मुंबई कोर्ट का सेक्स वर्कर की अर्जी पर फैसला- मर्जी से सेक्स वर्क करना अपराध नहीं, बस पब्लिक प्लेस पर नहीं होना चाहिए

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Atul Tiwari
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मुंबई कोर्ट का सेक्स वर्कर की अर्जी पर फैसला- मर्जी से सेक्स वर्क करना अपराध नहीं, बस पब्लिक प्लेस पर नहीं होना चाहिए

MUMBAI. यहां एक सेशंस ने सेक्स वर्क को लेकर बड़ा फैसला सुनाया। कहा कि अगर कोई अपनी मर्जी से सेक्स वर्क करता है तो यह अपराध नहीं है। हालांकि, सार्वजनिक स्थानों पर इस तरह का काम करना अपराध की श्रेणी में आएगा। कोर्ट ने कहा कि सार्वजनिक स्थानों पर जहां लोगों को ऐसे कामों से दिक्कत होती है, वहां अगर सेक्स वर्क किया जाता है तो इसे क्राइम माना जाएगा। कोर्ट 34 साल की एक महिला सेक्स वर्कर की अर्जी पर सुनवाई कर रही थी। फरवरी में एक रेड के दौरान उसे पकड़ा गया था और तब से सरकारी आश्रय गृह में रखा गया था। 



मजिस्ट्रेट कोर्ट ने महिला सेक्स वर्कर एक साल तक केयर, सुरक्षा और आश्रय के नजरिए से हिरासत में रखने का आदेश दिया था। महिला ने इस आदेश के खिलाफ सेशन कोर्ट में याचिका दायर की थी। सेशन कोर्ट ने इस आदेश को निरस्त करते हुए कहा कि अनुच्छेद 19 के तहत देश के किसी कोने में आना-जाना और रहना मौलिक अधिकार का हिस्सा है और इसका उल्लंघन नहीं किया जा सकता।



कोर्ट ने पुलिस को ताकीद दी, सुप्रीम कोर्ट के आदेश का हवाला दिया



कोर्ट ने कहा, पीड़ित इस देश की नागरिक है। अगर उसे बेवजह हिरासत में लिया गया है तो यह गलत है। पुलिस को इस बात को कन्फर्म करना चाहिए कि क्या वह सार्वजनिक जगह पर सेक्स वर्क में संलिप्त थी। अगर ऐसा नहीं था तो यह अपराध नहीं है। पीड़ित को कहीं भी आने-जाने की आजादी होनी चाहिए। पीड़ित के दो बच्चे भी हैं और उन्हें अपनी मां की जरूरत है। 



कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के उस आदेश का हवाला दिया जिसमें कहा गया था कि वेश्यालय चलाना और जबरन सेक्स वर्क करवाना अपराध है, लेकिन अगर कोई अपनी मर्जी से यह काम करता है तो इसे अपराध की श्रेणी में नहीं रखा जा सकता। पुलिस की रिपोर्ट में कहा गया था कि जानकारी मिली थी कि एक होटल का मालिक महिलाओं से वेश्यावृत्ति करवाता है। इसके बाद नकली ग्राहक बनकर धरपकड़ की गई थी। 



वो 5 देश, जहां सेक्स वर्क लीगल 




  • नीदरलैंड- सेक्स वर्क को लीगल और रेग्युलेट करने वाले दुनिया के पहले देशों में से एक है। साल 2000 से ही यहां सेक्स वर्क को रेग्युलेट किया जा रहा है। नीदरलैंड में सेक्स वर्क को इसलिए लीगल किया गया था, ताकि संगठित अपराध पर काबू पाया जा सके, मानव तस्करी को लिमिट किया जा सके, सेक्स वर्कर को हेल्थकेयर का सही से एक्सेस मिल सके, और सेक्स वर्क सेफ हो सके।


  • स्विट्जरलैंड- साल 1942 से ही सेक्स वर्क लीगल है। देश में पहला कानूनी वेश्यालय साल 1998 में खुला था। आमतौर पर सेक्स वर्कर्स यहां वेश्यालय में काम करते हैं या फिर चिन्हित जगहों पर सेक्स वर्क के लिए रोज टिकट खरीदती हैं। 

  • जर्मनी- यूरोप का सबसे बड़ा वेश्यालय जर्मनी में है। माना जाता है कि यहां साल 1800 से ही सेक्स वर्क चल रहा है, लेकिन 2002 में सरकार ने इसे फॉर्मली लीगल कर दिया था, जिसके बाद यह ट्रेड बहुत तेजी से बढ़ा। 2019 की एक रिपोर्ट के मुताबिक, तब यहां सालाना करीब 1,300 अरब रुपए का बिजनेस था और करीब 10 लाख सेक्स वर्कर्स काम करते थे।

  • ग्रीस- रजिस्टर्ड वेश्यालयों में सेक्स वर्क लीगल है, लेकिन एथेंस के ज्यादातर वेश्यालय रजिस्टर्ड नहीं हैं। यहां स्ट्रीट प्रॉस्टीट्यूशन भी लीगल है। इसके बावजूद ज्यादातर महिलाएं गलियों में सेक्स वर्क करती हैं।

  • बांग्लादेश- यहां साल 2000 से ही सेक्स वर्क लीगल और रेग्युलेटेड है। यह फैसला एक बड़े आंदोलन के बाद लिया गया था। दरअसल, 100 सेक्स वर्कर्स को एक साल तक हिरासत में रखा गया था, जिसके बाद महिला की आजादी और समान अधिकार को लेकर वहां एक बड़ा आंदोलन खड़ा हो गया। फिर सेक्स वर्क को एक खाका तैयार कर लीगल कर दिया गया।


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