NEW DELHI. केंद्र की मोदी सरकार ने 3 अगस्त, गुरुवार को एक बड़ा फैसला लेते हुए कंप्यूटर, लैपटॉप और टैबलेट के आयात पर बैन लगा दिया है। सरकार ने ये बैन एचएसएन 8741 कैटेगरी के तहत देश में आने वाले इलेक्ट्रॉनिक प्रोडक्ट्स पर लगाया गया है। इसमें अल्ट्रा स्मॉल फॉर्म फैक्टर वाले कंप्यूटर, लैपटॉप और सर्वर भी शामिल हैं। वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय ने इस संबंध में एक नोटिफिकेशन जारी करते हुए बताया है कि बैन किए गए इन सामानों के आयात के लिए वैध लाइसेंस लेना जरूरी होगा।
चीन को लगेगा तगड़ा झटका
वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय के नोटिफिकेशन के मुताबिक, एचएसएन 8741 के तहत आने वाले टैबलेट, लैपटॉप, ऑल-इन-वन पर्सनल कंप्यूटर, अल्ट्रा स्मॉल फॉर्म फैक्टर कंप्यूटर और सर्वर का आयात तत्काल प्रभाव से प्रतिबंधित किया गया है। इन बैन हुए सामानों के आयात की अनुमति वैध लाइसेंस के तहत ही दी जाएगी। इसमें ई-कॉमर्स पोर्टल, पोस्ट और कूरियर के माध्यम से खरीदे गए कंप्यूटर भी शामिल हैं।
आसानी से होते थे आयात
अभी तक एचएसएन 8741 के तहत आने वाले इलेक्ट्रॉनिक प्रोडक्ट्स, टैबलेट, लैपटॉप, ऑल-इन-वन पर्सनल कंप्यूटर समेत अन्य सामानों का आयात आसान था, लेकिन अब मोदी सरकार ने मेक इन इंडिया पर जोर देते हुए इस पर बैन लगा दिया है। वहीं दूसरी तरफ इसे चीन के लिए एक झटका भी माना जा रहा है, क्योंकि वहां का इलेक्ट्रॉनिक्स बाजार बहुत बड़ा है और इस तरह के इलेक्ट्रॉनिक प्रोडक्ट्स और गैजेट्स बेचने वाली तमाम बड़ी कंपनियां चीन जैसे देशों से ही भारत में सप्लाई पहुंचाती हैं।
इन शर्त पर आयात होंगे इलेक्ट्रॉनिक्स आइटम्स
वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय की ओर से साफ कर दिया गया है कि सरकार की ओर से बैन किए गए इन इलेक्ट्रॉनिक्स आइटम्स को केवल इस शर्त के साथ आयात की अनुमति दी जाएगी कि आयात होने वाले सामान का उपयोग केवल बताए गए उद्देश्यों के लिए ही किया जाएगा। यानी इन सामानों को बेचा नहीं जाएगा। इसके साथ ही आयात किए प्रोडक्ट का काम पूरा होने के बाद या तो उसे नष्ट कर दिया जाएगा या फिर से निर्यात किया जाएगा।
सरकार ने क्यों लिया ये फैसला ?
यदि भारत सरकार के इस फैसले के पीछे के कारणों का जिक्र करें, तो मेक इन इंडिया पहल को बढ़ावा देने और स्थानीय इलेक्ट्रॉनिक्स सामानों को आगे बढ़ाने के उद्देश्य के साथ टैबलेट, लैपटॉप और पर्सनल कंप्यूटर के आयात पर तत्काल प्रभाव से प्रतिबंध लगाने का ऐलान किया गया है। यदि आसान शब्दों की बात करे तो भारत सरकार का यह कदम विशेष रूप से इलेक्ट्रॉनिक्स सेक्टर पर फोकस करते हुए खुद को ग्लोबल मैन्युफैक्चरिंग सेंटर के रूप में स्थापित करने की महत्वाकांक्षी दृष्टि के अनुरूप लिया है।
लोकल मैन्युफैक्चर्स को होगा फायदा
मेक इन इंडिया मुहिम के बीच में केंद्र सरकार की ओर से लिए गए इस फैसले से लोकल मैन्युफैक्चर्स को फायदा होगा। इसके साथ ही ऐसी विदेशी कंपनियों को भी फायदा होगा। जो देश में लगातार यूनिट प्रोडक्शन कर लोकल सप्लाई और दूसरे देशों को भी ये सामान निर्यात कर रहे हैं। इसके अलावा इस फैसले का असर भारतीय अर्थव्यवस्था पर भी देखने को मिलेगा।