भारत ने रचा इतिहास, इसरो ने गगनयान की पहली टेस्ट फ्लाइट सफलतापूर्वक की लॉन्च

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Chandresh Sharma
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भारत ने रचा इतिहास, इसरो ने गगनयान की पहली टेस्ट फ्लाइट सफलतापूर्वक की लॉन्च

SRIHARIKOTA. तमाम बाधाओं और चुनौतियों से पार पाते हुए इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गनाइजेशन (इसरो) ने शनिवार (21 अक्टूबर) को गगनयान मिशन की पहली टेस्ट फ्लाइट लॉन्च कर इतिहास रच दिया है। इसरो ने सुबह 10 बजे श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से गगनयान के क्रू मॉड्यूल को सफलतापूर्वक लॉन्च किया, इसे टेस्ट व्हीकल अबॉर्ट मिशन-1 (TV-D1) नाम दिया गया। ये मिशन 8.8 मिनट का था। मिशन में 17 किलोमीटर ऊपर जाने के बाद सतीश धवन स्पेस सेंटर से 10 किमी दूर बंगाल की खाड़ी में क्रू मॉड्यूल को उतारा गया।

इसरो चीफ ने दी बधाई, बोले- बहुत खुशी हो रही

इसरो चीफ एस सोमनाथ ने कहा कि मुझे यह बताते हुए खुशी हो रही है कि टीवी-डीवी 1 (क्रू मॉड्यूल) मिशन का सफलतापूर्वक प्रक्षेपण किया गया है। उन्होंने इस सफलता के इसरो की पूरी टीम को बधाई दी। चंद्रयान-3 और सूर्य मिशन के बाद यह सबसे बड़ी उपलब्धि बताई जा रही है।

तीन हिस्से थे टेस्ट फ्लाइट में

टेस्ट फ्लाइट में तीन हिस्से थे, इनमेंअबॉर्ट मिशन के लिए बनाया सिंगल स्टेज लिक्विड रॉकेट, क्रू मॉड्यूल और क्रू एस्केप सिस्टम। विकास इंजन को मॉडिफाई कर ये रॉकेट बनाया गया था, वहीं क्रू मॉड्यूल के अंदर का वातावरण अभी वैसा नहीं था जैसा मैन्ड मिशन में होगा।

आज दो बार टाला गया था मिशन

इससे पहले दो बार मिशन को टाला गया था। इसे 8 बजे लॉन्च किया जाना था, लेकिन मौसम ठीक नहीं होने कारण इसका टाइम बदलकर 8.45 किया गया। फिर लॉन्चिंग से 5 सेकेंड पहले इंजन फायर नहीं हो पाए और मिशन टल गया। इसरो ने कुछ देर बाद गड़बड़ी ठीक कर ली और इसे लॉन्च कर दिया गया।

टेस्टिंग के दौरान कुछ देर के लिए आई परेशानी

- टेस्ट व्हीकल क्रू मॉड्यूल को ऊपर ले गया।

- जब रॉकेट साउंड की स्पीड से 1.2 गुना था तो अबॉर्ट जैसी स्थिति बन गई।

- लगभग 17 किमी की ऊंचाई पर क्रू मॉड्यूल और क्रू एस्केप सिस्टम अलग हो गए।

- क्रू मॉड्यूल को यहां से लगभग 2 किमी दूर ले जाया गया और श्रीहरिकोटा से 10 किमी दूर समुद्र में लैंड कराया गया।

क्यों किया गया यह टेस्ट?

इस मिशन में वैज्ञानिकों ने यह टेस्ट किया कि अबॉर्ट ट्रैजेक्टरी क्या ठीक तरह से काम किया। असल मिशन के दौरान रॉकेट में खराबी आने पर एस्ट्रोनॉट कैसे सुरक्षित रूप से लैंड करेंगे इसकी टेस्टिंग की गई। मिशन टेस्टिंग के लिए कुल चार टेस्ट फ्लाइट भेजी जानी हैं। TV-D1 के बाद TV-D2, D3 और D4 को भेजा जाएगा।

2024 में गगनयान मिशन का पहला अनमैन्ड

2024 की शुरुआत में गगनयान मिशन का पहला अनमैन्ड मिशन प्लान किया गया है। अनमैन्ड मिशन यानी इसमें किसी भी मानव को स्पेस में नहीं भेजा जाएगा। इसमें ह्यूमेनॉयड रोबोट व्योममित्र को भेजा जाएगा। अबॉर्ट टेस्ट का मतलब होता है कि अगर कोई दिक्कत हो तो एस्ट्रोनॉट के साथ ये मॉड्यूल उन्हें सुरक्षित नीचे ले आए। अनमैन्ड मिशन के सफल होने के बाद मैन्ड मिशन होगा, जिसमें इंसान स्पेस में जाएंगे। मैन्ड मिशन के लिए इसरो ने साल 2025 की टाइमलाइन तय की है।

ये है मिशन का लक्ष्य

गगनयान मिशन का लक्ष्य 2025 में तीन दिवसीय मिशन के तहत मनुष्यों को 400 किलोमीटर की ऊंचाई पर पृथ्वी की निचली कक्षा में भेजना और उन्हें सुरक्षित रूप से पृथ्वी पर वापस लाना है। क्रू मॉड्यूल के अंदर ही भारतीय अंतरिक्षयात्री यानी गगननॉट्स बैठकर धरती के चारों तरफ 400 किलोमीटर की ऊंचाई वाली निचली कक्षा में चक्कर लगाएंगे। इसरो अपने परीक्षण यान – प्रदर्शन (टीवी-डी1), एकल चरण तरल प्रणोदन रॉकेट के सफल प्रक्षेपण का प्रयास करेगा। इस क्रू मॉड्यूल के साथ परीक्षण यान मिशन समग्र गगनयान कार्यक्रम के लिए एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है।

समुद्र में लैंडिग, नौसेना खोजेगी

शनिवार को संपूर्ण परीक्षण उड़ान कार्यक्रम संक्षिप्त रहने की उम्मीद है क्योंकि ‘टेस्ट व्हीकल एबॉर्ट मिशन’ (टीवी-डी1) क्रू एस्केप सिस्टम (चालक बचाव प्रणाली) और क्रू मॉड्यूल को 17 किमी की ऊंचाई पर प्रक्षेपित किया, जो श्रीहरिकोटा से लगभग 10 किमी दूर समुद्र में सुरक्षित उतरा. बाद में बंगाल की खाड़ी से नौसेना द्वारा इन्हें खोज कर निकाला जाएगा। मॉड्यूल को समुद्र में स्प्लैश डाउन करते समय उसके पैराशूट खुल गए और इनकी लैंडिंग सुरक्षित तरीके से हुई।

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