NEET क्लीन नहीं है, खुद केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने इसे मान लिया है, लेकिन इसे कराने वाली एजेंसी NTA अभी तक बहानेबाजी और 24 लाख बच्चों के भविष्य से खिलवाड़ कर रही है।
इस एजेंसी के प्रमुख प्रोफेसर प्रदीप जोशी पर यह पहला दाग नहीं लगा है। उनकी पहली बड़ी नियुक्ति मप्र लोक सेवा आयोग चेयरमैन की नोटशीट ही राजनीतिक रही है। इसके बाद वह छत्तीसगढ़ पीएससी में भी गए, यूपीएससी और अब नीट में है। ( NTA head Pradeep Joshi )
सीएम के सचिव इकबाल सिंह बैंस के समय चली नोटशीट
प्रदीप जोशी मूल रूप से यूपी के हैं। उन्हें पहली बड़ी नियुक्ति साल 2006 में मप्र लोक सेवा आयोग के चेयरमैन पद पर मिली थी, यहीं से वह फिर आगे बढ़ते चले गए। यह नियुक्ति की नोटशीट तत्कालीन सीएम शिवराज सिंह चौहान के सचिव रहे इकबाल सिंह बैंस द्वारा चली थी। उन्हें पुलिस महानिरीक्षक कानून व्यवस्था व सुरक्षा एके सोनी द्वारा जोशी और शोभा पाटनकर दोनों की रिपोर्ट भेजी गई थी।
- इसमें जोशी को लेकर लिखा गया कि वह अभी रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय में पदस्थ है। इनका संबंध बीजेपी नेता मुरली मनोहर जोशी व पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी से भी होना ज्ञात हुआ है। उनका कोई आपराधिक रिकार्ड होना नहीं पाया गया है। इनका चरित्र व छवि अच्छी है।
(इसके साथ ही एक कागज पर लिखा हुआ फाइल में पता चला कि प्रदीप जोशी अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के अध्यक्ष रहे हैं, वर्तमान में रानी दुर्गावती यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर है) - वहीं इसी पत्र में शोभा पाटनकर के लिए लिखा गया कि वह इंदौर में रहती है और स्वामी दयानंद निजी स्कूल में अध्यापन का कार्य करती है। इनके खिलाफ कोई आपराधिक रिकार्ड नहीं है और चरित्र व छवि अच्छी है।
पीएससी में चेयरमैन कार्यकाल में हुआ बड़ा प्रोफेसर भर्ती घोटाला
पीएससी मप्र में उनका चेयरमैन कार्यकाल 2006 से 2011 तक रहा है। इस दौरान 2009 में सीधे प्रोफेसर के करीब 350 पदों के लिए हुई भर्ती में बड़ा खेल हुआ। इसमें अनुभव में खेल करते हुए मानकों से परे जाकर 54 प्रोफेसर नियुक्त कर दिए गए।
इसकी जांच तीन सदस्यीय शासकीय कमेटी ने की, जिसमें दो महिला प्रिंसीपल और एक बरकतउल्ला यूनिवर्सिटी के रजिस्ट्रार थे। इस कमेटी ने पाया कि यह नियुक्ति गलत हुई है और इसमें चयनित 54 के पास सही अनुभव सर्टिफिकेट नहीं है।
इसमें टॉप करने वाले पवन शर्मा के पास तो कोई अनुभव था ही नहीं और निजी सर्टिफिकेट थे। साथ ही चयन करने वाली विशेषज्ञ कमेटी लेक्चरार की बनी थी और वह प्रोफेसर को चुन रहे थे। तत्कालीन उच्च शिक्षा आयुक्तों ने भी गलत पाया। लेकिन मामला दबा दिया गया। यही इकलौती नियुक्ति नहीं बल्कि करीब आधा दर्जन भर्तियों में उन पर गंभीर आरोप लगे थे।
व्हिसल ब्लोअर ने उठाया था मुद्दा
मप्र पीएससी में व्हिसल ब्लोअर के तौर पर मुद्दे उठाने वाले पंकज प्रजापति ने बताया कि हमने संवादक्रांति के माध्यम से पूरा मुद्दा उठाया।
खुद जांच कमेटी में यह सामने आ गया, सीबीआई जांच और नियुक्ति रद्द करने की मांग की लेकिन कुछ नहीं हुआ। विवाद देख जोशी ने अपने राजनीतिक रसूख के बल पर यहां से निकलकर छत्तीसगढ़ पीएससी का पद संभाल लिया। आज तक वह नियुक्तियां रद्द नहीं की गई है, जबकि ऑन रिकार्ड इन्हें गलत पाया गया था।
यूपीएससी चेयरमैन रहते हुए स्पीकर बिरला की बेटी का मुद्दा उछला
छत्तीसगढ़ पीएससी के बाद वह यूपीएससी (संघ लोक सेवा आयोग) में पहुंचे थे। वहां पर साल 2021 में स्पीकर ओम बिरला की बेटी स्वाति के चयन होने पर भी बवाल हुआ था। इसमें उन्हें वेटिंग लिस्ट से अंतिम चयन सूची में शिफ्ट किया गया था। हालांकि बाद में स्पष्टीकरण दिया गया कि रिक्त पद बढ़ जाने के कारण उनकी वेटिंग क्लीयर हुई और चयनित हुई है।
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