मणिपुर में हिंसा भड़कने के बाद देखते ही गोली मारने का आदेश, कई जिलों में कर्फ्यू, 5 दिन के लिए इंटरनेट बंद, ट्रेनें भी रोकी गईं

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Atul Tiwari
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मणिपुर में हिंसा भड़कने के बाद देखते ही गोली मारने का आदेश, कई जिलों में कर्फ्यू, 5 दिन के लिए इंटरनेट बंद, ट्रेनें भी रोकी गईं

IMPHAL. मणिपुर में ऑल ट्राइबल स्टूडेंट्स यूनियन मणिपुर द्वारा आयोजित एक जन रैली के हिंसक हो जाने के बाद प्रशासन ने देखते ही गोली मारने (शूट ऐट साइट) का आदेश दिया है। राज्य के ज्यादातर जिलो में कर्फ्यू लगा दिया गया है। हालात को काबू करने के लिए सेना और असम राइफल्स के जवानों को तैनात किया गया है। इससे पहले सेना ने कहा था कि उसने राज्य पुलिस के साथ मिलकर हिंसा को कई जगह नियंत्रित कर लिया और फ्लैग मार्च किया। 3 मई से पूरे राज्य में मोबाइल इंटरनेट सेवाओं को पांच दिनों के लिए बंद कर दिया गया है।



मणिपुर में अनुसूचित जनजाति (ST) में मैतेई को शामिल करने की मांग को लेकर हिंसक विरोध जारी है। राजधानी इम्फाल, चुराचांदपुर और अन्य क्षेत्रों में आदिवासियों और मैतेई लोगों के बीच झड़पें हुईं। सेना ने राज्य में सुरक्षा स्थिति से संबंधित फर्जी वीडियो को लेकर लोगों को सतर्क रहने के लिए कहा है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, अब तक हिंसा में 3 लोगों की मौत हुई है। एनएफ रेलवे के सीपीआरओ सब्यसाची डे के मुताबिक, हालात जबतक सही नहीं हो जाते, तब तक कोई ट्रेन मणिपुर में प्रवेश नहीं करेगी। वहीं, भारतीय रेलवे ने बताया कि 4 ट्रेनों को रद्द किया गया है। यह फैसला फिलहाल दो दिन (5 और 6 मई) के लिए लिया गया है।



गृह मंत्री ने हालात की जानकारी ली



केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने 4 मई को मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह से बात की और राज्य की मौजूदा स्थिति की जानकारी ली। इस बीच मणिपुर के मुख्यमंत्री ने एक वीडियो बयान जारी कर राज्य के सभी समुदायों से शांति बनाए रखने की अपील की है। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने ट्वीट कर हिंसा की खबरों पर दुख जताया। उन्होंने कहा, 'ये राजनीति का वक्त नहीं है। राजनीति और चुनाव इंतजार कर सकते हैं, लेकिन हमारे खूबसूरत राज्य मणिपुर को बचाना प्राथमिकता होनी चाहिए।' वहीं, बॉक्सर मैरी कॉम ने एक ट्वीट में आगजनी की कुछ तस्वीरें साझा करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह को टैग करते हुए लिखा- मणिपुर जल रहा है, कृपया मदद करें।



ऐसे भड़की मणिपुर में हिंसा



19 अप्रैल को मणिपुर हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को 4 हफ्ते के भीतर मैतेई समुदाय को अनुसूचित जनजाति (ST) श्रेणी में शामिल करने के अनुरोध पर विचार करने के लिए कहा था। साथ ही कोर्ट ने अपने आदेश में केंद्र सरकार को भी इस पर विचार के लिए एक सिफारिश भेजने को कहा था। इसी के विरोध में ऑल ट्राइबल स्टूडेंट्स यूनियन मणिपुर ने 3 मई को राजधानी इम्फाल से क़रीब 65 किलोमीटर दूर चुराचांदपुर जिले के तोरबंग इलाके में 'आदिवासी एकजुटता मार्च' रैली बुलाई। इस रैली में हजारों लोग शामिल हुए थे। कहा जा रहा है कि उसी दौरान हिंसा भड़क गई।



चुराचांदपुर जिले के अलावा सेनापति, उखरूल, कांगपोकपी, तमेंगलोंग, चंदेल और टेंग्नौपाल समेत सभी पहाड़ी जिलों में इस तरह की रैली निकाली गई थीं। पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी का कहना है कि तोरबंग इलाके में 'आदिवासी एकजुटता मार्च' रैली में हजारों आंदोलनकारी जुटे थे, जिसके बाद जन-जातीय समूहों और गैर-जनजातीय समूहों के बीच झड़पें शुरू हो गईं।



मैतेई समुदाय और पहाड़ी जनजातियों के बीच क्या है विवाद?



मणिपुर की आबादी लगभग 28 लाख है। इसमें मैतेई समुदाय के लोग करीब 53% हैं। ये लोग मुख्य रूप से इम्फाल घाटी में बसे हुए हैं। मैतेई समुदाय को अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने का विरोध कर रही जनजातियों में कुकी एक जातीय समूह है, जिसमें कई जनजातियां शामिल हैं। मणिपुर में मुख्य रूप से पहाड़ियों में रहने वाली विभिन्न कुकी जनजातियां वर्तमान में राज्य की कुल आबादी का 30% हैं। 



पहाड़ी इलाकों में बसी इन जनजातियों का कहना है कि मैतेई समुदाय को आरक्षण देने से वे सरकारी नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में दाखिले से वंचित हो जाएंगे, क्योंकि उनके अनुसार मैतेई लोग ज्यादा आरक्षण को हथिया लेंगे। मणिपुर में हो रही इन हिंसक घटनाओं ने राज्य के मैदानी इलाकों में रहने वाले मैतेई समुदाय और पहाड़ी जनजातियों के बीच पुरानी जातीय दरार को फिर से खोल दिया है।


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