DELHI. नेशनल इंवेस्टिगेशन एजेंसी (NIA) ने पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) के खिलाफ बड़ा एक्शन लिया है। जांच एजेंसी ने केरल में एक साथ PFI के 56 ठिकानों पर छापेमारी की है। इनमें PFI के कई मेंबर्स के घर भी शामिल हैं। तिरुवनंतपुरम, कोल्लम, पठानमथिट्टा, एर्नाकुलम, अलप्पुझा और मलप्पुरम जिलों में छापे मारे गए हैं।
NIA की कार्रवाई कई आधार पर की गई हैं, गृह मंत्रालय से प्रतिबंधित होने के बाद PFI कई अंतरराष्ट्रीय आतंकी संगठन से संपर्क में था, जिसके जरिए फंड जुटाने की कोशिश की जा रही थी।
'पीएफआई को फिर से खड़ा करने की कोशिश'
जांच एजेंसियों के मुताबिक किसी दूसरे नाम पर पीएफआई को फिर से खड़ा करने की कोशिश की जा रही है। इसको लेकर कार्रवाई उन लोगों के खिलाफ की गई है, जो PFI मेम्बर हैं। इसके साथ ही कुछ PFI के ओवरग्राउंड वर्कर हैं,यानी की अधिकारिक रूप से उस संगठन में शामिल नहीं हैं, लेकिन काम PFI के लिए कर रहे हैं।
केरल में सितंबर से PFI के खिलाफ 5 रेड
केरल में ही सितंबर के महीने से अब तक NIA की PFI के खिलाफ 5 रेड हो चुकी हैं। जांच एजेंसियों मुताबिक देशभर में केरल में ही PFI के सबसे ज्यादा सक्रिय सदस्य हैं, जो पिछली बड़ी कार्रवाईयों के बाद भी अपनी गतिविधियां जारी रखे हुए हैं।
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हाईकोर्ट ने PFI की याचिका की थी खारिज
एक महीने पहले ही कर्नाटक हाईकोर्ट ने PFI पर लगे प्रतिबंध को चुनौती देने वाली याचिका खारिज की थी। दरअसल, तिहाड़ जेल में बंद पीएफआई की कर्नाटक इकाई के अध्यक्ष नासिर पाशा ने 27 अक्टूबर को यह याचिका दायर की थी। सुनवाई करते हुए कर्नाटक हाईकोर्ट ने 28 नवंबर को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। सिंगल बेंच के जस्टिस नागप्रसन्ना ने 30 नवंबर को फैसला सुनाते हुए याचिका खारिज कर दी।
5 साल के लिए कर दिया है प्रतिबंधित
सरकार ने आईएसआईएस जैसे वैश्विक आतंकी समूहों के साथ लिंक होने का आरोप लगाते हुए पीएफआई और उसके कई सहयोगी संगठनों को 28 सितंबर को कड़े आतंकवाद विरोधी कानून यूएपीए के तहत पांच साल के लिए प्रतिबंधित कर दिया है। संगठन के कई कार्यकर्ताओं और नेताओं को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया है। इसके बाद से ही जांच एजेंसी इससे जुड़े लोगों पर लगातार शिकंजा कसने का काम कर रही है।
2006 में 3 मुस्लिम संगठनों के मिलने से बना था PFI
पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया यानी PFI 22 नवंबर 2006 को तीन मुस्लिम संगठनों के मिलने से बना था। इनमें केरल का नेशनल डेमोक्रेटिक फ्रंट, कर्नाटक फोरम फॉर डिग्निटी और तमिलनाडु का मनिता नीति पसरई साथ आए। PFI खुद को गैर-लाभकारी संगठन बताता है। PFI में कितने सदस्य हैं, इसकी जानकारी संगठन नहीं देता है।