एनडीए या इंडिया...किसकी सरपरस्ती में मनेगा संघ के 100वें साल का जश्न?

जब संघ अपनी 100वीं वर्षगांठ मनाएगा, तब महाराष्ट्र में मुख्यमंत्री महायुति या महाअघाड़ी से होगा। 23 नवंबर को साफ हो जाएगा कि महाराष्ट्र में किसकी सरकार बनेगी।

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Anand Pandey
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NDA India Maharashtra Elections
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पूरे देश की निगाहें महाराष्ट्र पर टिकी हुई हैं। किसकी सरकार बनेगी ? अगले साल (2025) स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) का शताब्दी वर्ष भी है। क्या जब संघ अपने सौ साल का जश्न मना रहा होगा तब महाराष्ट्र में बीजेपी का मुख्यमंत्री होगा या एनडीए (महाराष्ट्र के संदर्भ में महायुति ) के किसी घटक दल का या इंडिया गठबंधन (महाअघाड़ी) का ? सब कुछ शनिवार, 23 तारीख को साफ हो जाना चाहिए। हो जाएगा, ऐसा पक्के तौर पर इसलिए नहीं लिख सकते क्योंकि किसी भी गठबंधन को बहुमत यानी 144 सीटें मिल पाएंगी इसमें संशय ही जताया जा रहा है। फिर भी महाराष्ट्र से जो खबरें निकल कर आ रही हैं और वहां गए मध्यप्रदेश के नेताओं का जो आकलन हैं उसके मुताबिक इस बात की प्रबल संभावना है कि महाराष्ट्र में बीजेपी सरकार बना लेगी। इस आकलन के पीछे बहुत से कारण हैं।

बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी बनने की संभावना ज्यादा

पहला और सबसे बड़ा कारण तो ये है कि वहां बीजेपी ही सबसे ज्यादा सीटों पर चुनाव लड़ी है। बीजेपी ने 149 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे हैं। उम्मीदवार उतारने के मामले में कांग्रेस दूसरे नंबर पर है। कांग्रेस ने 101 सीटों पर प्रत्याशी उतारे हैं, जबकि शिंदे वाली शिवसेना ने 81, उद्धव वाली शिवसेना ने 95,अजित पवार वाली एनसीपी ने 59 और शरद पवार वाली एनसीपी ने 86 सीटों पर उम्मीदवार दिए हैं। ऐसे में सामान्य अंकगणित के हिसाब से देखें तो बीजेपी के सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरने की संभावना सबसे ज्यादा है। ये बात दूसरी है कि चुनाव के छह महीने पहले तक कयास लगाए जा रहे थे कि बीजेपी 50-55 सीटें ले आएगी तो बड़ी बात हो जाएगी। लेकिन लाड़ली बहनों के प्यार के कारण अब वोटिंग होने के बाद आकलन किया जा रहा है कि बीजेपी 100 के आंकड़े के इर्द-गिर्द तक पहुंच सकती है। अगर ऐसा होता है तो फिर बीजेपी को शायद ही सरकार बनाने से कोई रोक पाए। क्योंकि शिंदे की शिवसेना और अजित की एनसीपी 44 सीटें तो ले ही आएगी। अगर नहीं भी ला पाती हैं तो फिर सबकी निगाहें निर्दलीय उम्मीदवारों पर जाकर टिक जाएंगी। आकलन है कि इस बार महाराष्ट्र में कम से कम 25-30 उम्मीदवार ऐसे होंगे जो निर्दलीय या किसी छोटी-मोटी पार्टी से जीतेंगे। यहां ध्यान रखना चाहिए कि महाराष्ट्र में इस बार कुल 158 दल मैदान में खम ठोंक रहे थे। फिर पुराने अनुभवों को ध्यान में रखकर ये तो दावे के साथ कहा ही जा सकता है कि अगर संख्या बल बटोरने की बात आएगी तो बीजेपी को इस मामले में पस्त करना शायद ही किसी के बस की बात होगी।

महाअघाड़ी के अच्छे प्रदर्शन पर अजित मारेंगे पलटी ?

लेकिन महाराष्ट्र के मैदान में एक सबसे बड़े खिलाड़ी शरद पवार भी हैं। कोई भी आकलन करते वक्त उनको भूल जाना कतई ठीक नहीं रहेगा। अगर पवार वाले गठबंधन यानी महाअघाड़ी ने अच्छा प्रदर्शन किया तो क्या अजित पलटी मारकर उनके साथ जा सकते हैं ? दूर से देखने पर ऐसा भले ही लगे, लेकिन तमाम वजहों से अजित ऐसा दुस्साहसी कदम उठा नहीं पाएंगे। शिंदे भी पाला बदलने जैसा कोई अप्रत्याशित कदम उठाएंगे इसकी आशंका शून्य ही है। हां, निर्दलीय जरूर महाअघाड़ी का साथ दे सकते हैं अगर वो जादुई आंकड़े के आस-पास पंहुच जाते हैं तो। लेकिन ये भी इस बात पर निर्भर करेगा कि कौन सा गठबंधन 144 के ज्यादा पास खड़ा हुआ है? 

बड़ी पार्टी होने से कांग्रेस की दावेदारी ज्यादा

ये तो बात हुई सरकार की। अब चर्चा कर लेते हैं मुख्यमंत्री की। कौन बनेगा मुख्यमंत्री ? अगर एनडीए की सरकार बनी तो देवेंद्र फडणवीस रेस में सबसे होंगे। बीजेपी की ओर से मध्यप्रदेश,छत्तीसगढ या राजस्थान जैसा कोई चौंकाने वाला नाम सामने आएगा फिलहाल तो कम से कम ऐसा नहीं दिख रहा है। और दूसरे छोटे घटक दल दावा कर पाएंगे ऐसा सोचना भी सिरे से गलत होगा। इस बार बीजेपी की कोशिश होगी कि महाराष्ट्र में पांच साल के लिए स्थिर सरकार दी जाए। इधऱ महाअघाडी से शरद पवार या उनकी बेटी सुप्रिया के सिवाए कोई दूसरा दमदार नाम दिखाई नहीं देता है। हां, गठबंधन की बड़ी पार्टी होने के नाते कांग्रेस दावेदारी जरूर कर सकती है। शिवसेना के उद्धव ठाकरे मुख्यमंत्री पद का दावा उसी हालत में कर पाएंगे जब उनका प्रदर्शन बहुत शानदार रहेगा। लेकिन एक बात तो तय है- मुख्यमंत्री को लेकर अघाडी में घमासान सौ फीसदी होना है। 
मराठा आंदोलन ने बीजेपी का कितना नुकसान किया,लाडली बहनों ने महायुति पर कितना प्यार उडेला और एनसीपी-शिवसेना की टूट से उपजी सिंपैथी को महाविकास अघा़डी कितना भुना पाई इन सब पर फिलहात तो सिर्फ कयासबाजी ही की जा सकती है। हां महाराष्ट्र के नतीजे इस बात की चुगली जरूर कर देंगे कि लोकसभा में इंडिया गठबंधन का प्रदर्शन सधा हुआ तीर था या धोखे से चला तुक्का।

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