चलो बुलावा आया है, भाईसाहब के कुर्सी के पाये ''मजबूत'', ये क्या कर गए भुप्पी, कौन रोकेगा भ्रष्टाचार की दारू?

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Harish Divekar
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चलो बुलावा आया है, भाईसाहब के कुर्सी के पाये ''मजबूत'', ये क्या कर गए भुप्पी, कौन रोकेगा भ्रष्टाचार की दारू?

BHOPAL. लगता है दुनिया घटनाओं, दुर्घटनाओं, बयानों और मुद्दों के बलबूते चल रही है। बीते हफ्ते भी इन सबसे सराबोर रहा। मुंबई में 56 साल के 'बॉयफ्रेंड' ने सालों से लिव इन में रह रही गर्लफ्रेंड को बेरहमी से मार दिया। जिसके साथ सालों तक सुख-दुख शेयर किया, उसे इस तरह मार देना चौंकाता है। या तो प्यार के मायने बदल गए हैं या हम में सहनशीलता की भयंकर कमी होती जा रही है। ओडिशा के जिस बहानगा स्टेशन पर भयंकर हादसा हुआ, उसे सील कर दिया गया है। भयंकर हादसे की सीबीआई जांच के चलते ऐसा किया गया है। छत्तीसगढ़ दौरे पर गए केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने गोडसे को भारत मां का सपूत बता दिया। बात बड़ी थी तो यहां रुकी भी नहीं। कभी कांग्रेस के रहे और अब सपा के सांसद दिग्गज वकील ने बयान दिया कि गिरिराज के बयान को मोदी-शाह को बेबुनियाद बताना चाहिए, लेकिन वो ऐसा नहीं करेंगे। अब इस गोडसे के बयान के मायने क्या निकलेंगे, ये तो वक्त ही बताएगा। इधर, मध्य प्रदेश में 'मामा जी' ने नया दांव खेल दिया। 'लाड़ली बहना' को फिलहाल तो एक हजार दे रहे हैं, इसे धीरे-धीरे 3 हजार कर देंगे। 'कमल' ने महिलाओं को 1500 देने को कहा था, अब सरकार को कुछ तो करना था सो कर दिया। चुनावी सिर पर हो तो भैया सब जायज है...। वहीं, कई खबरें पकीं, कुछ पकते-पकते रह गईं, कुछ खुशबू बिखेरकर लुप्त हो गईं, आप तो बस सीधे अंदरखाने उतर आइए...  





क्या होगा दिल्ली की बैठक में...





दिल्ली से मुख्यमंत्री को बुलावा क्या आया, प्रदेश में राजनीतिक हलचल शुरू हो गई। मुख्यमंत्री ने दिल्ली की बैठक के चलते अपने दो दिन रिजर्व रखे हैं। बताया जा रहा है अमित शाह, जेपी नड्डा, बीएल संतोष के साथ होने वाली बैठक में विधानसभा चुनाव के ब्लू प्रिंट पर प्रारंभिक चर्चा होगी। चुनावी मैदान में उतरने से पहले एंटी-इन्कंबेंसी को खत्म करने के लिए गणित ज्ञान भी लगाया जाएगा। बीजेपी के नेता दिल्ली में अपने आकाओं को फोन लगाकर जानना चाह रहे हैं कि आखिर इस बैठक में क्या होगा, क्या कोई बड़ा विकेट गिर सकता है?  





भाईसाहब को कौन निपटा रहा है...





भाईसाहब भारी परेशान हैं, एक मोर्चा संभालते हैं तो दूसरा खुल जाता है। ऐसा लग रहा है कि पार्टी के दिग्गज लामबंद होकर भाईसाहब को निपटाने में लग गए हैं। साजिश भी इस कदर की सोशल मीडिया पर भाईसाहब के हटने की खबर वायरल हो गई, 5 घंटे तक सोशल मीडिया पर खबर चलती रही, लेकिन पार्टी के किसी बड़े नेता का खंडन नहीं आया। इसके बाद एक प्रतिष्ठित अखबार में दिल्ली से खबर लग गई कि भाईसाहब जाने वाले हैं। इन खबरों के बीच भाईसाहब ने भी अपने आकाओं को दिल्ली फोन घुमाना शुरू कर दिए हैं। इधर, भाईसाहब फुल कॉन्फिडेंस के साथ एक्टिव होकर ये मैसेज देने की कोशिश कर रहे हैं कि मैं कहीं नहीं जाने वाला। हालांकि, वो तो आने वाला समय बताएगा कि उनकी कुर्सी के पाये कितने मजबूत हैं।





भुप्पी से क्यों नाराज हैं माननीय? 





भुप्पी भैया के खिलाफ हजारों एकड़ जमीन खरीदने का मामला क्या दर्ज हुआ। राजनीति और प्रशासनिक गलियारों में चर्चा आम हो गई कि आखिर भुप्पी भैया से माननीय नाराज क्यों हैं? क्योंकि इसके पहले भुप्पी भैया ने पत्रकारवार्ता कर जैसे ही महाकाल लोक में भ्रष्टाचार को क्लीनचिट दी, वैसे ही दूसरे दिन माननीय ने जांच समिति बना दी। माननीय की वक्रदृष्टि ने भुप्पी भैया के सारे गणित बिगाड़ दिए है। कल तक भुप्पी भैया की जमकर दादागिरी चल रही थी, उनसे प्रताड़ित दो मंत्री और विधायकों ने सीएम के यहां गुहार भी लगा चुके हैं।





इन आईएएस अफसरों की उड़ी नींद





महाकाल लोक के महा भ्रष्टाचार की जांच में माननीय की एंट्री के बाद चार आईएएस अफसरों नींद उड़ गई है। इनमें 2013 और 2014 बैच के नए युवा आईएएस भी शामिल हैं। महाकाल लोक निर्माण के दौरान जो-जो उज्जैन में कलेक्टर, नगर निगम कमिश्नर और स्मार्ट सीईओ रहे हैं, वो सब इस जांच के दायरे में आ रहे हैं। अंदरखानों की माने तो लोकायुक्त समिति के हाथ कुछ ऐसे दस्तावेज लगे हैं, जिसमें कुछ आईएएस अफसरों का सीधा घिरना तय माना जा रहा है। अब सब दुआ कर रहे हैं कि जांच खत्म होने से पहले माननीय का कार्यकाल खत्म हो जाए तो फिर इस मामले को मैनेज कर लेंगे।





ईमानदार मैडम के राज में भ्रष्टाचार की दारू





प्रदेश के कद्दावर लोगों में चर्चा है कि मदिरा वाले महकमे की मुखिया मैडम हैं तो ईमानदार, लेकिन वो भ्रष्टाचार की दारू को बहने से रोक नहीं पा रही हैं। शराब कारोबारी मस्त हो गए हैं, सरकार को जमकर चूना लगा रहे हैं, लेकिन मैडम चाहकर भी कुछ नहीं कर पा रहीं। इंदौर, भोपाल, रीवा, सतना, उमरिया में सरकार की नाक के नीचे फर्जी एफडीआर घोटाला हो गया, लेकिन मजाल है कि घोटालेबाज अफसर और शराब कारोबारियों का बाल भी बांका हुआ हो। मैडम की आंखों के सामने घोटाले की लीपापोती होना शुरू हो गई, लेकिन वे चाहकर भी कुछ नहीं कर पा रहीं। बड़ा सवाल ये है कि शराब कारोबारियों को संरक्षण कौन दे रहा है?



 



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