/sootr/media/media_files/2024/11/09/QRCaE6GFAGhoYSK6zNhZ.jpg)
जलवायु परिवर्तन के कारण बढ़ती चरम मौसमी घटनाएं अब जनजीवन पर बुरा असर डालने लगी हैं। मौजूदा वर्ष 2024 के पहले नौ महीनों में 93% यानी 274 दिनों में से 255 दिनों में गर्मी, ठंडी हवाओं, चक्रवात, बिजली, भारी वर्षा, बाढ़ और भूस्खलन जैसी घटनाओं का सामना करना पड़ा। इससे अब तक 3 हजार 238 लोग अपनी जान गंवा चुके हैं। वहीं 32 लाख हेक्टेयर कृषि भूमि भी प्रभावित हुई।
हजारों लोग बेघर, लाखों घर नष्ट
/sootr/media/post_attachments/aajtak/images/story/202407/668cf45a942de-flood-in-india-092704697-16x9.png?size=1280:720)
इन मौसमी घटनाओं ने न सिर्फ मानव जीवन बल्कि पशुधन और मकानों पर भी कहर बरपाया है। इस साल में अब तक 2.36 लाख घर और इमारतें नष्ट हो चुकी हैं, और 9,457 पशुओं की भी जान गई है। सेंटर फॉर साइंस एंड एन्वायरमेंट (सीएसई) की महानिदेशक सुनीता नारायण ने इस पर एक रिपोर्ट जारी की है जिसमें इन भयावह आंकड़ों को उजागर किया गया है।
मौसमी घटनाओं में हुआ इजाफा
सीएसई की रिपोर्ट, 'स्टेट ऑफ एक्सट्रीम वेदर रिपोर्ट इन इंडिया', के अनुसार, 2024 में पिछले सालों के मुकाबले चरम मौसमी घटनाओं का प्रकोप ज्यादा बढ़ा है। इस वर्ष कई जलवायु रिकॉर्ड भी बने हैं। जनवरी 1901 के बाद से भारत का नौवां सबसे सूखा महीना रहा, फरवरी में 123 सालों में दूसरा सबसे न्यूनतम तापमान दर्ज किया गया, और मई में चौथा सबसे अधिक औसत तापमान देखा गया। जुलाई, अगस्त और सितंबर ने भी अपने उच्चतम न्यूनतम तापमान के रिकॉर्ड बनाए।
/sootr/media/media_files/2024/11/09/E3shhIhPdyPugnArfJIg.jpg)
जलवायु संकट
/sootr/media/post_attachments/assets/images/2024/04/19/jalvaya-paravaratana_e2b67b8c535c53058c5ed473ad66035c.jpeg?w=414&dpr=1.0&q=50)
सेंटर फार साइंस एंड एन्वायरमेंट (सीएसई) की महानिदेशक सुनीता नारायण ने कहा कि जो घटनाएं पहले सदी में एक बार होती थीं, वे अब हर पांच साल या उससे कम में हो रही हैं। उन्होंने बताया कि 2024 के पिछले नौ महीनों में बिजली गिरने, तूफान, मानसूनी वर्षा और बाढ़ जैसी घटनाएं लगभग पूरे देश में देखी गई हैं। अकेले मानसून में आई बाढ़ ने 1,021 लोगों की जान ले ली है।
मध्य प्रदेश में ऐसा रहा मौसम का प्रभाव
असम में इस वर्ष के पहले 122 दिनों में भारी वर्षा, बाढ़ और भूस्खलन की घटनाएं हुईं, जिनसे राज्य का बड़ा हिस्सा प्रभावित हुआ। पूरे देश में बाढ़ के कारण 1,376 लोग मारे गए। मध्य प्रदेश में हर दूसरे दिन किसी न किसी चरम मौसम का अनुभव हुआ, जो देश में सबसे अधिक है। केरल में सबसे अधिक 550 लोगों की मौत हुई, इसके बाद मध्य प्रदेश में 353 और असम में 256 मौते हुईं।
आंध्र प्रदेश और महाराष्ट्र में स्थिति गंभीर
/sootr/media/post_attachments/wp-content/uploads/2024/07/CG-Sarguja-Kisan-News-CG-Breaking-news.jpg)
आंध्र प्रदेश में सबसे अधिक 85 हजार 806 घर नष्ट हुए। वहीं, महाराष्ट्र में 142 दिनों तक मौसमी घटनाएं दर्ज हुईं, जिससे देशभर में प्रभावित फसलों का 60 प्रतिशत नुकसान यहीं हुआ। इसके बाद मध्य प्रदेश में 25 हजार 170 हेक्टेयर कृषि भूमि को नुकसान पहुंचा। मध्य क्षेत्र में अब तक 1,001 लोगों की मौत हो चुकी है, जो इस आपदा का सबसे अधिक प्रभाव वाला क्षेत्र है।
CSE की रिपोर्ट से यह साफ होता है कि जलवायु परिवर्तन का असर अब हमारे जीवन का हिस्सा बन चुका है। चरम मौसमी घटनाओं की बढ़ती आवृत्ति और उनके घातक परिणामों से निपटने के लिए ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है।
/sootr/media/agency_attachments/dJb27ZM6lvzNPboAXq48.png)
Follow Us