कांग्रेस के वरिष्ठ नेता मणिशंकर अय्यर ने अपनी नई किताब 'ए मैवरिक इन पॉलिटिक्स' (A Maverick in Politics) में कई हैरान करने वाले खुलासे किए हैं। उन्होंने गांधी परिवार से अपनी दूरी, कांग्रेस के पतन के कारणों और 2014 की हार की वजहों पर खुलकर चर्चा की है। अय्यर ने कहा कि पिछले 10 सालों से सोनिया गांधी से मिलने का मौका नहीं मिला, राहुल गांधी से सिर्फ एक बार मुलाकात हुई और प्रियंका गांधी से कभी-कभार फोन पर बात होती है। इस किताब में उन्होंने अपने राजनीतिक करियर के उतार-चढ़ाव और महत्वपूर्ण राजनीतिक घटनाओं का विश्लेषण किया है।
10 साल से सोनिया गांधी से नहीं मिला मौका
मणिशंकर अय्यर ने अपनी किताब में गांधी परिवार से दूरियों का जिक्र किया है। उन्होंने बताया कि पिछले 10 सालों में उन्हें सोनिया गांधी से व्यक्तिगत रूप से मिलने का एक भी मौका नहीं मिला। राहुल गांधी से सिर्फ एक बार मुलाकात हुई, जबकि प्रियंका गांधी से कभी-कभार फोन पर बातचीत हो जाती है। उन्होंने कहा, "मेरा राजनीतिक करियर गांधी परिवार से शुरू हुआ था और उनका ही हाथ इसमें खत्म करने वाला साबित हुआ। उन्होंने कहा कि वह अब कांग्रेस से बाहर रहने की आदत डाल चुके हैं, लेकिन उन्होंने साफ किया कि वह बीजेपी में शामिल नहीं होंगे। उन्होंने कहा, मैं आज भी कांग्रेस का सदस्य हूं और आगे भी रहूंगा।
2014 की हार पर क्या बोले अय्यर
मणिशंकर अय्यर ने कांग्रेस की 2014 की चुनावी हार पर खुलकर बात की। उन्होंने कहा कि 1984 में कांग्रेस के पास 404 सीटें थीं, लेकिन 2014 में यह संख्या 44 पर सिमट गई। अय्यर ने इस हार के लिए कई वजहें गिनाईं, जिनमें भ्रष्टाचार के आरोप, सरकार की नाकामी और मीडिया प्रबंधन की कमी शामिल है। उन्होंने कॉमनवेल्थ गेम्स घोटाले और अन्ना हजारे के इंडिया अगेंस्ट करप्शन आंदोलन को कांग्रेस की छवि के लिए बड़ा झटका बताया। उन्होंने कहा कि 2013 में अन्ना आंदोलन और रामलीला मैदान की घटनाओं ने कांग्रेस के खिलाफ माहौल तैयार कर दिया। उन्होंने कहा कि मीडिया और विपक्ष के आरोपों का सही जवाब न देने के कारण कांग्रेस की छवि और भी ज्यादा धूमिल हो गई।
प्रणब को प्रधानमंत्री बनाते तो नतीजे अलग होते
मणिशंकर अय्यर का मानना है कि अगर 2012 में प्रणब मुखर्जी को प्रधानमंत्री बनाया गया होता, तो 2014 में कांग्रेस की इतनी शर्मनाक हार नहीं होती। उन्होंने कहा कि प्रणब मुखर्जी के नेतृत्व में सरकार और पार्टी को एक मजबूत दिशा मिल सकती थी। उनके मुताबिक, अगर प्रणब मुखर्जी को प्रधानमंत्री बनाया जाता तो उनका करिश्मा और ऊर्जा सरकार के लिए फायदेमंद हो सकता था। उन्होंने मनमोहन सिंह के नेतृत्व की तुलना प्रणब मुखर्जी से करते हुए कहा कि मनमोहन सिंह एक अच्छे अर्थशास्त्री थे, लेकिन राजनीतिक कौशल और निर्णय लेने की क्षमता में प्रणब मुखर्जी उनसे आगे थे।
और क्या खुलासे किए मणिशंकर अय्यर ने
मणिशंकर अय्यर की किताब 'ए मैवरिक इन पॉलिटिक्स' (A Maverick in Politics) में उनके राजनीतिक करियर के शुरुआती दौर से लेकर यूपीए-1 और यूपीए-2 तक की अहम घटनाओं का उल्लेख है। उन्होंने यूपीए-2 के पतन के लिए मीडिया प्रबंधन की कमी, भ्रष्टाचार के आरोप और गलत फैसलों को जिम्मेदार ठहराया है। उन्होंने अपनी पत्नी की एक टिप्पणी का भी जिक्र किया जिसमें उनकी पत्नी ने टीवी देखते हुए कहा था। आज कोई घोटाला नहीं हुआ! इस वाक्य ने कांग्रेस के शासनकाल की विफलताओं और घोटालों की स्थिति को उजागर कर दिया। अय्यर ने रामलीला मैदान में अन्ना हजारे के अनशन को रोकने के लिए उठाए गए कदमों को भी कांग्रेस की बड़ी गलती बताया। उन्होंने कहा कि अन्ना हजारे को अनशन करने की अनुमति देने के फैसले और फिर उन्हें हटाने के फैसले ने कांग्रेस के प्रति जनता की नाराजगी को और बढ़ा दिया।
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