BHOPAL. फसल का प्रीमियम कटने के बाद भी किसानों को फसल बीमा का क्लेम या तो वक्त पर नहीं मिलता या फिर इतना नहीं मिलता कि उनके नुकसान की भरपाई हो पाए। मध्यप्रदेश के किसानों की सबसे बड़ी मुश्किल यही है और यही उनकी नाराजगी का बड़ा कारण बनता है। किसानों को मिलने वाले 10-20 रुपए के चेक उनके जख्मों पर नमक छिड़कने का काम करते हैं। किसानों की इसी नाराजगी को दूर करने के लिए चुनावों के पहले शिवराज सरकार एक नया दांव चलने जा रही है। सरकार अपनी खुद की बीमा कंपनी बनाने की तैयारी कर रही है। ये कंपनी किसानों का मिनिमम प्रीमियम काटेगी और क्लेम की अधिकतम राशि उनको समय पर मुहैया कराएगी।
कहीं विधानसभा चुनाव में भारी न पड़ जाए किसानों की नाराजगी
सरकार को डर है कि कहीं किसानों की नाराजगी विधानसभा चुनाव में भारी न पड़ जाए। यही वजह है कि वो जल्द ही इस कंपनी को शुरू करना चाहती है। दरअसल सरकार किसानों की खस्ता माली हालत का दोष खुद पर नहीं लेना चाहती। संसद में पेश हुई किसानों की दयनीय हालत की रिपोर्ट को भले ही प्रदेश के कृषि मंत्री कमल पटेल झुठला दें लेकिन आंकड़ों की गवाही सच बयां कर रही है। प्रदेश के किसानों की आमदनी मजदूरों से कम है वहीं एक साल में उनकी आय बढ़ने की जगह एक हजार रुपए कम हो गई है। इन आरोपों से बचते हुए सरकार अब नया दावा करने लगी है। कृषि मंत्री किसानों को एमएसपी वाला नहीं एमआरपी वाला किसान बनाने का दम भरने लगे हैं।
चुनावी दांव से खड़े होने लगे कई सवाल
सरकार के इस चुनावी दांव से कई सवाल खड़े होने लगे हैं। जानकार कहते हैं कि चुनावी फायदे के लिए सरकार एक तरह से आफत मोल ले रही है। सरकार को फसल बीमा कंपनी बनाने से फायदा कम और नुकसान ज्यादा दिखाई दे रहा है। प्रदेश में करीब 78 लाख किसान फसल बीमा कराते हैं। सरकार के सामने इनको समय पर क्लेम की राशि देने की चुनौती है। सवाल है कि क्या सरकार ये सुनिश्चित कर पाएगी कि किसानों को समय पर नुकसान की भरपाई हो। इसका दूसरा पहलू भी है। अक्सर यह देखा गया है कि कई किसानों को क्लेम की राशि 10 रुपए से लेकर 100—200 रुपए तक ही मिली है। अब तक सरकार इस पर बीमा कंपनी को दोष देते हुए सही राशि दिलाने की बात करती आई है लेकिन यदि सरकार की खुद की बीमा कंपनी रही तो कम क्लेम राशि को लेकर सीधे उस पर सवाल खड़े होंगे।
बीमा कंपनियों ने कमाए 182 करोड़
किसानों को क्लेम की राशि देने के बाद भी बीमा कंपनियों ने साल 2016-17 में 1734.09 करोड़ और 2018-19 में 1717.86 करोड़ एमपी के किसानों के प्रीमियम से कमाए। हालांकि साल 2017-18 और साल 2019-20 में बीमा कंपनियों को प्रीमियम से कहीं अधिक क्लेम की राशि किसानों को देनी पड़ी थी। इसके बाद भी इन 4 सालों 2016 से 2019 तक बीमा कंपनी ने किसानों से 182 करोड़ कमाए। इन 4 सालों में बीमा कंपनी को 17694.37 करोड़ रूपए प्रीमियम मिला। वहीं 17512.25 करोड़ की क्लेम राशि किसानों को दी।
सिर्फ 30.72 प्रतिशत किसानों को ही मिलती है क्लेम की राशि
सूबे में करीब 74 लाख किसान 1 करोड़ 12 लाख 68 हजार हेक्टेयर पर बोई गई फसलों का बीमा कराते हैं। इसके लिए बीमा कंपनी को किसान और सरकार मिलकर 3 हजार 758 करोड़ रुपए का प्रीमियम देते हैं। जिसमें बीमित फसल की राशि 32 हजार करोड़ से ऊपर है। क्लेम मिलता कितने किसानों को है।
MP में फसल बीमा और क्लेम के आंकड़े
- 2016-17 में 74 लाख किसानों ने बीमा कराया, क्लेम 18.52 फीसदी यानी करीब 13 लाख किसानों को मिला।
मध्यप्रदेश में फसल बीमा कराने वाले किसानों की एवज में क्लेम की राशि औसतन 30.72 फीसदी किसानों को ही मिलती है।