Kolkata Rape Murder Case Hearing : सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ (Chief Justice DY Chandrachud) की अध्यक्षता में पीठ कोलकाता रेप मर्डर मामले (Kolkata rape murder case) की सुनवाई कर रही है। इस दौरान CJI ने कहा कि डॉक्टरों को काम पर लौटना पड़ेगा। डॉक्टरों के खिलाफ किसी तरह की कार्रवाई नहीं होगी। हम समझते हैं कि वे उदास हैं लेकिन आपको काम पर लौटना होगा। दरअसल डॉक्टरों ने कोर्ट को बताया था कि प्रोटेस्ट में शामिल होने की वजह से उन्हें प्रताड़ित किया जा रहा है।
केंद्र सरकार की ओर से SC में 5 वकीलों की टीम
कोलकाता रेप मर्डर मामले पर केंद्र सरकार की ओर से पांच वकील कोर्ट में मौजूद हैं। इनमें सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता, एडवोकेट माधव सिंहल, एडवोकेट अर्कज कुमार, एडवोकेट स्वाति घिल्डियाल और एमके मारोरिया शामिल हैं।
Supreme Court says let the health professionals return to work and once they return to duties the court will prevail upon authorities to not take adverse action.
— ANI (@ANI) August 22, 2024
Supreme Court says how would the public health infrastructure function if doctors did not return to work.
सुप्रीम कोर्ट ने मामले पर उठाए कई सवाल
सुप्रीम कोर्ट ने पंचनामे को लेकर भी कई सवाल उठाए हैं। कोर्ट ने कहा कि अगर स्वाभाविक मौत थी तो पोस्टमार्टम क्यों किया गया? पोस्टमार्टम के बाद एफआईआर से हैरानी होती है।
Justice JB Pardiwala remarks that the entire procedure followed by the WB state is something which he has not come across...
— ANI (@ANI) August 22, 2024
Justice Pardiwala further raises doubt on the conduct of the assistant superintendent of police and asks why did she act in this manner.
CJI की वकीलों को हिदायत- सोशल मीडिया पोस्ट के आधार पर न दें तर्क
कोलकाता मामले पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई जारी है। इस दौरान सीजेआई चंद्रचूड़ ने वकीलों को हिदायत देते हुए कहा कि वे अपने तर्क सोशल मीडिया पोस्ट के आधार पर तैयार नहीं करें। हमारे पास पोस्टमार्टम रिपोर्ट है। उन्होंने 151 एमएल सीमेन मिलने वाली थ्योरी को खारिज कर दिया।
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता (Solicitor General Tushar Mehta) ने कहा कि पुलिस का ये आरोप सरासर गलत है कि डॉक्टर की मौत से सदमे में आए उसके पिता ने शुरुआत में FIR दर्ज नहीं करने को कहा था। लेकिन बाद में पिता के कहने पर FIR दर्ज हुई। सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि एफआईआर हॉस्पिटल ने नहीं बल्कि पीड़िता के पिता ने दर्ज कराई। कोलकाता पुलिस का यह आरोप गलत है कि पीड़िता के पिता ने ही एफआईआर दर्ज नहीं करने को कहा था।
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