4 साल बाद अचानक चर्चा में कैसे आया CAA? 2019 में पास हुए नियम को लागू होने में क्या अड़चन आई, मुस्लिमों को क्यों नहीं किया शामिल

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Pratibha Rana
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4 साल बाद अचानक चर्चा में कैसे आया CAA? 2019 में पास हुए नियम को लागू होने में क्या अड़चन आई, मुस्लिमों को क्यों नहीं किया शामिल

BHOPAL. अबकी बार 400 पार, तीसरी बार मोदी सरकार के नारे इन दिनों चर्चा में है। बीजेपी लोकसभा चुनाव की तैयारी के लिए जोर-शोर से जुटी है। खबरें है कि लोकसभा चुनाव से पहले मोदी सरकार सीएए यानी सिटीजनशिप अमेंडमेंट एक्ट को लागू कर सकती है। केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा ने नवंबर 2023 कोट पश्चिम बंगाल के नॉर्थ 24 परगना के ठाकुरनगर में मतुआ समुदाय को संबोधित करते हुए सीएए का जिक्र किया था। उसके बाद ये शब्द चर्चा में आया था। सरकार इस कानून को बना चुकी थी, लेकिन इसे लागू नहीं किया गया। अब इसे जल्द ही लागू किया जा सकता है। CAA के नियम तैयार हैं। ऑनलाइन पोर्टल भी तैयार है। ये पूरी प्रक्रिया ऑनलाइन ही होगी।

आइए CAA से जुड़े जुड़े सवालों के जवाब खोजने हैं.....

क्या है सीएए?

CAA के तहत अफगानिस्तान, पाकिस्तान, बांग्लादेश से 31 दिसंबर 2014 के पहले आने वाले छह अल्पसंख्यकों (हिंदू, ईसाई, सिख, जैन, बौद्ध और पारसी) को भारत की नागरिकता देने का प्रावधान है। इसके लिए इन तीन देशों से आए विस्थापितों को कोई दस्तावेज देने की भी जरूरत नहीं है। इस कानून के तहत वे लोग, जो फिलहाल भारत में अवैध प्रवासी हैं। वे भारत के नागरिक बनने के पात्र हो जाएंगे।

सीएए में कौन से धर्म शामिल ?

CAA में तीनों पड़ोसी देशों (पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश) के छह समुदायों - हिंदू, सिख, ईसाई, जैन, बौद्ध और पारसी शरणार्थियों को भारतीय नागरिकता देने का प्रावधान किया गया है।

किन्हें मिलेगा फायदा ?

बांग्लादेश, पाकिस्तान और अफगानिस्तान जैसे देशों से आए शरणार्थी को फायदा मिलेगा।

ये जान लीजिए...

  • CAA, किसी व्यक्ति को खुद नागरिकता नहीं देता ।
  • इसके जरिए पात्र व्यक्ति, आवेदन करने के योग्य बनता है।
  • यह कानून उन लोगों के लिए , जो 31 दिसंबर 2014 को या उससे पहले पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से भारत पहुंचे।

2019 में पास हो गया था कानून, अभी तक लागू क्यों नहीं हुआ ?

माना जाता है कि 2019 में जब ये कानून पास हुआ था तब इसको लेकर काफी विरोध हुआ था। सीएए को लागू करने में काफी अड़चन आई। क्योंकि जब भी कोई नया कानून पास होता है, तो उसके बाद सरकार को उसके नियम भी जारी करने होते हैं। कोई भी नियम जारी करने के लिए लिए सरकार के पास कुल 6 महीने का समय होता है। इन्हीं छ महीनों में कानून के नियम तैयार होने चाहिए। अगर किसी वजह से ऐसा नहीं होता है तो सरकार को लोकसभा और राज्यसभा में इससे जुड़ी प्रक्रिया को आगे बढ़ाने की अनुमति लेनी होती है। सीएए के मामले में ये काम गृह मंत्रालय का है। कहा जाता है कि नियम जारी करने में हो रही देरी के चलते सरकार CAA लागू नहीं कर पा रही थी।

मुश्किल क्यों कर रहे है इस कानून का विरोध ?

सीएए में हिंदू, सिख, ईसाई, जैन, बौद्ध और पारसी शरणार्थियों को भारतीय नागरिकता दी जाएगी। इसमें मुस्लिमानों को शामिल नहीं किया गया है। मुस्लिम समुदाय इन देशों अल्पसंख्यक नहीं, बल्कि बहुसंख्यक है। यही कारण है कि उन्हें सीएए में शामिल नहीं किया गया। अफगानिस्तान, पाकिस्तान और बांग्लादेश मुस्लिम देश हैं। वहां धर्म के नाम पर बहुसंख्यक मुस्लिमों का उत्पीड़ित नहीं होता है,जबकि इन देशों में हिंदुओं समेत अन्य समुदाय के लोगों को धर्म के आधार पर उत्पीड़न किया जाता है। इसलिए इन देश के मुस्लिमों को नागरिकता कानून में शामिल नहीं किया गया है।





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