आज विश्व मौसम विज्ञान दिवस, अल नीनो और ला नीना के बारे में जानिए; इनका मौसम पर क्या होता है असर

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Rahul Garhwal
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आज विश्व मौसम विज्ञान दिवस, अल नीनो और ला नीना के बारे में जानिए; इनका मौसम पर क्या होता है असर

BHOPAL. आज विश्व मौसम विज्ञान दिवस है। पूरे विश्व में हर साल 23 मार्च को इस दिन को मनाया जाता है। मौसम विज्ञान दिवस मनाने का उद्देश्य मौसम में हो रहे बदलावों की जानकारी देना और जागरुक करना है। हर साल इसके लिए एक थीम निर्धारित की जाती है और उसी थीम के तहत पूरे सालभर कार्य किए जाते हैं। विश्व मौसम विज्ञान दिवस 2023 की थीम द फ्यूचर ऑफ वेदर क्लाइमेट एंड वाटर अक्रॉस जेनरेशन है।



मौसम विज्ञान दिवस मनाने की शुरुआत



मौसम के मिजाज को भांपने और उसे पॉजिटिव और नेगेटिव असर को जानने के लिए 1950 में विश्व मौसम विज्ञान संगठन की स्थापना की गई थी। मौसम विज्ञान संगठन का हेड क्वार्टर स्विटजरलैंड के जिनेवा में है। विश्व मौसम विज्ञान संगठन में 191 सदस्य देश और क्षेत्र हैं। मौसम विज्ञान संगठन की शुरुआत बाढ़, सूखा और भूकंप जैसी प्राकृतिक आपदाओं का अनुमान लगाने और समय रहते नुकसान से बचने के लिए की गई थी।



मौसम विज्ञान दिवस मनाने का उद्देश्य



मौसम विज्ञान दिवस मनाने का उद्देश्य लोगों को मौसम में हो रहे बदलावों की जानकारी देना है। मौसम का मिजाज लगातार बदलता रहता है। दुनिया को कई प्राकृतिक आपदाओं का सामना करना पड़ता है। लोगों को पर्यावरण संरक्षण और मौसम में हो रहे परिवर्तन के प्रति जागरुक किया जाता है।



अल नीनो और ला नीना के बारे में जानिए



अल नीनो और ला नीना प्रशांत महासागर की समुद्री सतह के तापमान में समय-समय पर होने वाले बदलावों से जुड़े हुए हैं। इन बदलावों का दुनियाभर के मौसम पर प्रभाव पड़ता है। अल नीनो की वजह से तापमान बढ़ता है और ला नीना की वजह से तापमान में गिरावट आती है। अल नीनो मतलब गर्म और ला नीना मतलब ठंडा। आमतौर पर दोनों 9 से 12 महीनों तक रहते हैं, लेकिन कई असाधारण मामलों में ये सालों तक रह सकते हैं।



क्या है अल नीनो?



समुद्र का तापमान बढ़ने की स्थिति को अल नीनो कहते हैं। अल नीनो की वजह से समुद्र की सतह का तापमान सामान्य से बहुत ज्यादा हो जाता है। समुद्र का तापमान सामान्य से 4 से 5 डिग्री सेल्सियस ज्यादा बढ़ सकता है।



अल नीनो का मौसम पर असर



अल नीनो जलवायु प्रणाली का हिस्सा है और इसका मौसम पर गहरा असर होता है। अल नीनो से दुनियाभर के मौसम पर प्रभाव पड़ता है। गर्मी, ठंड और बारिश सभी में अंतर दिखाई देता है। ये हर साल नहीं 3 से 7 साल में दिखाई पड़ते हैं। समुद्र का तापमान बढ़ने से समुद्री जीव-जंतुओं पर बुरा असर होता है। कई जीव औसत आयु पूरी करने से पहले ही दम तोड़ देते हैं। अल नीनो की वजह से बारिश भी प्रभावित होती है। कम बारिश वाली जगहों पर ज्यादा बारिश हो सकती है। अगर अल नीनो दक्षिण अमेरिका की ओर एक्टिव होता है तो भारत में उस साल कम बारिश देखने को मिलती है।



क्या है ला नीना?



समुद्र का तापमान कम होने की स्थिति को ला नीना कहते हैं। ला नीना की वजह से समुद्र का तापमान काफी कम हो जाता है। इसका असर विश्वभर के मौसम पर पड़ता है। मौसम औसत से भी ज्यादा ठंडा हो जाता है।



ला नीना का मौसम पर असर



ला नीना की वजह से ज्यादा नमी वाली स्थिति पैदा हो जाती है। कई देशों में काफी बारिश की संभावना बन जाती है। वहीं कई देशों में सूखे के हालात बन जाते हैं। ला नीना की वजह से आमतौर पर उत्तर-पश्चिम में मौसम ठंडा और दक्षिण-पूर्व में मौसम गर्म हो जाता है। भारत में इसकी वजह से भयंकर ठंड पड़ती है और बारिश भी अच्छी होती है।



अल नीनो और ला नीना का पता कैसे लगाते हैं?



दुनियाभर के साइंटिस्ट, सरकार और गैर-सरकारी संगठन अल नीनो और ला नीना का पता चलाने के लिए अलग-अलग टेक्निक या प्लव का इस्तेमाल करते हैं। इनसे अल नीनो और ला नीना के बारे में जानकारी इकट्ठी की जाती है। प्लव एक तरह के उपकरण को कहते हैं जो पानी के अंदर तैरता है। ये आमतौर पर चमकीले रंग का होता है। इसका उपयोग समुद्र में लोकेटर के जैसे किया जाता है। प्लव से ही समुद्र और हवा का तापमान, धारा, हवा और ह्यूमिडिटी को मापा जाता है। प्लव की मदद से ही हर दिन के मौसम का पूर्वानुमान लगाया जाता है।



अल नीनो की वजह से क्या होगा




  • भयंकर गर्मी पड़ेगी


  • बारिश कम होगी

  • ठंड कम पड़ेगी



  • ला नीना की वजह से क्या होगा




    • गर्मी कम पड़ेगी


  • बारिश अच्छी होगी

  • भयंकर ठंड पड़ेगी



  • 2023 में भारत में अल नीनो के प्रभाव की चेतावनी



    इस साल मौसम वैज्ञानिक भारत में अल नीनो के प्रभाव की चेतावनी दे रहे हैं। ये भारत के लिए बिल्कुल भी अच्छी खबर नहीं है क्योंकि भारत कृषि प्रधान देश है। अगर देश में अल नीनो का प्रभाव पड़ेगा तो इस साल भीषण गर्मी की मार झेलनी पड़ सकती है। गर्मी की वजह से फसलों पर भी बुरा असर पड़ेगा। कई राज्यों को सूखे की समस्या और जल संकट का सामना करना पड़ेगा। अल नीनो की वजह से मानसून पर भी बुरा असर पड़ता है। बारिश ठीक-ठाक नहीं होती है।



    भारत में वसंत बीतने से पहले ही गर्मी का कहर



    इस साल वसंत बीतने से पहले ही सूरज ने अपने तेवर दिखा दिए थे। वसंत में ही लोग भीषण गर्मी से परेशान हो गए थे। फरवरी में ही अधिकतम पारा 33 डिग्री सेल्सियस के पार पहुंच गया था। राजस्थान और गुजरात में तो रिकॉर्ड 40 डिग्री के ऊपर तापमान दर्ज किया गया है।



    पिछले साल का रिकॉर्ड भी टूटेगा!



    अगर भारत में इस साल अल नीनो का असर रहा तो हो सकता है पिछले साल की गर्मी का रिकॉर्ड टूट जाए। पिछले साल मार्च में गर्मी देखने को मिली थी, लेकिन इस साल फरवरी में ही गर्मी की एंट्री हो गई। फरवरी का तापमान औसत से ज्यादा रहा। देश के कई हिस्सों में पड़ी तेज गर्मी ने वसंत के सुहावने मौसम को जैसे खत्म ही कर दिया। पिछले साल मार्च में अधिकतम तापमान 33.1 डिग्री दर्ज किया गया था, जो सामान्य से 1.86 डिग्री ज्यादा था। इस बार गर्मी पिछले साल का रिकॉर्ड भी तोड़ सकती है।


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