सूतक में काशी विश्वनाथ मंदिर के दर्शन करने पहुंचे मोरारी बापू विवादों में घिरे, संत समाज मांग रहा जवाब

मोरारी बापू, जो अपने कथा वाचन और धार्मिक संवाद के लिए प्रसिद्ध हैं, वर्तमान में विवादों में घिर गए हैं। यह विवाद उनकी पत्नी के निधन के तीन दिन बाद काशी में कथा वाचन और काशी विश्वनाथ मंदिर में दर्शन करने को लेकर है। 

author-image
Sandeep Kumar
New Update
morari-bapu-sutak-controversy
Listen to this article
0.75x 1x 1.5x
00:00 / 00:00

कथा वाचक मोरारी बापू एक नए विवाद में घिर गए हैं। पत्नी के निधन के तीन दिन बाद काशी में कथा वाचन और काशी विश्वनाथ मंदिर में दर्शन करने पर संत समाज ने विरोध जताया है। अखिल भारतीय संत समिति के महामंत्री स्वामी जितेन्द्रानंद ने Morari Bapu पर धर्म का अपमान और परंपराओं की अवहेलना करने का आरोप लगाया।

वाराणसी में अस्सी चौराहे पर लोगों ने उनका पुतला जलाकर विरोध किया। संतों का कहना है कि सूतक काल में यह धार्मिक कर्म अनुचित हैं। उन्होंने बापू से यह स्पष्ट करने की मांग की है कि वे किस श्रेणी में आते हैं जिसमें सूतक लागू नहीं होता। यह विवाद उनकी छवि पर असर डाल सकता है।

ये खबर भी पढ़िए... लव हो या अरेंज, शादी से पहले अपने पार्टनर से जरूर पूछें ये सवाल

संत समाज के निशाने पर आए मोरारी बापू

इस पूरे मामले में सबसे तीखी प्रतिक्रिया अखिल भारतीय संत समिति से आई है। समिति के महामंत्री स्वामी जितेन्द्रानंद सरस्वती ने मोरारी पर कड़े शब्दों में टिप्पणी की। उन्होंने कहा कि बापू का यह कृत्य न केवल परंपराओं की अवहेलना है बल्कि धर्म को अपमानित करने जैसा भी है। 

स्वामी जितेन्द्रानंद ने पूर्व के घटनाक्रमों को भी याद दिलाया, जब मोरारी बापू ने चिता की अग्नि के फेरे लगवा कर विवाह करवाया था या व्यास पीठ पर 'अल्लाह मौला' कहकर कथावाचन किया था। उनके अनुसार, ये सभी कृत्य हिंदू परंपराओं के विपरीत हैं।

ये खबर भी पढ़िए... लव हो या अरेंज, शादी से पहले अपने पार्टनर से जरूर पूछें ये सवाल

मोरारी बापू पर फूटा लोगों का गुस्सा

मोरारी बापू के इस आचरण पर वाराणसी की जनता का भी गुस्सा फूट पड़ा। अस्सी चौराहे पर BHU के धर्म विज्ञान विभाग के छात्र, घाटों पर पुरोहिती करने वाले ब्राह्मण और आम नागरिक सैंकड़ों की संख्या में विरोध प्रदर्शन किया। नारेबाजी के बीच मोरारी बापू का पुतला जलाया गया।

ये खबर भी पढ़िए... केदारनाथ यात्रा में श्रद्धालुओं की भीड़ ने बनाया नया रिकॉर्ड, अब तक 10 लाख भक्तों ने किए दर्शन

मोरारी बापू की सफाई

Morari Bapu की ओर से सफाई देने के बावजूद संत समाज संतुष्ट नहीं हुआ। उनका कहना है कि केवल सफाई से धार्मिक अपमान नहीं मिट सकता। स्वामी जितेन्द्रानंद ने यह भी कहा कि अगर मोरारी बापू खुद को ब्रह्मचारी, यति, अग्निहोत्री या राजा जैसी श्रेणियों में रखते हैं, जिन्हें सूतक नहीं लगता, तो उन्हें स्पष्ट करना चाहिए कि वह किस वर्ग में आते हैं।

ये खबर भी पढ़िए... केशकाल घाट में होने वाली दिक्कतों से मिलेगी निजात, 307 करोड़ में बनेगा 4 लेन बाईपास

संतों ने दी मोरारी बापू को चेतावनी

संत समिति ने Morari Bapu को चेतावनी दी है कि वे धर्म को धंधे में न बदलें। मोरारी बापू की कथाएं सोशल मीडिया और मंचों पर प्रसारित हुई हैं। उनके कथनों और कृत्यों के बीच विरोधाभास ने संत समाज को चिंतित किया है। संतों का कहना है कि धर्म प्रचार और धर्म आचरण में अंतर होता है।

क्या होता है सूतक और कब-कब लगता है

सूतक एक धार्मिक अवधि है जो किसी व्यक्ति के जन्म या मौत के बाद या सूर्यग्रहण/चंद्रग्रहण के दौरान होती है। इस अवधि में, कुछ नियम और निषेध लागू होते हैं, जैसे कि कुछ धार्मिक कार्यों से दूर रहना या कुछ वस्तुओं का इस्तेमाल नहीं करना। 

मौत के बाद सूतक

परिवार में किसी की मौत होने पर सूतक लगता है, जिसे पातक काल भी कहा जाता है। यह अवधि 13 दिनों की होती है। इस दौरान परिवार के सदस्य कुछ धार्मिक कार्यों से दूर रहते हैं और शोक मनाते हैं। 

जन्म के बाद सूतक 

बच्चे के जन्म के बाद पूरे परिवार को सूतक लगता है, खासकर माता और बच्चे को। यह अवधि आमतौर पर 10 दिनों की होती है। इस दौरान परिवार के सदस्य किसी भी धार्मिक कार्य में भाग नहीं ले सकते हैं। 

सूर्यग्रहण/चंद्रग्रहण के दौरान सूतक

सूर्यग्रहण और चंद्रग्रहण के दौरान भी सूतक लगता है। ग्रहण के दौरान धार्मिक कार्यों से दूर रहना चाहिए। 

अगर आपको ये खबर अच्छी लगी हो तो 👉 दूसरे ग्रुप्स, दोस्तों, परिवारजनों के साथ 🤝 शेयर करें
📢🔄 🤝💬👫👨‍👩‍👧‍👦

hindi news | देश दुनिया न्यूज

मोरारी बापू hindi news देश दुनिया न्यूज BHU वाराणसी काशी विश्वनाथ मंदिर