देश में एमपॉक्स (मंकी पॉक्स) का संदिग्ध मामला सामने आया है। हाल ही में विदेश से भारत लौटे एक व्यक्ति में मंकीपॉक्स के लक्षण पाए गए हैं। उसे तुरंत एक अस्पताल के आइसोलेशन वार्ड में भर्ती किया गया है। फिलहाल उसकी हालत स्थिर बताई जा रही है। उसके संपर्क में आए लोगों की पहचान की जा रही है।
भारत में मंकी पॉक्स का पहला संदिग्ध मामला
14 अगस्त को विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने मंकीपॉक्स को एक वैश्विक स्वास्थ्य आपातकाल (ग्लोबल हेल्थ इमरजेंसी) घोषित किया था। इसके बाद से भारत में मंकीपॉक्स का यह पहला संदिग्ध मामला सामने आया है।
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अब तक कुल 30 मामले आ चुके सामने
भारत में मंकीपॉक्स के कुल 30 मामले सामने आ चुके हैं। रिपोर्ट के मुताबिक 2022 से अब तक 116 देशों में मंकीपॉक्स के 99,176 मामले सामने आ चुके हैं। जबकि 208 मौतें हो चुकी हैं। इस साल 2024 में अब तक 15,600 से अधिक मामले और 537 मौतें दर्ज की गई हैं। भारत में मंकीपॉक्स का आखिरी मामला मार्च 2024 में सामने आया था।
14 अगस्त को घोषित किया था ग्लोबल हेल्थ इमरजेंसी
बता दें, कुछ दिन पहले केंद्र सरकार ने दुनिया में मंकीपॉक्स (Mpox) के बढ़ते मामलों को देखते हुए देश के सभी बंदरगाहों, हवाई अड्डों और पाकिस्तान व बांग्लादेश से सटे बॉर्डर पर अलर्ट जारी किया था। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने अधिकारियों को निर्देश दिया था कि वे विदेश से आने वाले यात्रियों में मंकीपॉक्स के लक्षणों के प्रति सतर्क रहें।
स्वास्थ्य मंत्रालय के आधिकारिक सूत्रों के अनुसार, दिल्ली के तीन प्रमुख अस्पतालों - राम मनोहर लोहिया, सफदरजंग और लेडी हार्डिंग- को नोडल सेंटर्स के रूप में नामित किया गया है। इन अस्पतालों में मंकीपॉक्स के संदिग्ध मरीजों के इलाज और देखभाल के लिए आइसोलेशन वार्ड तैयार किए गए हैं।
WHO ने जारी किया था अलर्ट
WHO की चिंता का कारण यह है कि मंकीपॉक्स के विभिन्न प्रकोपों में मृत्यु दर में बड़े फर्क देखे गए हैं, कभी-कभी यह 10% से भी अधिक हो सकती है। इसका संक्रामक स्वरूप इसे और अधिक खतरनाक बनाता है, इसलिए WHO ने इस बीमारी को लेकर सबसे उच्च स्तर का अलर्ट जारी किया है और वैश्विक स्वास्थ्य समुदाय को इसके प्रसार को रोकने के लिए गंभीरता से कार्रवाई करने की सलाह दी है।
मंकीपॉक्स वायरस क्या है ?
मंकीपॉक्स एक वायरल बीमारी है, जो पहली बार 1958 में बंदरों में देखी गई थी, और इसका नाम "मंकीपॉक्स" पड़ा। यह बीमारी 1970 में मानवों में पहली बार रिपोर्ट की गई थी। मंकीपॉक्स वायरस, ऑर्थोपॉक्सवायरस जीनस का हिस्सा है, जो वैरिएला वायरस (चेचक) से संबंधित है।
मंकीपॉक्स के लक्षण
- बुखार: उच्च बुखार के साथ शुरुआत होती है।
- सिरदर्द और मांसपेशियों में दर्द: सिरदर्द, मांसपेशियों में दर्द, और पीठ दर्द।
- थकावट और कमजोरी: तीव्र थकावट और कमजोरी महसूस होती है।
- त्वचा पर चकते: एक विशिष्ट और गंभीर लक्षण के रूप में त्वचा पर चकते और फफोले होते हैं, जो अक्सर चेहरे, हाथों और पैरों पर दिखाई देते हैं।
- छाले: ये छाले आमतौर पर चेहरे, हाथों, पैरों और जननांगों पर दिखाई देते हैं। ये छाले पहले छोटे, लाल धब्बे होते हैं जो फिर फफोले में बदल जाते हैं और अंत में पपड़ी बन जाते हैं।
- सूजे हुए लिम्फ नोड्स
- थकान
संक्रमण का तरीका
- सीधे संपर्क से: संक्रमित व्यक्ति की त्वचा के चकते या फफोले के सीधे संपर्क से।
- वायु संचरण: संक्रमित व्यक्ति की छींक या खांसी से निकलने वाली बूंदों के माध्यम से।
- जानवरों के संपर्क से: संक्रमित जानवर (जैसे, बंदर या गिलहरी) के संपर्क में आने से।
इलाज और रोकथाम
- टीकाकरण: वैरिएला (चेचक) के खिलाफ टीका मंकीपॉक्स के खिलाफ भी कुछ हद तक प्रभावी हो सकता है।
- स्वच्छता और बचाव: संक्रमित व्यक्तियों से संपर्क से बचना, हाथों की स्वच्छता बनाए रखना।
- स्वास्थ्य देखभाल: अगर लक्षण महसूस होते हैं, तो तुरंत चिकित्सा सलाह लेना।
मंकीपॉक्स कैसे फैलता है?
मंकीपॉक्स संक्रमित जानवरों के साथ सीधे संपर्क, संक्रमित व्यक्ति के साथ त्वचा के संपर्क, संक्रमित व्यक्ति के श्वास के संपर्क या संक्रमित व्यक्ति के इस्तेमाल किए गए कपड़ों या बिस्तर आदि के संपर्क में आने से फैल सकता है।
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