रेल मंत्रालय ने 10 हजार इंजनों पर कवच 4.0 लगाने की मंजूरी दी है। मंत्रालय ने कवच की सभी मौजूदा स्थापनाओं के लिए कवच 4.0 में अपग्रेडेशन को मंजूरी दी है। इसे सभी नई परियोजनाओं में लगाया जाएगा। माना जा रहा है कि मंत्रालय के इस फैसले से देश में अब रेल सुरक्षा और मजबूत होगी। रेलवे के मानक निर्धारण संगठन आरडीएसओ ने कवच संस्करण 4.0 को मंजूरी दी है।
कवच प्रणाली-स्वचालित ट्रेन सुरक्षा (एटीपी)
- एटीपी प्रणाली रेल परिवहन में उपयोग की जाने वाली एक सुरक्षा प्रणाली है, जो ट्रेनों को सुरक्षित गति से अधिक या खतरे में सिग्नल पास करने से रोकती है। यह स्वचालित रूप से ट्रेन की गति को नियंत्रित करती है और दुर्घटनाओं को रोकने के लिए यदि आवश्यक हो तो ब्रेक लगा सकती है।
- एटीपी प्रणाली आधुनिक रेलवे सिग्नलिंग सिस्टम का एक महत्वपूर्ण घटक है, जो मानवीय त्रुटि के खिलाफ सुरक्षा प्रदान करता है और ट्रेनों के सुरक्षित संचालन को सुनिश्चित करता है।
कवच-विकास और समय सीमा
- 2014-15: SCR (South Central Railway) पर 250 किमी की पायलट परियोजना खंड की योजना बनाई गई।
- 2015-16 : यात्री ट्रेनों पर पहला परीक्षण।
- 2017-18 : कवच विनिर्देशन संस्करण 3.2 को अंतिम रूप दिया गया।
- 2018-19 : ISA के आधार पर RDSO द्वारा तीन फर्मों को मंजूरी दी गई।
- जुलाई 2020 : 'कवच' को राष्ट्रीय ATP प्रणाली घोषित किया गया।
- मार्च 2022 तक : दूसरे 1200 रूट किलोमीटर में कवच स्थापित किया गया। (अब तक कुल 1,465 रूट किलोमीटर स्थापित)
- मार्च 2022 : विभिन्न उपयोग मामलों और स्थापना के अनुभव के आधार पर बेहतर विश्वसनीयता और सुधारित कार्यक्षमताओं के लिए के लिए कवच विनिर्देशन संस्करण 4.0 जाने का निर्णय लिया गया।
- सितंबर 2024 को इतनी कम अवधि में, मिश्रित यातायात, गति अंतर, लोको की विविधता, कोचिंग और आईआर पर वैगन स्टॉक की विभिन्न चुनौतियों पर पार पाते हुए कवच संस्करण 4.0 विनिर्देशन को मंजूरी दी गई।
- कवच की तैनाती के लिए सबसे पहले उच्च घनत्व वाले दिल्ली-मुंबई और दिल्ली-हावड़ा रूट (करीब 3,000 रूट किमी) रूट चुने गए। इन दो रूटों को इसी वित्तीय वर्ष में पूरा कर लिया जाएगा। कवच 4.0 में अपग्रेड करने के तुरंत बाद एक-एक रेलखण्ड को पूरा करते हुए कमीशनिंग शुरू हो जाएगी।
- अगले खंडों दिल्ली- चेन्नई और मुंबई-चेन्नई खंड और अन्य खंड (9,000 आरकेएम) के लिए निविदाएं आमंत्रित की गई हैं।
- आरडीएसओ द्वारा कवच 4.0 को मंजूरी दिए जाने के साथ ही रेल मंत्रालय ने 10 हजार इंजनों पर कवच 4.0 की स्थापना को मंजूरी दे दी है।
- इससे कुछ वर्षों में पूरे नेटवर्क पर कवच की तेजी से स्थापना में मदद मिलेगी।
- कवच 4.0 का पहला परीक्षण 16 सितंबर को सवाईमाधोपुर से कोटा खंड के बीच 108 किमी के लिए किया गया भारतीय रेलवे ने 16 जुलाई को कवच 4.0 को मंजूरी दी और दो महीने में कोटा-सवाईमाधोपुर के बीच कवच 4.0 की स्थापना और कमीशनिंग हुई।
कवच की मुख्य विशेषताएं
- लोको पायलट द्वारा ब्रेक लगाने में विफल रहने पर स्वचालित रूप से ब्रेक लगाना।
- ड्राइवर कैब में लाइन-साइड सिग्नल प्रदर्शित करता है।
- मूवमेंट अथॉरिटी (Control Room) को रेडियो आधारित निरंतर अपडेट
- समपार फाटक पर ऑटोमेटिक सीटी बजाना।
- एक लोको से दूसरे लोको तक सीधे संचार द्वारा टकराव से बचाव।
- किसी दुर्घटना की स्थिति में SOS को मैसेज भेजना।
कवच के मुख्य घटक
कवच एक अत्यंत प्रौद्योगिकी गहन प्रणाली है और इसमें शामिल हैं
स्टेशन कवच : लोको कवच, सिग्नलिंग सिस्टम से सूचना प्राप्त करता है और लोकोमोटिव को गाइड करता है।
आरएफआईडी टैग : ट्रेन की लोकेशन और दिशा निर्धारित करने के लिए 1 किमी और हर सिग्नल पर ट्रैक पर लगाए जाते हैं।
संचार बैकबोन : लोको और स्टेशन के बीच सूचना का आदान-प्रदान करने के लिए ट्रैक के साथ टावर और ओएफसी।
लोको कवच : आरएफआईडी टैग पढ़ने के लिए। ब्रेकिंग सिस्टम के साथ एकीकृत, स्टेशन कवच के साथ संचार करता है और ड्राइवर द्वारा ऐसा करने में विफल होने पर स्वचालित ब्रेक लगाता है।
कवच की तैनाती दो चरणों में की जाएगी
पहला चरण
- अगले 4 वर्षों में सभी लोकोमोटिव में कवच का प्रावधान।
- आरएफआईडी के माध्यम से सीमित ब्लॉक सेक्शन कवच सुरक्षा।
दूसरा चरण
- स्टेशन और यार्ड कवच उपकरण का प्रावधान।
- पूर्ण कमीशनिंग।
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