अगस्त में अद्भुत खगोलीय घटनाएं..आज से शुरू होगी उल्कावृष्टि, 13 को पृथ्वी-सूर्य के बीच आएगा शुक्र ग्रह

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The Sootr CG
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 अगस्त में अद्भुत खगोलीय घटनाएं..आज से शुरू होगी उल्कावृष्टि, 13 को पृथ्वी-सूर्य के बीच आएगा शुक्र ग्रह

NEW DELHI. अगस्त महीने में कई अद्भुत खगोलीय घटनाएं होने जा रही हैं। शुक्रवार यानी 11 अगस्त को पर्सीड उल्कावृष्टि के चरम पर पहुंचने से आसमान में रंग-बिरंगी आतीशबाजी होगी। 13 अगस्त को पृथ्वी और सूर्य के मध्य शुक्र ग्रह (वीनस) होगा तो वहीं 27 अगस्त को शनि ग्रह (सैटर्न) पृथ्वी के सबसे करीब आ जाएगा। अंतिम खगोलीय घटना सुपरमून के रूप में 31 अगस्त को देखने को मिलेगी। इसमें चंद्रमा बड़ा और लाल रंग का नजर आएगा।  



90 से अधिक आसमानी आतिशबाजी 



आर्यभट्ट प्रेक्षण विज्ञान शोध संस्थान (एरीज) नैनीताल के वरिष्ठ खगोल वैज्ञनिक डॉ. शशिभूषण के अनुसार, शुक्रवार से पर्सीड उल्कावृष्टि के चरम पर पहुंचने की शुरुआत शुरू हो जाएगी। शनिवार को उल्कावृष्टि की संख्या कुछ और बढ़ जाएगी और रविवार को यह पूर्ण रूप से चरम पर पहुंच जाएगी। इस दौरान 90 से अधिक आसमानी आतिशबाजी देखने को मिलेंगी। इस रोमांचक घटना का वैज्ञानिकों और खगोल प्रेमियों को हर वर्ष बेसब्री से इंतजार रहता है। सूर्य निकलने से पहले इस घटना को अच्छी तरह देखा जा सकेगा, क्योंकि तब चंद्रमा छिप चुका होगा और आसमान घुप अंधेरे मे डूबा रहेगा। 



ये होंगे ग्रहों के बड़े परिवर्तन



13 अगस्त- इस दिन सौर मंडल का सर्वाधिक खूबसूरत ग्रह शुक्र पृथ्वी और सूर्य के बीच पहुंच  रहा है। पिछली बार यह संयोग 9 जनवरी 2022 को आया था। हालांकि 13 अगस्त को यह संयोग दिन के वक्त बनेगा। इसलिए दूरबीन के माध्यम से ही सोलर फिल्टर के सहारे इस घटना को देख सकते हैं। इस घटना में शुक्र सूर्य के दक्षिणी किनारे पर 7.7 डिग्री की नजदीकी के साथ अपने पथ पर आगे बढ़ेगा। 



27 अगस्त- इस दिन शनि दर्शन का अनोखा मौका मिलेगा। इस खगोलीय घटना में शनि पृथ्वी के सबसे ज्यादा करीब आ जाएगा और सुनहरे तारे की तरह चमकता दिखेगा। इसमें पश्चिम में सूर्य अस्त हो रहा होगा तभी पूर्व दिशा में शनि का उदय होगा। 



31 अगस्त- इस महीने की आखिरी खगोलीय घटना सूपरमून की होगी। इस माह दो सूपरमून हैं। पहला सूपरमून 1 अगस्त को था और अब दूसरा 31 अगस्त की रात देखने को मिलेगा। इसमें चांद आम तौर पर ज्यादा बड़ा और चमकदार दिखाई देता है।



क्यों होता है सुपरमून



सुपरमून शब्द 1979 में खगोलविद् रिचर्ड नोल ने दिया था। यह शब्द उस बिंदु को दिखाने के लिए गढ़ा गया था, जब पूर्णिमा के दौरान चांद पृथ्वी के सबसे करीब हो, लेकिन चांद दूर या नजदीक कैसे हो सकता है? दरअसल, चांद हमारी पृथ्वी का चक्कर लगाता रहता है, लेकिन यह पूरी तरह गोल न होकर अंडाकार होगा है। इस कारण से चांद और पृथ्वी के बीच की दूरी बदलती रहती है। 1 अगस्त को चांद पृथ्वी से 357,530 किमी दूर था। पृथ्वी से चांद की दूरी 3.6 लाख किमी से 4 लाख किमी तक बदलती रहती है। ऐसे में 31 अगस्त को भी चांद पृथ्वी के सबसे करीब होगा।


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