कथावाचक अनिरुद्धाचार्य इन दिनों अपने बयानों को लेकर खूब चर्चा में हैं। इनकी चर्चा इस कदर है कि कथावाचक पर लगातार मीम की बाढ़ आ गई है। दरअसल हाल के वायरल बयान में अनिरुद्धाचार्य ने बिस्कुट को जहरीला बता दिया था उन्होंने कहा था कि आप बिस्कुट ज्यादा खाते हैं बिस्कुट का मतलब क्या है? विष की कीट, विष मतलब? जहर की किट। जिसमें जहर कूट के भरा हो... आप लोग चाय और बिस्कुट खूब खाते हैं। बिस्कुट में मैदा और शक्कर के अलावा और क्या है? अब बाबा के इस बयान पर उनको लोग ट्रोल रहे हैं।
महिलाओं पर बाबा दें चुके हैं ये बयान
अनिरुद्धाचार्य के महिलाओं के बारे में कई ऐसे बयान हैं जो आपत्तिजनक हैं। बात कर लेते है साल अक्टूबर 2022 में उनके ऐसे ही एक बयान पर खूब बवाल हुआ। उन्होंने अपनी एक सभा में माता सीता और द्रौपदी को लेकर विवादित बयान दिया था द्रौपदी की भरी सभा में साड़ी क्यों खींची गई, क्योंकि द्रौपदी भी जरूरत से ज्यादा सुंदर थीं। सीता का हरण इसलिए हुआ क्योंकि वो जरुरत से ज्यादा से अधिक सुंदर थीं। बाबा अपने इस बयान पर खूब ट्रोल हुए। यहां तक की लोगों ने बाबा को अपमानजनक और गलत अवधारणा पेश करने वाला भी बता डाला।
कुमार विश्वास ने दी प्रतिक्रिया
लोगों ने बाबा अनिरुद्धाचार्य पर कई तरह के सवाल उठाए। हिंदी कवि कुमार विश्वास ने इस बयान पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए लिखा है कि यानी माता सीता के हरण, दुशासन द्वारा याज्ञसेनी के चीर-हरण के लिए वे पापी नहीं, हमारी माताएं दोषी थीं? कैसी प्रचंड मूर्खता है?
यानि माता सीता के हरण, दुशासन द्वारा याज्ञसेनी के चीर-हरण के लिए वे पापी नहीं हमारी माताएँ दोषी थीं ? कैसी प्रचंड मूर्खता है?पर समस्या ये है कि हमारे तथाकथित धर्म-संस्कृति रक्षक भी इस पर कुछ नहीं बोलेंगें क्यूँकि उनकी भावनायें भी बस अपने विपक्षी राजनैतिक ख़ेमों पर ही आहत होती हैं pic.twitter.com/6CIEnvaOTc
— Dr Kumar Vishvas (@DrKumarVishwas) October 13, 2022
कौन हैं कथावाचक अनिरुद्धाचार्य
कथावाचक अनिरुद्धाचार्य का जन्म 27 सितंबर 1989 को मध्य प्रदेश के जबलपुर शहर से 9 किलोमीटर दूर रेवझ गांव में हुआ। उन्होंने वृंदावन में रहकर वेद पुराण और शास्त्रों का अध्ययन किया। यहीं पर उन्हें रामानुजाचार्य संप्रदाय से आने वाले संत गिरिराज शास्त्री से दीक्षा मिली। इसके बाद अनिरुद्धाचार्य ने अपनी जन्मस्थली पर ही पहली बार कथावाचन किया।
साल 2019 के मई महीने में वृंदावन में ही उन्होंने अपने आश्रम की नींव डाली। नाम दिया गया- गौरी गोपाल आश्रम काम बन गया उनकी कथा सुनने हजारों लोगों की भीड़ पहुंचने लगी। सोशल मीडिया का सहारा मिला तो और पॉपुलर हुए। कथा सुनने आए लोग अपनी निजी जिंदगी से जुड़ी समस्याओं को लेकर इन तक पहुंचने लगे। लोग से बातचीत और उनको सुझाए गए समाधान के वीडियो वायरल होने लगे।
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