां मान्यता है कि ओम नमः शिवाय बोलने पर पानी में बुलबुले उठते हैं। यह भी माना जाता है कि यह जल मनुष्य के पापों का नाश करता है और उसे आध्यात्मिक उन्नति प्राप्त होती है। देश दुनिया न्यूज
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मंदिर में दिव्य पूजा का रहस्य
जब केदारनाथ मंदिर के कपाट छह महीने के लिए बंद हो जाते हैं, तो उस दौरान मंदिर के अंदर से घंटी बजने की आवाज आती है। पुराणों के मुताबिक, इस समय में देवता गण पूजा करते हैं और मंदिर का दरवाजा मनुष्यों के लिए बंद रहता है, लेकिन देवताओं के लिए खुला रहता है। धर्म ज्योतिष न्यूज