लोकसभा चुनाव 2024 ( lok sabha election 2024 ) के हर चरण में चुनाव की रंगत और तस्वीर बदलती रही। वैसे तो एक दूसरे पर सियासी हमले महीनों पहले शुरू हो गए थे लेकिन मतदान की नजदीकी के साथ जरूरत के मुताबिक रणनीति बदलती रही। जुबानों से निकले तीर और जहरीले होते गए। किसी चरण में पक्ष को फायदा दिखा तो किसी में विपक्ष ने भी बाजी मारी। आइए जानते हैं सातों चरण में कौन से मुद्दे हावी रहे, किन मुद्दों पर कौन से गठबंधन ने बाजी मारी...
पहला चरण : 19 अप्रैल
21 राज्य- 102 सीटें
भाजपा को ही लगा झटका
आम चुनाव में कांग्रेस का घोषणा पत्र जारी होने पर गहमागहमी नजर आई। इसमें मुस्लिम पर्सनल लॉ ( muslim personal law ) के प्रति जताई गई कांग्रेस की प्रतिबद्धता और यूसीसी के विरोध को भाजपा ने हाथों हाथ लेते हुए इसे मुस्लिम लीग का घोषणा पत्र करार दिया। जवाब में कांग्रेस ने चुनावी बॉन्ड में कथित हेरफेर को मुद्दा बनाया।
मतदान के पांच दिन पहले जारी भाजपा ने अपने घोषणा पत्र में यूसीसी, एक देश एक चुनाव के प्रति प्रतिबद्धता जताई। घोषणा पत्र को साम्प्रदायिक ध्रुवीकरण की कोशिश करार देते हुए कांग्रेस ने इसे झूठ का पुलिंदा करार दिया। पहले चरण में 19 अप्रैल को 21 राज्यों की 102 सीटों पर मतदान हुआ था। इनमें आठ सीटें पश्चिमी यूपी की थीं जिन पर सपा और कांग्रेस ने पहले से बेहतर प्रदर्शन किया।
नहीं मिला भाजपा को फायदा
इस चरण में भाजपा की सीटों की संख्या 37 से घट कर 30 पर पहुंच गईं। कांग्रेस और इंडी गठबंधन को बड़ा लाभ हुआ। पिछले चुनावों में जहां 14 सीटें मिलीं थीं वहीं इस बार गठबंधन को 53 सीटें मिलीं।
प्रचार युद्ध के तीर
विकास की बात से शुरू हुआ प्रचार युद्ध पार्टियों पर हमले तक पहुंचा। कुछ ही दिनों में नेताओं पर व्यक्तिगत टिप्पणियां शुरू हो गईं। कांग्रेस के राहुल गांधी जहां निशाना बने, वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी विपक्ष ने नहीं छोड़ा और तानाशाह बताया।
दूसरा चरण: 26 अप्रैल
13 राज्य- 89 सीटें
कांग्रेस ने धार्मिक भावनाएं भड़काने के आरोप लगाए
भाजपा ने दूसरे चरण के चुनाव प्रचार में ओबीसी आरक्षण में मुस्लिम कोटा देने का मुद्दा उठाया। साथ ही कांग्रेस के घोषणा पत्र में संपत्ति के समान वितरण के वादे को आरक्षण में मुस्लिम कोटे से जोड़ा। इसी बीच कांग्रेस नेता सैम पित्रोदा के विरासत कर संबंधी सुझाव चुनाव प्रचार में अहम मुद्दा बना।
विवाद से बैकफुट पर दिखी कांग्रेस ने पित्रोदा के बयान से दूरी बना ली। पीएम ने यूपीए सरकार के मुखिया रहे मनमोहन सिंह के संसाधनों पर मुसलमानों के पहले हक को भी मुद्दा बनाया। उनके मंगलसूत्र और संपत्ति छीन कर मुसलमानों को दे देने के आरोप की जंग चुनाव आयोग के दरवाजे तक भी पहुंची। कांग्रेस ने उन पर धार्मिक भावनाएं भड़काने के आरोप लगाए। हालांकि जिस बांसवाड़ा में पीएम ने यह बयान दिया था वहां के लोगों ने इसे पसंद नहीं किया। यहां भाजपा प्रत्याशी भारत आदिवासी पार्टी प्रत्याशी राजकुमार बरोट से 2,47,054 वोटों से हार गए।
भाजपा को कुछ लाभ
इस चरण की 89 सीटों में से भाजपा को एक सीट का नुकसान हुआ। भाजपा की सीटों की संख्या 48 से घटकर 47 और राजग की सीटों की संख्या 57 से घटकर 52 हो गई। कांग्रेस व गठबंधन की सीटों की संख्या 17 से बढ़ कर 27 हो गईं।
राममंदिर भी मुद्दा
भाजपा ने इस चरण में राममंदिर के प्राण प्रतिष्ठा समारोह में विपक्षी नेताओं के न पहुंचने का मुद्दा भी उठाया लेकिन इसका असर यूपी में उतना होता नहीं दिखा जिसकी उम्मीद भाजपा कर रही थी। कांग्रेस ने संविधान बदलने का आरोप लगाया।
तीसरा चरण : 7 मई
12 राज्य- 94 सीटें
संविधान ने कांग्रेस को पहुंचाया फायदा
तीसरे चरण में 12 राज्यों की 94 सीटों पर चुनाव हुआ। इनमें यूपी की 10 सीटें शामिल थीं। इस दौरान राजग और इंडी गठबंधन के बीच संविधान के सवाल पर वार पलटवार हुआ। दोनों पक्षों ने एक दूसरे पर संविधान के खिलाफ साजिश के आरोप लगाए। भाजपा ने एक बार फिर ओबीसी आरक्षण में मुस्लिम कोटा मामले में कांग्रेस को घेरा। पीएम मोदी ने कांग्रेस को सत्ता में आने पर संविधान के खिलाफ जा कर मुस्लिम कोटा लागू नहीं करने की घोषणा करने की चुनौती दी।
पीएम ने कांग्रेस के शासनकाल में संविधान की मूल प्रति में बदलाव, आपातकाल लागू करने और शाहबानो मामले में सुप्रीम कोर्ट का फैसला पलटने की याद दिलाई। कांग्रेस के नेताओं ने आरोप लगाया कि भाजपा का 400 पार का नारा दरअसल प्रचंड बहुमत के सहारे संविधान और आरक्षण की व्यवस्था को ध्वस्त करने की साजिश है। एनडीए की 16 सीटें कम रह गईं।
यह दिखा असर
इस चरण में मतदाताों ने एनडीए और विपक्षी गठबंधन दोनों दलों को बराबर रखा। कांग्रेस कुछ बढ़ी तो भाजपा को करीब 16 सीटों का नुकसान हुआ।
चौथा चरण : 13 अप्रैल
10 राज्य- 96 सीटें
नुकसान से बची भाजपा
चौथा चरण जिसके तहत 13 मई को 10 राज्यों की 96 सीटों पर वोट पड़े, उसमें अपनी ही पार्टी के वरिष्ठ नेताओं मणिशंकर अय्यर और सैम पित्रोदा के बयान से कांग्रेस रक्षात्मक दिखी। अय्यर ने पाकिस्तान के परमाणुशक्ति संपन्न होने की दलील देते हुए सरकार को उसे सम्मान देने की नसीहत दी। जबकि पित्रोदा ने यह कह कर कांग्रेस को उलझा दिया कि भारत में पूर्व के लोग चीनी जैसे, दक्षिण के लोग अफ्रीकी जैसे, पश्चिम के अरबी और उत्तर भारत के ब्रिटिश जैसे लगते हैं।
भाजपा के तीखे हमले के बीच कांग्रेस को पित्रोदा का इस्तीफा लेना पड़ा तो अय्यर से दूरी बनानी पड़ी। वार-पलटवार के बीच पीएम ने कहा कि कांग्रेस गठबंधन के नेता पाकिस्तान से इतने डरे हुए हैं कि उन्हें सपने में परमाणु बम दिखाई देता है। भाजपा को सिर्फ तीन सीट का नुकसान हुआ।
ऐसा रहा असर
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मणिशंकर अय्यर, सैम पित्रोदा के बयान का फायदा इस तरह दिखा कि भाजपा को इस चरण में कम नुकसान हुआ।
पांचवां चरण : 20 मई
आठ राज्य- 49 सीटें
भाजपा का दांव उल्टा, सपा को मिलीं सात सीटें
पांचवें चरण के तहत 8 राज्यों की 49 सीटों पर वोट पड़े। इनमें 14 सीटें भाजपा की थीं। मोदी सरकार ने नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) पर दांव लगाते हुए पाकिस्तान के हिंदू शरणार्थियों को नागरिकता देने का सिलसिला शुरू किया। वाराणसी में नामांकन करने पहुंचे पीएम मोदी ने एक बार फिर कांग्रेस पर सनातन विरोधी होने का आरोप लगाते हुए दावा किया कि सत्ता में आने पर विपक्ष राममंदिर पर बुलडोजर चलवा देगा लेकिन इसका असर यूपी और राममंदिर वाले इलाकों में ही कम दिखा जबकि अयोध्या में ही सपा प्रत्याशी जीत गए। इस चरहण में सपा को सात सीटें मिलीं। केजरीवाल को सुप्रीम कोर्ट से मिली जमानत के सहारे विपक्ष ने मोदी सरकार द्वारा केंद्रीय जांच एजेंसियों के दुरुपयोग को फिर से मुद्दा बनाया। इसी बीच आप की राज्यसभा सांसद मालीवाल के साथ सीएम आवास में कथित मारपीट के मुद्दे पर भी जमकर वार पलटवार हुआ।
ऐसा दिखा असर
राममंदिर को मुद्दा बनाने के बाद भी भाजपा को अयोध्या में ही हार का सामाना करना पड़ा। यहां से सपा प्रत्याशी ने जीत हासिल की।
छठा चरण : 25 मई
सात राज्य- 58 सीटें
भाजपा ने दिल्ली किया साफ
छठे चरण में 8 राज्यों की 58 सीटों पर मतदान हुआ। इस चरण में दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाती मालीवाल के साथ मारपीट के कारण महिला सुरक्षा मुद्दा बना। जैसे जैसे मामला गरमाया, भाजपा ने भी मुद्दा बनाया। दिल्ली की सातों सीटें भाजपा जीत गई। कोलकाता हाईकोर्ट द्वारा पश्चिम बंगाल में ओबीसी प्रमाण पत्र रद्द करने के बाद भाजपा आरक्षण में मुस्लिम कोटा के सवाल पर हमलावर हुई। कांग्रेस और इंडी गठबंधन ने एक बार फिर संविधान पर खतरे की बात लगातार दुहराई। इसी बीच चुनाव आयोग ने भाजपा को धर्म-संप्रदाय की राजनीति से बचने तो कांग्रेस को संविधान खत्म करने जैसे दावे न करने की नसीहत दी। इस चरण में सांप्रदायिक बयानों पर चुनाव आयोग को कांग्रेस और भाजपा पर सख्ती भी करनी पड़ी।
दिल्ली में भाजपा का दम
बीते चुनाव में अपने दम पर 40 सीटें जीतने वाली भाजपा इस बार भले ही पांच सीटें कम ला सकी लेकिन दिल्ली में ताकत दिखाने में कामयाब रही। परिणाम बताते हैं कि इस चरण में संविधान बनाम मुस्लिम कोटा की जंग के बावजूद पिछले चुनाव के मुकाबले कांग्रेस और सहयोगी दलों को 18 सीट का फायदा हुआ।
उम्मीद से कम नहीं
भाजपा ने इस चरण में भी पूरा जोर लगाया और दिल्ली की सभी सीटों पर जीत हासिल कर ली तो इसके पीछे महिला सुरक्षा और आरक्षण में मुस्लिम कोटे का मुद्दा अहम रहा। सांप्रदायिक ध्रुवीकरण का भी प्रयास किया गया।
सातवां चरण : 01 जून
8 राज्य- 57 सीटें
अंतिम चरण में विपक्ष को 21 सीटें ज्यादा
अंतिम चरण में सात राज्यों और एक केंद्रशासित प्रदेश की 57 सीटों पर मतदान हुआ। इस दौरान प्रधानमंत्री मोदी की चुनाव बाद तेजस्वी समेत सभी भ्रष्ट नेताओं को जेल भेजने की चेतावनी पर जम कर जुबानी जंग हुई। पीएम ने प. बंगाल में एससी-एसटी-ओबीसी का आरक्षण मुस्लिम घुसपैठियों को दिए जाने के अलावा शरणार्थियों को नागरिकता का मुद्दा भी भाजपा ने गरमाया लेकिन उसे बहुत फायदा नहीं हुआ और बंगाल में तृणमूल ने पहले से ज्यादा सीटें जीतीं। वहीं कांग्रेस को भी फायदा हुआ।
मतदान से एक दिन पहले पीएम मोदी का कन्याकुमारी में ध्यान लगाना चर्चा का विषय बना। विपक्ष ने चुनाव आयोग से इसका प्रसारण मीडिया में नहीं होने देने की व्यवस्था करने की अपील की हालांकि इसका कुछ खास असर भाजपा के पक्ष में नहीं हुआ। इस चरण में भाजपा ने शरणार्थियों को नागरिकता देने का मुद्दा भी उठाया लेकिन उससे बहुत फायदा नहीं हुआ।
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