/sootr/media/post_banners/4234c4e704d157b0ee85efd7ec204fd5a22c3874c51314f6afd85fb90b29edd5.jpeg)
LUCKNOW. लखनऊ में मुख्तार अंसारी के करीबी बदमाश संजीव माहेश्वरी उर्फ जीवा की दिनदहाड़े पॉक्सो कोर्ट के गेट पर गोली मारकर हत्या कर दी गई। बदमाश वकील की ड्रेस में आए थे। उन्होंने संजीव जीवा पर ताबड़तोड़ फायरिंग की। इसके बाद फरार हो गए। इसमें एक बच्ची को भी गोली लगी है, वहीं 2 सिपाही भी घायल हुए हैं। फायरिंग से कोर्ट में भगदड़ और अफरा-तफरी मच गई। मौके पर बड़ी संख्या में पुलिस तैनात है। आला अधिकारी भी मौके पहुंचे हैं। जीवा मुजफ्फरनगर का एक कुख्यात बदमाश था।
कृष्णानंद राय हत्याकांड में था आरोपी
संजीव जीवा कृष्णानंद राय हत्याकांड में आरोपी था। वो मुन्ना बजरंगी और मुख्तार अंसारी का करीबी बताया जाता है। संजीव जीवा पर दिनदहाड़े कोर्ट कैंपस में गोली मारी गई और मौके पर ही उसकी मौत हो गई। लखनऊ कोर्ट कैंपस को लेकर बदमाशों के इस हमले से फिर सनसनी फैल गई है। प्रयागराज हत्याकांड के करीब 4 महीने बाद ऐसा मामला सामने आया है।
बच्ची को भी लगी गोली, हालत गंभीर
बताया जा रहा है कि वकीलों के वेश में पहुंचे अपराधियों ने इस हत्याकांड को अंजाम दिया है। एक अपराधी को पकड़कर पुलिस केसरबाग पुलिस थाने ले गई है। घायल बच्ची को अस्पताल ले जाया गया है, जहां उसकी हालत अभी गंभीर बताई जाती है। संजीव जीवा मुजफ्फरनगर का रहने वाला था। वो मुख्तार अंसारी, मुन्ना बजरंगी और भाटी गैंग के लिए काम करता था। उसके खिलाफ 3 दर्जन के करीब मामले दर्ज बताए जाते हैं।
कुछ दिन पहले बताया था जान को खतरा
संजीव जीवा की पत्नी पायल माहेश्वरी ने कुछ दिनों पहले ही अपने पति की जान का खतरा बताते हुए सुरक्षा की गुहार लगाई थी। उसकी सुरक्षा इसके बाद बढ़ाई भी गई थी, लेकिन कोर्ट कचहरी के भीतर हुए हमले ने दहशत फैला दी है।
कृष्णानंद राय पर चढ़ा दी थी गाड़ी
बताया जाता है कि कृष्णानंद राय हत्याकांड में संजीव भाटी इस कदर शामिल था कि उसने तत्कालीन विधायक की गाड़ी पर चढ़ाकर एके-47 से ताबड़तोड़ 27 गोलियां बरसाई थीं। इसमें कृष्णानंद राय समेत कई लोग मारे गए थे। कृष्णानंद राय हत्याकांड में अभी मुख्तार अंसारी समेत कई लोगों को सजा हुई है।
कंपाउंडर की नौकरी से कैसे बना गैंगस्टर
जानकारी अनुसार, शुरुआती दिनों में जीवा एक दवाखाने में कंपाउंडर की नौकरी करता था। बाद में उसी दवाखाना संचालक के मालिक को ही अगवा कर लिया। इस घटना के बाद उसने 90 के दशक में कोलकाता के एक कारोबारी के बेटे का भी अपहरण किया और फिरौती में 2 करोड़ की मांग की। इसके बाद वो हरिद्वार की नाजिम गैंग में घुसा, फिर सतेंद्र बरनाला के साथ जुड़ा, लेकिन उसे अपने अंदर एक गैंग बनाने की तड़प थी।