मोरयाई छठ : कैसे मनाएं ये पर्व, इस दिन व्रत करने से मिलता है अश्वमेध यज्ञ जितना फल

हिंदू धर्म में भाद्रपद मास की शुक्ल पक्ष की षष्ठी को मोरयाई छठ (Morai Chhath) के रूप में मनाया जाता है। इसे मोर छठ के नाम से भी जाना जाता है। इस साल मोरायाई छठ 9 सितंबर 2024 को है।

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Ravi Singh
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हिंदू धर्म में भाद्रपद मास की शुक्ल पक्ष की षष्ठी को मोरयाई छठ ( Morai Chhath ) के रूप में मनाया जाता है। इसे मोर छठ के नाम से भी जाना जाता है। इस साल मोरायाई छठ 9 सितंबर 2024 को है। इस दिन सूर्यदेव के की पूजा की जाती है और शादी के मोर का विसर्जन भी होता है। शादी के बाद जब पहली बार मोरयाई छठ आती है तो इसका विसर्जन किया जाता है।

मोर क्या होते हैं...

शादी में वर वधु को सात फेरों के समय कुछ खास चीजें पहनाई जाती हैं। जिनमें गले की माला हाथों में कंकन आदि शामिल होते हैं। कई लोग मोर सिराने को मोर पंख समझ लेते हैं, लेकिन असल में मोर का मतलब मानिखंब होता है। वर-वधू मानिखंब की ही परिक्रमा करते हैं। शादी के बाद पहली बार जब मोरयाई छठ आती है। तब नदी या तालाब में इसका विसर्जन किया जाता है।

बुंदेलखंड में मेहर का विसर्जन

विवाह को लेकर वैसे तो सभी की अपनी परंपरा होती है। पर बुंदेलखंड में मोर सिराने के लिए या विसर्जन के लिए घरों पर मेहर बनाए जाते हैं। फिर इसे पूजा के बाद मोर के साथ विसर्जित कर दिया जाता है। थोड़ा रबीले यानी मोटे आटे में गुड़ मिलाकर उसके छोटे-छोटे गोले बनाए जाते हैं। फिर उसे घर पर पूजन करके बहते पानी या किसी तालाब में मोर के साथ विसर्जित कर दिया जाता है।

भगवान सूर्य को समर्पित

इस दिन सूर्य उपासना और व्रत रखने का विशेष महत्व रहता है। इस दिन गंगा स्नान का विशेष महत्व है, लेकिन अगर किसी कारणवश गंगा स्नान संभव न हो तो घर पर ही नहाने के पानी में गंगा जल डालकर स्नान कर सकते हैं।

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क्या करें इस दिन

इस दिन सूर्यदेव का व्रत करना चाहिए। जब तक सूर्य देवता प्रत्यक्ष रूप दिखाई न दें, तब तक सूर्य उपासना नहीं करना चाहिए। इस दिन पंचगव्य का सेवन अवश्य करना करें, दिन भर में एक बार नमक रहित भोजन करना चाहिए। सूर्यदेव को लाल रंग प्रिय है, इस दिन उन्हें गुलाल, लाल चंदन, लाल पुष्प, केसर, लाल कपड़ा, लाल फल, लाल रंग की मिठाई अर्पित करना चाहिए। भाद्रपद शुक्ल षष्ठी के दिन यह व्रत करने से मनुष्य को अश्वमेध यज्ञ जितना फल मिलता है। 

ऐसे करें सूर्यदेवता को खुश

  • इस दिन सूर्य देव के विभिन्न नाम तथा सूर्य मंत्रों का जप अवश्य करना चाहिए।
  • श्रद्धापूर्वक व्रत रखें।
  • गंगा स्नान का विशेष महत्व है, जो जातक गंगा स्नान करने नहीं जा सकते वो घर पर ही नहाने के पानी में कुछ बूंदे गंगा जल डाल कर स्नान करें।
  • सुबह सूर्य देव के उदय होते ही सूर्योपासना करें. ध्यान रखें जब तक सूर्य देव प्रत्यक्ष दिखाई न दें तब तक सूर्योपासना न करें।

मंत्रों का जाप करें

  • ॐ घृ‍णिं सूर्य्य: आदित्य।
  • ॐ ह्रीं ह्रीं सूर्याय सहस्रकिरणराय मनोवांछित फलम् देहि देहि स्वाहा।
  • ॐ ऐहि सूर्य सहस्त्रांशों तेजो राशे जगत्पते, अनुकंपयेमां भक्त्या, गृहाणार्घय दिवाकर।
  • ॐ ह्रीं घृणिः सूर्य आदित्यः क्लीं ॐ।
  • ॐ ह्रीं ह्रीं सूर्याय नमः।

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