BHOPAL. खेती के लिए देश में अपनी पहचान बनाने वाले मध्य प्रदेश ने नया रिकॉर्ड बना दिया है। यह रिकॉर्ड भी खेती से जुड़ा हुआ ही है। सिंचाई की क्षमता बढ़ाने में प्रदेश अब देश में नंबर एक पर आ गया है। इतना ही नहीं तवा परियोजना की नहरों को पक्का बना कर बर्बाद होने वाले 85 हजार करोड़ लीटर पानी को बचाया गया है। ये उपलब्धि इसलिए बड़ी है क्योंकि मध्य प्रदेश में 50 फीसदी जमीन पर खेती होती है। मप्र के क्षेत्रफल 307.56 लाख हेक्टेयर में से 151.91 लाख हेक्टेयर पर खेती होती है। यहां कुल सिंचित क्षेत्रफल 111 लाख हेक्टेयर है।
तीसरी फसल लगाने की सुविधा
देश में 20 हेक्टेयर तक के खेत में पाइप से पानी पहुंचाया जाता है। लेकिन मप्र में 1 हेक्टयर तक के खेत में पाइप से पानी पहुंचाकर नया रिकॉर्ड बना दिया है। इससे बर्बाद होने वाला पानी आधा बच जाता है। और किसान सीधे स्प्रिंकलर से पानी की सिंचाई कर सकता है। पानी की बचत के लिए उठाए गए कदमें से किसानों को 1300 करोड़ की अतिरिक्त कमाई हुई है। इसके लिए किसानों ने 1300 हेक्टेयर में तीसरी फसल लगाई थी।
नहरें पक्की कीं तो पानी की बर्बादी रुकी
जल संसाधन विभाग से मिली जानकारी के अनुसार पिछले तीन साल में जो नहरें बनाई गईं उनमें पाइप वाली नहरों को तैयार किया गया। तवा की कच्ची नहरों को पक्का किया गया। इससे तवा डैम का 85 हजार करोड़ लीटर और डैमों का 9,500 लाख करोड़ लीटर पानी बच सका। इससे पहले सिंचाई के लिए छोड़े जाने वाले पानी का 40 से 50 फीसदी तक बर्बाद हो जाता था। पुरानी कच्ची और खुली नहरों की व्यवस्था में आधा पानी तो बर्बाद हो जाता था। मध्य प्रदेश ने 5 साल में 4.57 लाख हेक्टेयर सूखे खेतों तक पाइप सिंचाई प्रणाली से पानी पहुंचाया। इससे नदी, नाले और भाप के रूप में उड़ जाने वाला पानी बचने लगा। किसानों को भी नहर से खेत तक पानी लाने के लिए जद्दोजहद नहीं करनी पड़ती है।
मध्य प्रदेश में 50 फीसदी नहरों पर निर्भता
आंकड़ों की बात करें तो मध्य प्रदेश में 75.45 फीसदी किसान ऐसे हैं, जिनके पास 1- 2 हेक्टेयर ही खेती की जमीन है। ये किसान सिंचाई के लिए नहरों पर निर्भर हैं, इनकी मेढ़ तक पाइप के जरिए पानी पहुंचाया गया है। इस प्रयास से किसानों की आय बढ़ी है।