जानिए 3 पूर्व रेल मंत्रियों ने क्यों किया CBI जांच का विरोध, पूछा- कहां गई 2016 में कानपुर रेल हादसे की NIA जांच रिपोर्ट

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Sunil Shukla
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जानिए 3 पूर्व रेल मंत्रियों ने क्यों किया CBI जांच का विरोध, पूछा- कहां गई 2016 में कानपुर रेल हादसे की NIA जांच रिपोर्ट

NEW DELHI. ओडिशा के बालासोर ट्रेन एक्सीडेंट में केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने एफआईआर दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। इस बीच देश के 3 पूर्व रेल मंत्रियों ने देश को हिला देने वाले इस रेल हादसे की सीबीआई जांच का विरोध किया है। कांग्रेस अध्यक्ष और पूर्व रेल मंत्री मल्लिकार्जुन खड़गे, ममता बनर्जी और पवन कुमार बंसल ने ट्रेन एक्सीडेंट के कारणों की जांच सीबीआई से कराने के सरकार के फैसले की आलोचना की है। ममता बनर्जी का कहना है कि इससे पहले ज्ञानेश्वरी एक्सप्रेस और सैंथिया रेल हादसे की जांच भी सीबीआई से कराई गई थी, लेकिन उसका कोई नतीजा नहीं निकला। सीबीआई किसी गंभीर अपराध की जांच करती है रेल दुर्घटना की नहीं।



2016 में कानपुर रेल हादसे की जांच NIA को सौंपी, बाद में बंद की- खड़गे



कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने इस मामले में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक पत्र लिखकर सीबीआई जांच के फैसले पर सवाल उठाया है। उन्होंने लिखा है कि सीबीआई किसी गंभीर अपराध की जांच करती है, रेल दुर्घटनाओं की नहीं। उनका कहना है कि सीबीआई या कोई अन्य एन्फोर्समेंट एजेंसी तकनीकी निर्देशों और राजनीतिक विफलताओं के लिए जिम्मेदारी तय नहीं कर सकती। खड़गे ने पीएम को लिखा है कि देश को अभी भी कानपुर के पास 20 नवंबर 2016 को हुए रेल हादसे की याद है, जिसमें 150 से ज्यादा लोगों की जान चली गई थी। तत्कालीन रेल मंत्री सुरेश प्रभु ने इस हादसे की जांच एनआईए से कराने का ऐलान किया था। इसके बाद खुद पीएम मोदी ने 2017 में एक चुनावी रैली में कहा था कि ये रेल दुर्घटना एक साजिश थी। हालांकि 2018 में एनआईए ने इस हादसे की जांच बंद कर दी। यहां तक कि कोर्ट में चार्जशीट दाखिल करने से भी इनकार कर दिया। उन्होंने आरोप लगाया कि कानपुर में हुए इस रेल हादसे के कारणों को लेकर देश अभी भी अंधेरे में है। देश की जनता जानना चाहती है कि कानपुर में हुए रेल हादसे में 150 यात्रियों की मौत के लिए कौन जिम्मेदार है।



कानपुर हादसे में अभी तक NIA की कोई जांच रिपोर्ट सामने नहीं आई



20 नवंबर, 2016 को इंदौर-पटना एक्सप्रेस कानपुर के पास पटरी से उतर गई थी। इस दुर्घटना में 150 से ज्यादा लोगों की जान गई थी।  

23 जनवरी, 2017 को तत्कालीन रेल मंत्री सुरेश प्रभु ने केंद्रीय गृह मंत्री को पत्र लिखकर इस दुर्घटना की NIA जांच कराने की मांग की।

हादसे के करीब 1 महीने बाद 24 फरवरी, 2017 को प्रधानमंत्री ने एक चुनावी रैली में कानपुर रेल दुर्घटना एक साजिश बताया था। 

21 अक्टूबर, 2018 को मीडिया में ये रिपोर्ट सामने आई कि NIA कानपुर रेल हादसे के मामले में कोई चार्जशीट दाखिल नहीं करेगी। 

कानपुर ट्रेन हादसे के बारे में NIA की अंतिम रिपोर्ट को लेकर अभी तक कोई आधिकारिक जानकारी सामने नहीं आई है।



यात्रियों की सुरक्षा के बारे में रेल मंत्री के दावों की पोल खुली



प्रधानमंत्री को लिखे पत्र में खड़गे ने ये आरोप भी लगाया है कि केंद्र सरकार का रेलवे में सुरक्षा संबंधी तकनीकी खामियों को दूर करने का कोई इरादा नहीं है। दरअसल, वो इस हादसे के लिए जवाबदेही तय करने के किसी भी प्रयास से देश का ध्यान भटकाने के लिए लीपापोती कर रही है। उन्होंने लिखा है कि ओडिशा का रेल हादसे पूरे देश की आंखें खोलने वाला है। इस एक्सीडेंट से रेल यात्रियों की सुरक्षा को लेकर सरकार और रेल मंत्री के सभी खोखले दावे बेनकाब हो गए हैं। मल्लिकार्जुन खड़गे 17 जून 2013 से 26 मई 2014 तक केंद्र में यूपीए गठबंधन की मनमोहन सिंह सरकार में रेल मंत्री रहे हैं।



पहले भी 2 हादसों की जांच CBI को सौंपी, लेकिन नतीजा नहीं निकला- ममता



पूर्व रेल मंत्री और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने भी ओडिशा रेल हादसे की जांच सीबीआई को सौंपने के फैसले का विरोध किया है। उन्होंने बताया कि 12 साल पहले मैंने भी ज्ञानेश्वरी एक्सप्रेस रेल दुर्घटना का मामला जांच के लिए सीबीआई को दिया था, लेकिन उसकी जांच का कोई नतीजा नहीं निकला। मैंने सैंथिया हादसे को लेकर भी जांच सीबीआई को सौंपी थी। उसका भी कोई नतीजा नहीं निकला। उन्होंने मोदी सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि लोग उड़ीसा रेल हादसे के कारणों के बारे में सच्चाई जानना चाहते हैं। ये सच्चाई को दबाने का समय नहीं है। बता दें कि ममता बनर्जी 23 मई 2009 से 19 मई 2011 तक रेल मंत्री रही हैं।



CBI जांच ध्यान भटकाने का कदम- बंसल



उधर पूर्व रेल मंत्री पवन कुमार बंसल ने भी रेल हादसे की सीबीआई जांच असल कारणों से ध्यान भटकाने वाला फैसला बताया है। उन्होंने भी रेल हादसे के बारे में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लिखे गए पत्र में उठाए गए सवालों का समर्थन किया है। उनका कहना है कि रेल हादसे की सीबीआई जांच समझ से परे है। उल्लेखनीय है कि पवन कुमार बंसल 28 अक्टूबर 2012 से 10 मई 2013 तक केंद्र की यूपीए सरकार में रेल मंत्री रहे हैं।



सरकार हेडलाइन मैनेजमेंट में जुटी- जयराम रमेश



कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने भी सीबीआई जांच को लेकर मोदी सरकार पर निशाना साधा है। उन्होंने कहा कि बालासोर रेल हादसे में रेलवे सेफ्टी कमिश्नर की रिपोर्ट आने से पहले ही सीबीआई जांच की घोषणा कर दी गई। ये कुछ और नहीं बल्कि हेडलाइन मैनेजमेंट है। जय राम रमेश ने 2016 में कानपुर के पास हुए इंदौर-पटना एक्सप्रेस हादसे का जिक्र करते हुए सरकार के एनआईए की जांच के ऐलान और उसके हश्र के बारे में भी याद दिलाया है।



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सीबीआई ने शुरू की हादसे की जांच



ओडिशा में 2 जून को हुए रेल हादसे में करीब 278 लोगों की मौत हो गई थी और 1100 से ज्यादा लोग घायल हो गए थे। केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने इस हादसे की जांच सीबीआई से कराने की सिफारिश की थी। इसके बाद सीबीआई ने मंगलवार, 6 जून को आधिकारिक तौर पर ट्रेन हादसे की जांच अपने हाथ में ले ली। हालांकि सीबीआई जांच के ऐलान से पहले रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने ये भी कहा था कि इस हादसे के मूल कारण और इसके लिए जिम्मेदार लोगों की पहचान कर ली गई है।


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