NCERT ने भारत-पाक बंटवारे को लेकर तीन लोगों को ठहराया जिम्मेदार, मचा बवाल

एनसीईआरटी का नया मॉड्यूल जारी हो गया है। जिसमें तीन लोगों को भारत के बंटवारे का जिम्मेदार ठहराया गया है, इसमें कांग्रेस, जिन्ना और लॉर्ड माउंटबेटन का नाम शामिल किया गया है।

author-image
Thesootr Network
New Update
NCERT NEWS
Listen to this article
0.75x1x1.5x
00:00/ 00:00

राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (NCERT) एक बार फिर चर्चाओं में आ गया है। एनसीईआरटी ने बताया है कि साल 1947 में भारत के बंटवारे के पीछे तीन लोगों का हाथ था, जिसके चलते लाखों लोगों की जिंदगियों पर गहरा असर पड़ा था।

एनसीईआरटी की ओर से क्लास 6 से 8 और 9 से 12 के लिए दो नए मॉड्यूल जारी किए हैं, जिसमें अब बच्चों को बताया जाएगा कि 1947 में बंटवारे के समय लोगों को किन परेशानियों का सामना करना पड़ा था। 

तीन लोगों की वजह से हुआ था बंटवारा

एनसीईआरटी मॉड्यूल में बताया गया है कि भारत का बंटवारा एक वजह से नहीं बल्कि, तीन लोगों की वजह से हुआ था। 

मुहम्मद अली जिन्ना- जिन्होंने बंटवारे की मांग की थी। 
कांग्रेस- जिन्ना की जिद्द के सामने झुक गई। 
लॉर्ड माउंटबेटन- बंटवारे की प्रक्रिया को पूरा किया।

क्या था बंटवारे पर ब्रिटिश सरकार का मत

मॉड्यूल के मुताबिक, भारत का बंटवारा गलत सोच की वजह से हुआ था। साल 1940 में मुस्लिम लीग ने लाहौर में एक बैठक की थी, इस दौरान जिन्ना ने कहा था कि हिंदू और मुसलमान अलग-अलग धर्म, रीति-रिवाज, साहित्य और नायकों वाले समुदाय हैं। हालांकि, ब्रिटिश सरकार का भारत के बंटवारे को लेकर अलग मत था। ब्रिटिश सरकार चाहती थी कि भारत आजाद तो हो, लेकिन उसका बंटवारा नहीं हो।

इसके लिए ब्रिटिश सरकार ने योजना बनाई थी कि भारत को डोमिनियन स्टेटस का दर्जा दिया जाए। इसका मतलब यह था कि ब्रिटिश केवल नाम का राजा होता। साथ ही, भारत के हाथ में शासन की प्रमुखता रहती। ब्रिटिश सरकार की यह भी योजना थी कि भारत के अलग-अलग प्रांत के पास यह अधिकार होना चाहिए कि वह इस डोमिनियन का हिस्सा बनें या न बनें। हालांकि, कांग्रेस ने ब्रिटिश सरकार की इस योजना को ठुकरा दिया। 

एनसीईआरटी ने 1947 के बंटवारे को लेकर नए मॉड्यूल जारी किए

  1. इन मॉड्यूल्स में बच्चों को बताया जाएगा कि बंटवारे के दौरान लोगों को किन परेशानियों का सामना करना पड़ा था।

  2. मुहम्मद अली जिन्ना, कांग्रेस और लॉर्ड माउंटबेटन को बंटवारे का जिम्मेदार ठहराया गया है।

  3. ब्रिटिश सरकार चाहती थी कि भारत का बंटवारा न हो, लेकिन कांग्रेस ने विभाजन को स्वीकार कर लिया।

  4. गांधीजी बंटवारे के खिलाफ थे, जबकि पटेल ने गृहयुद्ध से बचने के लिए बंटवारे को स्वीकार किया।

  5. पीएम मोदी ने 14 अगस्त को विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस मनाने का ऐलान किया और बंटवारे के दर्द को कभी न भूलने की बात कही।

ये भी पढ़िए...हर साल होगा एनसीईआरटी की किताबों में चेंज, जरूरत के हिसाब करें अपडेट Ministry of Education

बंटवारे पर सरदार पटेल की राय

एनसीईआरटी के नए मॉड्यूल के मुताबिक, भारत में आजादी के दौरान कई बड़े नेताओं की अलग-अलग राय थी। इधर, सरदार वल्लभ भाई पटेल शुरू से ही बंटवारे के पक्ष में नहीं थे। हालांकि, बाद में पटेल ने जबरदस्ती इस फैसले को स्वीकार कर लिया। 

पटेल ने साल 1947 के जुलाई महीने में बॉम्बे की एक जनसभा में कहा था- देश युद्ध का मैदान बन चुका है, दोनों समुदाय अब शांति के साथ नहीं रह सकते। गृहयुद्ध से अच्छा है कि बंटवारा कर दिया जाए। 

बंटवारा मैंने नहीं किया- लॉर्ड माउंटबटेन

भारत के अंतिम वायसराय लॉर्ड माउंटबेटन ने कहा था- भारत का बंटवारा मैंने नहीं किया। यह भारतीय नेताओं ने खुद मंजूर किया। मेरा काम केवल शांति से लागू करना था। जल्दबाजी करने की गलती मेरी थी, लेकिन इसके बाद भारत में जो हिंसा हुई, यह गलती भारतीयों की थी। 

ये भी पढ़िए...मध्य प्रदेश कांग्रेस के 71 नए जिला अध्यक्षों की घोषणा, 5 वर्तमान और 9 पूर्व विधायकों को जिम्मेदारी

बंटवारे के खिलाफ थे महात्मा गांधी

नए एनसीईआरटी के नए मॉड्यूल के मुताबिक, महात्मा गांधी भी बंटवारे के खिलाफ थे। उन्होंने 9 जून 1947 के दिन एक प्रार्थना सभा में अपना पक्ष रखते हुए कहा था- अगर कांग्रेस बंटवारे के लिए हामी भरती है तो मैं इसके खिलाफ जाऊंगा। हालांकि, मैं इसका विरोध हिंसा या फिर गुस्से से नहीं करूंगा। गांधी के इस बयान के बाद हालात ऐसे बने कि जवाहर लाल नेहरू और सरदार वल्लभ भाई पटेल ने गृहयुद्ध के डर से बंटवारे को स्वीकार कर लिया। महात्मा गांधी ने भी अपना विरोध को छोड़ दिया। इसके बाद 14 जून 1947 के दिन कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक होती है, जिसमें बंटवारे के पक्ष में कई नेता अपना मत देते हैं। 

जल्दबाजी में हुई सबसे बड़ी गलती

बदलाव किए गए मॉड्यूल में लॉर्ड माउंटबेटन ने बड़ी करते हुए सत्ता हस्तांतरण करने की तारीख जून 1948 से बदलकर अगस्त 1947 कर दिया। ऐसे में ब्रिटिश सरकार को 5 हफ्ते तक का समय मिल गया। सीमाओं का जल्दबाजी में बंटवारा किया गया। ऐसा करने से 15 अगस्त के दिन पंजाब के लोगों को पता ही नहीं चला कि वे भारत में हैं या पाकिस्तान में। बाद में इस लापरवाही को बड़ी गलती के रूप में स्वीकार किया गया। 

माना जा रहा था कि बंटवारे के बाद हिंदू और मुसलमानों के बीच नफरत खत्म हो जाएगी। लेकिन ऐसा नहीं हुआ। इसी दौरान दोनों देशों के बीच कश्मीर का मुद्दा छिड़ गया और यह भारतीय विदेश नीति के लिए भी एक नई चुनौती बन गई। कई कश्मीर के मुद्दे पर पाकिस्तान के साथ दिखाई देने लगे, जिसके चलते इस दौरान भारत पर काफी दवाब बना। 

पीएम मोदी कैसे देखते हैं बंटवारे को 

मौजूदा प्रधानमंत्री नरेंद मोदी को भी एनसीईआरटी के नए मॉड्यूल में जोड़ा गया है। पीएम मोदी ने 14 अगस्त के दिन को विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस (Partition Horrors Remembrance Day) मनाने का ऐलान किया। उन्होंने कहा- विभाजन का दर्द कभी भुला नहीं जा सकता। बंटवारे के दौरान लाखों बहन-भाई बेघर हो हुए। कई लोगों ने अपनी जान गंवाई। हमारे लोगों के संघर्ष और बलिदान की याद में हर साल 14 अगस्त के दिन विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस मनाया जाएगा। 

 ये भी पढ़िए...ग्वालियर में एयर इंडिया के विमान की हुई इमरजेंसी लैंडिंग, यात्रियों ने किया जमकर हंगामा

बंटवारे को लेकर पूरी सच्चाई नहीं बताई गई- कांग्रेस

एनसीईआरटी के मॉड्यल पर अब कांग्रेस ने भी प्रतिक्रिया दी है। पार्टी की ओर से कहा गया कि एनसीईआरटी के मॉड्यूल में बंटवारे को लेकर पूरी तरह से सच्चाई नहीं बताई गई है। कांग्रेस नेता पवन खेडा ने कहा कि अगर इसमें केवल कांग्रेस और जिन्ना को ही जिम्मेदार ठहराया गया है, तो यह कहानी भी अधूरी है।

thesootr links

सूत्र की खबरें आपको कैसी लगती हैं? Google my Business पर हमें कमेंट केसाथ रिव्यू दें। कमेंट करने के लिए इसी लिंक पर क्लिक करें

अगर आपको ये खबर अच्छी लगी हो तो 👉 दूसरे ग्रुप्स, 🤝दोस्तों, परिवारजनों के साथ शेयर करें📢🔃🤝💬👩‍👦👨‍👩‍👧‍👧👩

भारत पाकिस्तान बंटवारे के लिए कौन जिम्मेदार

पीएम मोदी कांग्रेस NCERT सरदार वल्लभ भाई पटेल जवाहर लाल नेहरू लॉर्ड माउंटबेटन भारत पाकिस्तान बंटवारे के लिए कौन जिम्मेदार एनसीईआरटी मॉड्यूल