देश में बढ़ी दूध की किल्लत, सप्लाई 2.50 फीसदी घटी जबकि डिमांड 10 फीसदी बढ़ी; अभी और महंगा हो सकता है दूध

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Sunil Shukla
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देश में बढ़ी दूध की किल्लत, सप्लाई 2.50 फीसदी घटी जबकि डिमांड 10 फीसदी बढ़ी; अभी और महंगा हो सकता है दूध

BHOPAL. दुनिया का सबसे बड़ा दूध उत्पादक देश होने के बाद भी भारत में दूध की सप्लाई और डिमांड के बीच अंतर बढ़ रहा है। केंद्रीय पशुपालन मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार देश में दूध की सप्लाई में करीब 2.50 फीसदी की गिरावट आई है जबकि मांग 10 फीसदी तक बढ़ी है। नतीजा देश में दूध के दाम में बीते एक साल में रिकार्ड स्तर पर प्रति लीटर करीब 10 रुपए (करीब 15 फीसदी) बढ़े हैं। ये वृद्धि एक दशक में सबसे ज्यादा है।



सर्वोच्च स्तर तक पहुंच सकते हैं दूध के दाम



संभावना जताई जा रही है कि जल्द ही दूध के दाम अब तक के सर्वोच्च स्तर पर पहुंच सकते हैं। इसकी वजह कोरोना आपदा में डेयरी उद्योग पर पड़ी मार, चारा-पशु आहार महंगा होना और इसके बाद देश में लंपी वायरस के प्रकोप से देश में 1.87 लाख दुधारू पशुओं की मौत होना है। देश में दूध के बढ़ते दाम थामने के लिए दूध और इसके पावडर( एसएमपी) के आयात पर लगने वाली इंपोर्ट ड्यूटी हटा दी है।



भारत दूध उत्पादन में अव्वल फिर भी आयात बढ़ाने को मजबूर



भारत दुनिया के सबसे बड़े दूध उत्पादक देश में शुमार है। हमारे देश ने ये उपलब्धि 2021-22 में 22 करोड़ टन दूध का उत्पादन कर हासिल की थी। केंद्रीय पशुपालन मंत्रालय की रिपोर्ट 2022 के अनुसार पिछले साल भारत ने 221.06 मिलियन टन दूध का उत्पादन कर दुनिया में नंबर-1 का दर्जा हासिल किया था। दूध की ये मात्रा दुनियाभर में कुल दूध उत्पादन का 24 फीसदी थी, लेकिन अब हमारे देश को दूध की बढ़ती मांग के अनुरूप इसकी आपूर्ति बढ़ाने के लिए आयात बढ़ाने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है। पिछले वित्त वर्ष में दूध का आयात 92 हजार मीट्रिक टन हुआ था। इस साल इसके 01 लाख मीट्रिक टन से भी ज्यादा रहने की संभावना जताई जा रही है।



2022-23 में दशक की सबसे कम, सिर्फ 1 फीसदी वृद्धि



देश में वर्ष 2021-22 में दूध उत्पादन में 5.29% की वार्षिक वृद्धि दर्ज की गई थी। इसमें शीर्ष 5 प्रमुख दूध उत्पादक राज्य राजस्थान (15.05%), उत्तर प्रदेश (14.93%), मध्य प्रदेश (8.06%), गुजरात (7.56%) और आंध्र प्रदेश (6.97%) रहे। डेयरी सेक्टर के एक्सपर्ट के मुताबिक वित्तीय वर्ष 2022-23 में मार्च 2023 तक दूध उत्पादन में सिर्फ 1 प्रतिशत की वृद्धि होने की संभावना है, जो पिछले एक दशक में 5.6 प्रतिशत की औसत वार्षिक दर से बहुत कम है।



2022 में दूध के दाम में रिकॉर्ड वृद्धि



मध्यप्रदेश दुग्ध महासंघ के सांची ब्रांड के फुल क्रीम दूध के दाम मार्च 2022 में 57 रुपए प्रति लीटर थे जो मार्च 2023 में बढ़कर 63 रुपए प्रति लीटर हो गए। 1 साल में सांची के फुल क्रीम दूध के दाम 6 रुपए प्रति लीटर बढ़े हैं। यानी 1 साल में सांची दूध के दाम में 10.52 फीसदी का इजाफा हुआ है। गुजरात को-ऑपरेटिव मिल्क मार्केटिंग फेडरेशन ने साल 2022 में दिल्ली में अमूल ब्रांड फुल क्रीम दूध का दाम धीरे-धीरे 58 से 64 रुपए प्रति लीटर तक बढ़ा दिया। वहीं मदर डेयरी ने भी अपने दूध के दाम 5 मार्च से 27 दिसंबर के बीच 57 रुपए से 66 रुपए प्रति लीटर तक बढ़ा दिए। इस प्रकार बाजार में दूध के लोकप्रिय ब्रांड के टोंड से लेकर फुल क्रीम दूध के दाम 6 रुपए से 9 रुपए तक बढ़े हैं। इससे पहले दूध की कीमतों में 8 रुपए प्रति लीटर की वृद्धि अप्रैल 2013 से मई 2014 के बीच हुई थी, लेकिन तब से लेकर करीब 8 सालों में यानी 2022 के फरवरी महीने तक दूध की कीमत में सिर्फ 10 रुपए लीटर की ही बढ़ोतरी हुई थी, लेकिन फरवरी 2022 के बाद दूध लगातार महंगा होता जा रहा है।



क्या हैं दाम बढ़ने के कारण



देश में दूध के दाम बढ़ने के कई कारण हैं, लेकिन इनमें सबसे अहम कारण कोरोना महामारी को माना जा रहा है। दरअसल, भारत में कोरोना महामारी के चलते 2020-21 में लॉकडाउन के दौरान दूध की सप्लाई बहुत ज्यादा प्रभावित हुई। सभी होटल, शादियां एवं अन्य सार्वजनिक आयोजन बंद हो जाने के कारण दूध के बड़े खरीदारों ने अप्रैल-जुलाई 2020 के बीच गाय के दूध की कीमत 18 से 20 रुपए प्रति लीटर तक कम कर दी जबकि भैंस के दूध की कीमत 30-32 रुपए तक कम हो गई। लॉकडाउन के कारण जब दूध की मांग कम हुई तो किसानों ने दुधारू पशुओं की संख्या कम करनी शुरू कर दी। दूध नहीं बिकने के कारण किसानों के लिए चारे का खर्च निकलना मुश्किल हो गया। पशुओं को पर्याप्त खुराक नहीं मिलने से उनकी सेहत कमजोर हुई और उनकी दूध देने की क्षमता भी घटी।



लॉकडाउन के बाद मांग अचानक बढ़ी



साल 2021 के आखिर में जैसे ही लॉकडाउन खुला वैसे ही दूध की सप्लाई के मुकाबले डिमांड में काफी तेजी आ गई। दूध की मांग अचानक घरेलू बाजार तक ही सीमित नहीं रही बल्कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में मांग बढ़ गई, जिससे सप्लाई चेन बुरी तरह प्रभावित होने लगी।



लंपी वायरस से दुधारू पशुओं की मौत



2022 में राजस्थान, उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश और गुजरात सहित कई राज्यों में दुधारू पशु घातक और संक्रामक लंपी वायरस की चपेट में आ गए। इससे अकेले राजस्थान में ही 76 हजार पशु और देशभर में करीब 1.87 लाख पशुओं की मौत हो गई। इससे देश में दुधारू पशुओं की संख्या कम हो गई।  जो पशु महंगी दवाओं और टीकाकरण के कारण बच गए, लेकिन उनकी दूध देने की क्षमता पहले की तुलना में कम हो गई।



चारा और अन्य पशु आहार भी महंगा हुआ



दूध उत्पादन में कमी का एक कारण पशु चारे और पशु आहार की बढ़ती कीमत भी है। दरअसल, देश के कई राज्यों में पिछले साल भारी बारिश के कारण हरे चारे की पैदावार कम हुई। इसके अलावा चारे में मिलाए जाने वाले प्रोटीन और अन्य पोषक तत्वों की कीमतों में भी वृद्धि हुई है। नतीजा इससे दुधारू पशुओं के चारे की लागत भी बढ़ गई है। बीते साल की तुलना में अकेले पशु आहार की लागत में 20 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई है। इसे देखते हुए दूध की प्रोसिंग और मार्केटिंग करने वाली कंपनियों ने किसानों को दी जाने वाली दूध की कीमत में भी इजाफा करना पड़ा है। बीते साल की तुलना में इसमें 8 से 9 फीसदी तक की बढ़ोतरी की गई है।



अब आगे क्या होगा?



देश में दूध की घटती सप्लाई और बढ़ती डिमांड सरकार के लिए चिंता का विषय है। आमतौर पर डेयरी कंपनियां और फेडरेशन गर्मी के मौसम में सप्लाई के लिए ठंड का मौसम खत्म होते ही दूध पावडर (एसएमपी) का स्टॉक जमा करने लगते हैं, लेकिन इस बार सप्लाई में कमी और लंपी वायरस के कारण ऐसा नहीं हो पाया है। इसलिए सरकार ने दूध और इसके पावडर (एसएमपी) के आयात पर लगने वाली इंपोर्ट ड्यूटी हटा दी है। डेयरी उद्योग से जुड़े एक्सपर्ट का कहना है कि अप्रैल से शुरू हुए फाइनेंशियल ईयर में भारत का दूध और इसके पावडर का आयात अब तक के उच्चतम स्तर पर पहुंचने की संभावना है। इस साल जनवरी में ही भारत का दूध और क्रीम का आयात पिछले साल से 1024 प्रतिशत बढ़कर 4.87 मिलियन डॉलर हो गया था। इसकी वजह देश में फ्रांस, जर्मनी और पोलैंड से एसएमपी का आयात बढ़ना है। डेयरी सेक्टर के एक्सपर्ट के मुताबिक देश में दूध उत्पादन की स्थिति में सुधार के लिए अब बाजार के हिसाब से तैयार पशु स्टॉक और डेयरी उत्पादों के स्टॉक को बढ़ाने के लिए अक्टूबर में अगले सीजन तक इंतजार करना होगा।



भारत में दूध उत्पादन और प्रति व्यक्ति दूध की उपलब्धता









वर्ष


उत्पादन (मिलियन टन)


प्रति व्यक्ति उपलब्धता (ग्राम प्रति दिन)





1991-92


55.6


178





1992-93


58.0


182





1993-94


60.6


186





1994-95


63.8


192





1995-96


66.2


195





1996-97


69.1


200





1997-98


72.1


205





1998-99


75.4


210





1999-2000


78.3


214





2000-01


80.6


217





2001-02


84.4


222





2002-03


86.2


224





2003-04


88.1


225





2004-05


92.5


233





2005-06


97.1


241





2006-07


102.6


251





2007-08


107.9


260





2008-09


112.2


266





2009-10


116.4


273





2010-11


121.8


281





2011-12


127.9


290





​2012-13


132.4​​


299





​2013-14


137.7​​


307





​2014-15


146.3​


322





2015-16


155.5


337





2016-17


165.4


355





2017-18


176.3


375





2018-19


187.7


394





2019-20


198.4


406






( स्रोत : बुनियादी पशुपालन सांख्यिकी, पशुपालन, डेयरी व मत्स्यपालन विभाग, भारत सरकार )


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