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mohan bhagwat temple mosque Photograph: (mohan bhagwat temple mosque)
RSS प्रमुख मोहन भागवत के मंदिर-मस्जिद विवादों पर दिए बयान ने राजनीतिक और धार्मिक हलकों में हलचल मचा दी है। आध्यात्मिक संत शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने इस पर कड़ी आपत्ति जताई है। शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने भागवत के बयान को राजनीति से प्रेरित बताया। उन्होंने कहा कि RSS प्रमुख आम हिंदू की पीड़ा को नहीं समझते। स्वामी ने भागवत के इस कथन पर नाराजगी जाहिर की कि मंदिर-मस्जिद विवादों को उठाकर कुछ लोग नेता बनने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने कहा, हिंदू नेता बनने की आकांक्षा नहीं रखते, उनकी पीड़ा वास्तविक है।
'भागवत हिंदू का दर्द नहीं समझते'
शंकराचार्य ने कहा कि राम मंदिर आंदोलन के समय जो उत्साह था, वह अब सत्ता में आने के बाद कम हो गया है। उन्होंने आरोप लगाया कि भागवत के इस तरह के बयान हिंदू भावनाओं को अनदेखा करते हैं और उनके दर्द को सही मायनों में नहीं समझते।
यूपी में बढ़ रहे मंदिर-मस्जिद विवाद
संभल, बदायूं, और जौनपुर जैसे उत्तर प्रदेश के कई जिलों में मस्जिदों को लेकर विवाद चल रहे हैं। हिंदू याचिकाकर्ताओं ने इन मस्जिदों के स्थान पर प्राचीन मंदिर होने का दावा किया है और वहां प्रार्थना करने की अनुमति मांगी है।
भागवत की समावेशी समाज की वकालत
भागवत ने 19 दिसंबर को महाराष्ट्र के पुणे में एक व्याख्यान में कहा था कि अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण के बाद कुछ लोग इसे अपना राजनीतिक फायदा उठाने का माध्यम बना रहे हैं। उन्होंने समावेशी समाज की वकालत करते हुए कहा कि भारत को दुनिया को यह दिखाने की जरूरत है कि यहां के लोग सद्भाव के साथ रह सकते हैं।
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