DELHI. मोदी सरकार ने किसानों के हित में बड़ा कदम उठाया हैं। बुधवार (31 मई) को हुई केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में 1 लाख करोड़ रुपये की अन्न भंडारण योजना को मंजूरी दी गई। इस योजना का उद्देश्य सहकारी क्षेत्र में अनाज भंडारण क्षमता बढ़ाना है। योजना को किसानों के लिए काफी अहम माना जा रहा है। इसके तहत हर ब्लॉक में 2 हजार टन के गोदाम बनाए जाएंगे। इसे लागू करने के लिए त्रि-स्तरीय व्यवस्था भी बनाई जाएगी। खास बात यह है कि अन्न की बर्बादी को रोकने के लिए यह योजना को शुरू की गई है। अभी देश में अन्न भंडारण की कुल क्षमता 47 फीसदी ही है।
700 लाख टन भंडारण की क्षमता सहकारिता क्षेत्र में होगी
योजना को लेकर केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने कहा कि, कैबिनेट बैठक में सहकारिता क्षेत्र में विश्व की सबसे बड़ी अन्न भंडारण योजना के अनुमति अनुमोदन पर फैसला लिया गया हैं। अभी तक कुल 1 हजार 450 लाख टन भंडारण की क्षमता है और अब 700 लाख टन भंडारण की क्षमता सहकारिता क्षेत्र में शुरू होगी। हम लगभग 1 लाख करोड़ रुपए की लागत से विश्व की सबसे बड़ी अन्न भंडारण योजना शुरू करेंगे। भारत विश्व में अनाज के सबसे बड़े उत्पादकों में से एक है। सभी बड़े उत्पादक देश जैसे चीन, अमेरिका, ब्राजील, रूस, अर्जेंटीना आदि के पास अपना वार्षिक उत्पादन से अधिक की क्षमता उपलब्ध है। इस योजना को सफल बनाने के लिए सहकारिता मंत्री की नेतृत्व में कमेटी बनाई जाएगी।
ये भी पढ़े...
अन्न भंडारण योजना किसानों के लिए बेहद लाभकारी
मोदी सरकार ने किसान की आय बढ़ाने के लिए कई योजनाएं चला रही हैं। किसानों को योजनाओं और सुविधाओं का लाभ दिलाने के लिए काम भी किए जा रहे है। अब अन्न भंडारण योजना किसानों के लिए बेहद लाभकारी साबित होगी। योजना का उद्देश्य देश के किसानों की आय में वृद्धि करना और उनकी आर्थिक स्थिति में बदलाव लाना है। इसके माध्यम से किसानों को सही तरीके से गोदाम की सुविधा उपलब्ध करवाएगी। योजना का मकसद किसानों को भंडारण सुविधाओं की कमी से अनाज को होने वाले नुकसान से बचाना है। किसानों को संकट के समय अपनी उपज बेतरतीब दाम पर बेचने से रोकना और आयात पर निर्भरता कम करना है। इसके साथ ही ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के अवसर पैदा करना है।