/sootr/media/media_files/2025/08/03/kishore-kumar-2025-08-03-17-14-37.jpg)
/sootr/media/media_files/2025/08/03/kishoree-2025-08-03-16-59-03.jpg)
किशोर कुमार की जयंती
किशोर कुमार का जन्म 4 अगस्त 1929 को खंडवा में हुआ था, जहां उनकी स्कूलिंग हुई। उनकी जयंती (किशोर कुमार जन्मदिन) पर हर साल खंडवा में गौरव दिवस मनाया जाता है, जो उनके प्रति शहर के प्यार को दिखाता है। उनसे जुड़े कई किस्से आज भी मशहूर हैं, जिनमें से एक है कैंटीन वाले का अनोखा उधार।
/sootr/media/media_files/2025/08/03/kishoree1-2025-08-03-16-59-16.jpg)
संगीत की दुनिया में कदम
किशोर कुमार ने फिल्म इंडस्ट्री में अपनी शुरुआत 1940 के दशक में की थी। उन्हें चलती का नाम गाड़ी जैसी हिट फिल्मों से पहचान मिली और वह सुपरस्टार बन गए।
/sootr/media/media_files/2025/08/03/kishoree2-2025-08-03-16-59-29.jpg)
कॉलेज के दिन और 5 रुपैया 12 आना का राज
उन्होंने मध्यप्रदेश इंदौर के क्रिश्चियन कॉलेज से पढ़ाई की, जहां उन्हें कैंटीन के पोहा-जलेबी बहुत पसंद थे। कैंटीन वाले का उन पर 5 रुपए 12 आने का उधार था, जिसे वह गाना गाकर टालते थे और बाद में यही पांच रुपैया 12 आना गाना फिल्म में भी लिया गया। (kishore kumar birthday)
/sootr/media/media_files/2025/08/03/kishoree3-2025-08-03-16-59-42.jpg)
गर्ल्स हॉस्टल और मेरे सामने वाली खिड़की में
कॉलेज हॉस्टल में रहते हुए वह अक्सर गर्ल्स हॉस्टल की तरफ देखकर फिल्म 'पड़ोसन' का फेमस गाना मेरे सामने वाली खिड़की में एक चांद सा टुकड़ा...' गुनगुनाया करते थे। बाद में यही गाना सुपरहिट हुआ और उनकी आवाज में सदाबहार बन गया।
/sootr/media/media_files/2025/08/03/kishoree5-2025-08-03-16-59-58.jpg)
खंडवा में किशोर दा की समाधि
उनकी याद में खंडवा में उनकी समाधि बनाई गई है, जहां आज भी उनके फैंस श्रद्धांजलि देने आते हैं। फैंस उनकी पसंदीदा दूध-जलेबी का प्रसाद चढ़ाकर उन्हें याद करते हैं।
/sootr/media/media_files/2025/08/03/kishoree6-2025-08-03-17-00-13.jpg)
खंडवा से अटूट लगाव
किशोर दा (kishore kumar) |को अपनी जन्मभूमि खंडवा से इतना प्यार था कि वह अपने अंतिम समय में वहीं बसना चाहते थे। उनकी यह ख्वाहिश पूरी नहीं हो सकी, लेकिन उनका अंतिम संस्कार खंडवा में ही किया गया।
/sootr/media/media_files/2025/08/03/kishoree7-2025-08-03-17-00-27.jpg)
किशोर कुमार की विरासत
किशोर कुमार का व्यक्तित्व बेहद रंगीन था और उनका संगीत भारतीय फिल्म इंडस्ट्री की धरोहर बन चुका है। उनका पुश्तैनी घर गौरीकुंज अब जर्जर हालत में है, जिसे देखकर किशोर प्रेमियों की आंखें नम हो जाती हैं। यह 100 साल से भी ज्यादा पुराना मकान कभी भी ढह सकता है और इसके अंदर जाना भी अब सुरक्षित नहीं है। उनकी आवाज और गाने आज भी लोगों के दिलों में जिन्दा हैं।