महात्मा गांधी के पास ब्रिटेन के इनर टैंपल कॉलेज की लॉ की डिग्री थी, J&K के एलजी मनोज सिन्हा ने कहा था- कोई डिग्री नहीं थी

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Atul Tiwari
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महात्मा गांधी के पास ब्रिटेन के इनर टैंपल कॉलेज की लॉ की डिग्री थी, J&K के एलजी मनोज सिन्हा ने कहा था- कोई डिग्री नहीं थी

BHOPAL. जम्मू कश्मीर के उपराज्यपाल (एलजी) मनोज सिन्हा का एक बयान सुर्खियों में है। उन्होंने ग्वालियर की एक निजी यूनिवर्सिटी के कार्यक्रम में महात्मा गांधी पर बड़ा बयान दे डाला। निजी यूनिवर्सिटी में आयोजित राममनोहर लोहिया व्याख्यानमाला को संबोधित करते हुए मनोज सिन्हा ने दावा किया, ‘अधिकतर लोगों को भ्रांति है कि गांधी जी के पास लॉ की डिग्री थी। सच्चाई यह है कि उनके पास कोई डिग्री नहीं थी। इस बयान को लेकर विवाद हो गया। सच ये है कि महात्मा गांधी के पास कानून की डिग्री थी। उन्होंने इनर टैंपल से लॉ की पढ़ाई की थी। इनर टैंपल कॉलेज के तरफ से जारी डॉक्यूमेंट में बाकायदा इस बात का जिक्र है कि गांधी जी वहां कितने दिन रहे।



गांधी जी गुजरात में पढ़ाई



एमकेगांधी.ऑर्ग के सूसन वॉलेस के आर्टिकल के मुताबिक, गांधी की स्कूली शिक्षा चुनौतियों भरी रही। हालांकि, 1887 में उनका हाईस्कूल अच्छे से हो गया। इसके बाद गांधी जी ने भावनगर के सामलदास आर्ट्स कॉलेज में दाखिला लिया। तब बॉम्बे यूनिवर्सिटी के अंतर्गत आने वाला ये वहां का इकलौता कॉलेज था, जो डिग्री देता था। बाद में गांधीजी ने कॉलेज छोड़ दिया और वे पोरबंदर घर वापस चले गए। कुछ समय बाद गांधीजी ने फिर कॉलेज जाना तय किया। इस बार उन्होंने वहां नया विषय चुना- लॉ यानी कानून। कुछ समय बाद गांधीजी ने तय किया वे इंग्लैंड जाकर पढ़ाई करेंगे। इसके लिए भी उनके सामने चुनौतियों का पहाड़ खड़ा था। मां पुतलीबाई उन्हें बाहर भेजने के लिए तैयार नहीं थीं। पोरबंदर में उनके जानने वालों का कहना था कि विदेश जाकर मोहन वहां की आदतें (शराब, मांस, महिलाओं से संपर्क) ले लेगा। पर गांधी जी ने प्रतिज्ञा ले ली कि वे इंग्लैंड में इन चीजों से दूर रहेंगे।  



ब्रिटानिका के मुताबिक, परिवार गांधीजी के भविष्य के बारे में सोच रहा था। गांधीजी डॉक्टर बनना चाहते थे। परिवार वैष्णव परंपरा में आस्था थी। इससे साफ था कि वे किसी चीर-फाड़ वाले काम को नहीं चुन सकते थे। मोहन के पिता करमचंद गांधी राजकोट रियासत के दीवान थे और उन्हें (महात्मा गांधी) उन्हें गुजरात में किसी उच्च पद पर आसीन होने की पारिवारिक परंपरा को बनाए रखना था। इसके लिए सबसे अच्छा होता कि वे बैरिस्टर बनते। उन्होंने यही चुना भी।



गांधीजी का लंदन जाना



गांधीजी सितंबर 1888 में शिप से लंदन के लिए रवाना होते हैं। 10 दिन बाद वे लंदन पहुंच जाते हैं और वहां लंदन लॉ कॉलेज के 4 संस्थानों में से एक इनर टैंपल में एडमिशन लेते हैं। इनर टैंपल की डिग्री में साफ लिखा है कि गांधीजी ने ऑनरेबल सोसाइटी ऑफ इनर टैंपल में एडमिशन लिया। एक हजार रात (करीब 3 साल) वहां रहे। 3 साल में डिग्री पूरी की। आप इनर टैंपल की डिग्री देख सकते हैं।



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स्कूल में एवरेज स्टूडेंट थे गांधीजी



ब्रिटानिका के मुताबिक, मोहनदास को कभी-कभी स्थानीय स्कूलों में पुरस्कार और स्कॉलरशिप मिलीं, लेकिन उनका रिकॉर्ड औसत दर्जे का था। एक टर्मिनल रिपोर्ट ने उन्हें "अंग्रेजी-अंकगणित में अच्छा और भूगोल में कमजोर" बताया। ये भी लिखा- आचरण बहुत अच्छा, लिखावट (राइटिंग) खराब। गांधीजी की कस्तूरबा से शादी 13 साल की उम्र में हुई थी और इस तरह स्कूल में उनका एक साल बर्बाद हो गया था। वे स्कूली दिनों में काफी संकोची हुआ करते थे। वे ना तो क्लास और ना ही खेल के मैदान में खुद को ज्यादा सामने लाते थे। वे अकेले लंबी सैर पर जाना पसंद करते थे। 



गांधी जी बैरिस्टर थे, इस सर्टिफिकेट से पता चलता है



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