राजस्थान में सियासी पारा चढ़ा: जानिए पुलवामा शहीद की पत्नियों की क्या है मांग, सचिन पायलट ने क्यों गहलोत सरकार पर उठाए सवाल

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The Sootr
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राजस्थान में सियासी पारा चढ़ा: जानिए पुलवामा शहीद की पत्नियों की क्या है मांग, सचिन पायलट ने क्यों गहलोत सरकार पर उठाए सवाल

JAIPUR.राजस्थान की राजधानी जयपुर में पुलवामा के शहीदों की पत्नियों का प्रदर्शन लगातार जारी है। इस प्रदर्शन से राजस्थान की सियासत गरमा गई है। बीजेपी इस मामले को लेकर गहलोत सरकार के खिलाफ सड़क पर उतरी है। तो वहीं सचिन पायलट भी अपनी ही पार्टी की सरकार को घेरने से पीछे नहीं हट रहे हैं। पिछले कई दिनों से सड़कों पर हो रहे प्रदर्शन को लकेर विवाद बढ़ता जा रहा है। पुलवामा की वीरांगनाओं के साथ पुलिस ने जो सलूक किया और उनके हक की आवाज उठाने वाले बीजेपी के राज्यसभा सांसद किरोड़ीलाल मीणा के साथ जो बर्ताव हुआ, उसे लेकर बीजेपी ने आंदोलन शुरू किया है। 



पुलिस ने किया बल प्रयोग तो भड़के बीजेपी कार्यकर्ता



जयपुर में बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया के नेतृत्व में वीरांगनाओं और किरोड़ीलाल मीणा के साथ हुई बदसलूकी को लेकर प्रदर्शन किया। इस दौरान पार्टी मुख्यालय से सहकार भवन की तरफ सैकड़ों कार्यकर्ताओं ने कूच किया। इस मार्च को पुलिस ने रोकने की कोशिश की गई तो जबरदस्त झड़प हुई। इस बीच कुछ कार्यकर्ताओं ने पुलिस की गाड़ी पर पथराव भी किया, जिसमें पुलिस की गाड़ी के कांच टूट गए। वहीं एक पुलिसकर्मी का डंडा खींचकर कुछ कार्यकर्ताओं ने उस पर हमला कर दिया, लेकिन पदाधिकारियों ने बीच बचाव कर मामले को शांत कराया। वहीं एक पुलिसकर्मी का डंडा खींचकर कुछ कार्यकर्ताओं ने उस पर हमला कर दिया, लेकिन पदाधिकारियों ने बीच बचाव कर मामले को शांत कराया। विरोध-प्रदर्शन के दौरान विधायक मदन दिलावर को चोट लग गई तो पुलिस जवानों के पैरों में ही लेट गए। वहीं बैरीकेड पार करने के प्रयास में प्रदेशाध्यक्ष डॉ. सतीश पूनिया के पैर में फिर से चोट लगी।



धरने पर बैठी वीरांगनाओं नियम बदलने की कर रही मांग



साल 2019 के पुलवामा आतंकी हमले में शहीद हुए 3 जवानों की वीरांगनाएं बीते 28 फरवरी से प्रदर्शन कर रही हैं। वह नियमों में बदलाव की मांग करते हुए कुछ दिनों से सीएम गहलोत से मुलाकात का समय मांग रही थीं। उनकी मांग है कि न सिर्फ उनके बच्चों, बल्कि उनके रिश्तेदारों को भी अनुकंपा के आधार पर सरकारी नौकरी दी जाए। उनकी अन्य मांगों में शहीद के नाम पर सड़कों का निर्माण और उनके गांवों में शहीदों की प्रतिमाएं लगाना भी शामिल है। इसके बाद सीएम अशोक गहलोत साफ कर चुके हैं कि वे किसी शहीद के बच्चे की नौकरी का हक नहीं मारेंगे, लेकिन किसी के रिश्तेदार को नौकरी देना ठीक परंपरा नहीं है।



सचिन ने दी सीएम गहलोत को सलाह



राजस्थान के पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट ने कहा है कि शहीदों की विधवा पत्नियों की बात को सुनने में किसी को ईगो सामने नहीं लाना चाहिए। मेरे घर ये अचानक आ गईं, मैंने उनकी बात सुनी, महिलाएं हैं, भावुक हैं, उनकी मानसिक स्थिति क्या होगी, उन पर क्या बीती होगी। संवेदनशीलता से उनकी बातों को सुना जाना चाहिए था, जो संभव है, बताना चाहिए था। अगर नहीं भी करना है तो उनको बैठकर समझाते या समझाने का काम किया गया होता तो बेहतर तरीके से मामले को निपटाया जा सकता था।


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