नासा बनाएगा नए सिस्टम वाला रॉकेट, अब मंगल तक पहुंचने में 2 साल नहीं लगेगा सिर्फ इतना समय

नासा का कहना है कि पीपीआर का प्रोपल्शन सिस्टम अत्याधुनिक होगा। रॉकेट को न्यूक्लियर फ्यूजन पावर सिस्टम के जरिए ऊर्जा मिलेगी। एटम तोडऩे पर भारी ऊर्जा पैदा होगी, जिससे रॉकेट तेज रफ्तार से आगे बढ़ेगा।

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Pratibha ranaa
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अंतरिक्ष यान को अभी पृथ्वी से मंगल ग्रह पर पहुंचने में लगभग 22 से 24 महीने लगते हैं। अमरीकी अंतरिक्ष एजेंसी पल्स्ड प्लाज्मा रॉकेट ( Pulsed Plasma Rocket ) नाम से एक ऐसा रॉकेट बनाने जा रही है, जो सिर्फ दो महीने में मंगल ग्रह तक पहुंचा देगा। इस रॉकेट के बनने के बाद गहरे अंतरिक्ष में किसी भी तरह का मिशन करना ज्यादा आसान हो पाएगा।  

NASA की प्लाज्मा रॉकेट बनाने की प्लानिंग 

नासा ने इस रॉकेट पर काम करने के लिए Howe Industries को फंडिंग दी है। यह रॉकेट हाई स्पेसिफिक इंपल्स या lsp पर उड़ान भरेगा। पल्स्ड प्लाज्मा रॉकेट में न्यूक्लियर फिजन पावर सिस्टम लगा होगा। इसके जरिए रॉकेट को ऊर्जा मिलेगी। इसमें एटम को तोड़ा जाएगा। एटम को तोड़ने पर भारी एनर्जी पैदा होगी, जिससे रॉकेट तेजी से आगे की ओर बढ़ेगा, लेकिन पल्स्ड प्लाज्मा रॉकेट  छोटा होगा, सिंपल होगा और कई तरह के रॉकेट्स की तुलना में किफायती होगा।

पल्स्ड प्रोपल्शन रॉकेट सिस्टम 

नासा का नया रॉकेट सिस्टम ना सिर्फ इंसानों बल्कि कार्गो मिशन को भी तेजी से मंगल ग्रह पर भेजने के काबिल होगा। अमेरिका के रिजोना स्थित होवे इंडस्ट्रीज पल्स्ड प्रोपल्शन रॉकेट सिस्टम (PPR) को बना रही है। कम समय में हाई वेलोसिटी तक पहुंचने के लिए पल्स्ड प्लाज्मा रॉकेट न्यूक्लियर फिजन का इस्तेमाल करेगा। एटम के अलग होने से एनर्जी निकलेगी और थ्रस्ट यानी जोर पैदा करने के लिए प्लाज्मा के पैकेट बनेंगे। वहीं नासा के मुताबिक पल्स्ड प्लाज्मा रॉकेट छोटा, आसान और ज्यादा किफायती है।

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