बदलेंगे लिव इन रिलेशन, शादी-तलाक, बच्चा गोद लेने के नियम, मुस्लिम महिलाओं के बढ़ेंगे हक, ऐसा है समान नागरिक संहिता का ब्लूप्रिंट

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Sunil Shukla
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बदलेंगे लिव इन रिलेशन, शादी-तलाक, बच्चा गोद लेने के नियम, मुस्लिम महिलाओं के बढ़ेंगे हक, ऐसा है समान नागरिक संहिता का ब्लूप्रिंट

NEW DELHI. देश में समान नागरिक संहिता (Uniform Civil Code) का कानून लागू होने पर बहुविवाह प्रथा (एक से ज्यादा शादी) पर रोक लगेगी। लिव इन रिलेशनशिप का डिक्लेरेशन जरूरी होगा। इसी सूचना- रिलेशनशिप में रहने वाले लड़की और लड़के, यानी दोनों के माता-पिता को दी जाएगी। शादी का रजिस्ट्रेशन अनिवार्य होगा। इसके बिना पति और पत्नी दोनों में से किसी को भी सरकारी सुविधा का लाभ नहीं मिलेगा। मुस्लिम समाज में हलाला और इद्दत की प्रथा पर रोक होगी। मुस्लिम महिलाओं को बच्चा गोद लेने का भी अधिकार मिलेगा। ये सभी प्रावधान एक समान नागरिक कानून लागू करने के लिए उत्तराखंड सरकार द्वारा जस्टिस रंजना देसाई की अध्यक्षता में गठित कमेटी ने सुझाए हैं। सूत्रों के अनुसार इसी कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर पूरे देश में यूसीसी लागू करने के लिए मॉडल कानून तैयार किया जाएगा। 



सभी राज्यों के लिए ब्लूप्रिंट होगी उत्तराखंड की रिपोर्ट 



बताया जा रहा है कि  देश में समान नागरिक संहिता लागू करने के लिए केंद्र सरकार और विधि आयोग को उत्तराखंड में जस्टिस रंजना देसाई की अध्यक्षता में गठित कमेटी की रिपोर्ट का इंतजार है। इस कमेटी ने अपनी रिपोर्ट तैयार करने के लिए कई चरणों में नागरिकों और विभिन्न धार्मिक संगठनों के करीब 2.50 लाख सुझावों पर विचार किया किया है। इन्हीं सुझावों के आधार पर कमेटी ने अपनी रिपोर्ट तैयार की है, जो अब अंतिम चरण में है। इस रिपोर्ट को पूरे देश में यूसीसी को लागू करने का ब्लूप्रिंट माना जा रहा है।



रिपोर्ट में ये प्रावधान शामिल, एक से ज्यादा शादी पर रोक लगेगी 




  • पॉलीगैमी यानी बहुविवाह पर रोक लगेगी। इसका मतलब है कि किसी भी धर्म के नागरिक को एक से ज्यादा शादी करने की इजाजत नहीं होगी।  


  •  लड़कियों की शादी की आयु बढ़ाई जाएगी ताकि वे शादी से पहले ग्रेजुएट हो सकें।

  • लिव इन रिलेशनशिप का डिक्लेरेशन जरूरी होगा। दोनों के माता-पिता को इसकी सूचना दी जाएगी।

  •  उत्तराधिकार में लड़कियों को लड़कों के बराबर का हिस्सा मिलेगा। 

  •  एडॉप्शन (गोद लेना) का अधिकार सभी धर्मों के लोगों को होगा। मुस्लिम महिलाओं को भी मिलेगा गोद लेने का अधिकार। गोद लेने की प्रक्रिया आसान की जाएगी।



  • तलाक के लिए पति-पत्नी का समान आधार 




    • मुस्लिम समाज में हलाला और इद्दत की प्रथा पर रोक लगेगी। 


  •  शादी का अनिवार्य रजिस्ट्रेशन होगा। बगैर रजिस्ट्रेशन के पति-पत्नी को किसी भी सरकारी सुविधा का लाभ नहीं मिलेगा।

  • पति-पत्नी दोनों को तलाक लेने के समान आधार उपलब्ध होंगे। तलाक का जो ग्राउंड पति के लिए लागू होगा, वही पत्नी के लिए भी लागू होगा।



  • नौकरीपेशा बेटे की मौत पर मुआवजे में माता-पिता का भी हिस्सा   




    • नौकरीपेशा बेटे की मौत पर पत्नी को मिलने वाले मुआवजे में बुजुर्ग माता-पिता के भरण-पोषण की भी जिम्मेदारी। यदि पत्नी पुनर्विवाह करती है तो पति की मौत पर मिलने वाले कंपेंशेसन में माता-पिता का भी हिस्सा होगा।


  • मेंटेनेंसः यदि पत्नी की मौत हो जाती है और उसके माता-पिता का कोई सहारा ना हो, तो उनके भरण- पोषण की जिम्मेदारी पति की होगी। 



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    परिवार में बच्चों की संख्या का कानून सभी के लिए समान होगा




    •  गार्जियनशिपः बच्चे के अनाथ होने की सूरत में गार्जियनशिप (अभिभावक) की प्रक्रिया को आसान किया जाएगा।


  • पति-पत्नी के झगड़े की सूरत में बच्चों की कस्टडी उनके ग्रैंड पैरेंट्स को दी जा सकती है।

  • जनसंख्या नियंत्रण के लिए परिवार में बच्चों की संख्या सभी धर्मों के नागरिकों के लिए समान होगी। 



  • उत्तराखंड की रिपोर्ट का इंतजार क्यों? 



    उत्तराखंड की तर्ज पर गुजरात और मध्यप्रदेश की बीजेपी सरकार ने भी समान नागरिक संहिता लागू करने का वादा किया है। केंद्र सरकार की तरह इन दो राज्य सरकारों को भी जस्टिस रंजना कमेटी की रिपोर्ट का इंतजार है। समान नागरिक संहिता कानून पर गुजरात कैबिनेट मुहर भी लगा चुकी है। बता दें कि पिछले साल दिसंबर में तत्कालीन कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने राज्यसभा में कहा था कि समान नागरिक संहिता को सुरक्षित करने के प्रयास में राज्यों को उत्तराधिकार, विवाह और तलाक जैसे मुद्दों को तय करने वाले व्यक्तिगत कानून बनाने का अधिकार दिया गया है। वहीं, केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में पेश अपने एक हलफनामे में कहा था कि देश के सभी नागरिकों के लिए समान नागरिक संहिता लागू करना सरकार की जिम्मेदारी है।


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