मुहर्रम के जुलूस पर औरंगजैब ने क्यों लगाई थी रोक

इमाम हुसैन की शहादत की याद में दुनियाभर में शिया मुस्लिम मुहर्रम मनाते हैं। इमाम हुसैन, पैगंबर मोहम्मद के नाती थे, जो कर्बला की जंग में शहीद हुए थे। उन्ही की याद में मुहर्रम मनाते हैं। 

Advertisment
author-image
Ravi Singh
New Update
muharram aurangzaib
Listen to this article
0.75x 1x 1.5x
00:00 / 00:00

इस्‍लाम धर्म के नए साल की शुरुआत मोहर्रम महीने से होती है, मुहर्रम का महीना इस्‍लामी साल का पहला महीना होता है, इसे हिजरी भी कहा जाता है। हिजरी सन् की शुरूआत इसी महीने से होती है। मुहर्रम इस्लाम के चार पवित्र महीनों में से एक है। इस साल 17 जुलाई को मोहर्रम है।

मुहर्रम क्यों मनाया जाता है 

इमाम हुसैन की शहादत की याद में दुनियाभर में शिया मुस्लिम मुहर्रम मनाते हैं। इमाम हुसैन, पैगंबर मोहम्मद के नाती थे, जो कर्बला की जंग में शहीद हुए थे। उन्ही की याद में मुहर्रम मनाते हैं। 

मुहर्रम की शुरूआत

बाबर के बाद हुमायूं के दौर में शियाओं का जिक्र आता है। 1540 में चौसा की जंग में शेर शाह सूरी से हारने के बाद हुमायूं ने काबुल में शरण लेना चाह, लेकिन वहां उनके भाई कामरान मिर्जा ने उनको गिरफ्तार करने की कोशिश में था। हुमायूं को भागकर पर्शिया यानी ईरान जाना पड़ा। ईरान शिया बहुल है। यहां तब सफ़विद वंश के शाह तहमस्प का राज था। शाह ने हुमायूं को सुन्नी से शिया बनने को कहा।

ये खबर भी पढ़ें...

देवशयनी एकादशी बुधवार को, मांगलिक कार्यों पर लग जाएगा विराम

हुमायूं को लगा, शिया तो नहीं बन सकते लेकिन बाहरी तौर पर शिया पंथ के लिए उदारता दिखाई तो शाह से मदद जरूर मिल सकती है। ऐसा ही हुआ भी कामरान मिर्ज़ा ने शाह को हिदायत दी कि अगर वो हुमायूं को सौंप दे, तो बदले में शाह को कंधार मिलेगा। लेकिन शाह ने हुमायूं का साथ देते हुए एक बड़ी सेना हुमायूं को सौंप दी। इस फौज की मदद से हुमायूं ने न सिर्फ कामरान को हराया बल्कि दिल्ली की गद्दी पर दोबारा बैठ गया। इस घटना के बाद दिल्ली में शियाओं की संख्या बढ़ी, फारस से साथ आई हुमायूं की फौज में शिया सैनिक थे। वे भी हिंदुस्तान में रहने लगे। हुमायूं ने शियाओं की धार्मिक परंपरा का ख्याल भी रखा। जिसके चलते बड़े स्तर पर मुहर्रम मनाने और जुलूस निकालना शुरू कर दिया।

औरंगजेब ने मुहर्रम पर लगाई रोक

शाहजहां के बाद औरंगजेब का राज आया। जिन्हें दूसरे धर्मों से असहेज था। औरंगजेब के दौर में जिक्र मिलता है कि मुहर्रम के जुलूस में कई जगहों पर शिया सुन्नी के बीच दंगे होते थे। जिसके चलते साल 1669 में औरंगज़ेब ने मुहर्रम के जुलूस पर रोक लगा दी थी।

thesootr links

  द सूत्र की खबरें आपको कैसी लगती हैं? Google my Business पर हमें कमेंट के साथ रिव्यू दें। कमेंट करने के लिए इसी लिंक पर क्लिक करें

 

Muharram Aurangzeb मुहर्रम