Children's Day: कैसे हुई बाल दिवस की शुरुआत, क्या हैं बच्चों के अधिकार

दुनियाभर में अंतर्राष्ट्रीय बाल दिवस 20 नवंबर को मनाया जाता है। संयुक्त राष्ट्र ने 1954 में 20 नवंबर को बाल दिवस मनाने की घोषणा की थी। लेकिन भारत में इसे पंडित जवाहरलाल नेहरू की जयंती पर मनाने का निर्णय लिया गया

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Vikram Jain
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What is the importance and history of celebrating Children Day
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Children's Day 2024

आज बाल दिवस है, भारत में हर साल 14 नवंबर को बाल दिवस मनाया जाता है। बाल दिवस (Children's Day) देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू की जयंती पर मनाया जाता है। लेकिन आपको बता दें दुनियाभर में साल में दो बार बाल दिवस मनाया जाता है। पहला 14 नवंबर को भारत में और दूसरा 20 नवंबर को अंतर्राष्ट्रीय बाल दिवस मनाया जाता है।

बाल दिवस की शुरुआत बच्चों के अधिकारों, देखभाल और शिक्षा के प्रति जागरूकता बढ़ाने के उद्देश्य से की गई थी। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर, बाल दिवस (Universal Children's Day) की स्थापना 1954 में संयुक्त राष्ट्र ने की थी और इसे हर साल 20 नवंबर को मनाने का सुझाव दिया था। इस दिन को बच्चों के कल्याण को बढ़ावा देने और उनके अधिकारों की रक्षा के उद्देश्य से मनाया जाता है।

भारत में क्यों मनाया जाता है बाल दिवस?

भारत में बाल दिवस का महत्व विशेष है और इसे 14 नवंबर को मनाया जाता है। इसका कारण है कि इस दिन भारत के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू का जन्म हुआ था। नेहरू बच्चों से बहुत प्रेम करते थे, और वे मानते थे कि बच्चे देश का भविष्य हैं। उन्हें बच्चे "चाचा नेहरू" कहकर पुकारते थे। और उनकी खास देखभाल और भलाई के लिए वे हमेशा सक्रिय रहते थे। पंडित नेहरू के निधन के बाद, उनकी याद में उनके जन्मदिन को बाल दिवस के रूप में मनाने का निर्णय लिया गया ताकि उनके बच्चों के प्रति प्रेम और समाज को शिक्षित करने के प्रयासों को सम्मान दिया जा सके।

बाल दिवस का उद्देश्य बच्चों के अधिकारों के प्रति जागरूकता फैलाना, उनकी शिक्षा, स्वास्थ्य और कल्याण को सुनिश्चित करना है। इस दिन स्कूलों में विशेष कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं और बच्चों को विभिन्न गतिविधियों में शामिल कर उनके महत्व को उजागर किया जाता है।

यूएन में बच्चों के अधिकारों का घोषणा पत्र क्या है?

संयुक्त राष्ट्र ने बच्चों के अधिकारों के प्रति जागरूकता और सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए 20 नवंबर 1959 को बच्चों के अधिकारों का घोषणा पत्र (Declaration of the Rights of the Child) जारी किया था। यह घोषणा पत्र उन सिद्धांतों का एक सेट है, जो बच्चों की सुरक्षा, उनके अधिकारों की रक्षा और उनके सर्वांगीण विकास को सुनिश्चित करते हैं। इसके बाद, 1989 में, यूएन ने इसे और अधिक मजबूती से लागू करने के लिए बच्चों के अधिकारों पर संधि (Convention on the Rights of the Child - CRC) बनाई, जिसे कई देशों ने स्वीकार किया। घोषणा पत्र और संधि में बच्चों के अधिकारों की रक्षा के लिए कई महत्वपूर्ण सिद्धांत निर्धारित किए गए हैं।

महत्वपूर्ण सिद्धांतों का विवरण

1. जीवन और विकास का अधिकार (Right to Life and Development)

प्रत्येक बच्चे को जीवन का अधिकार है, और सरकारों का कर्तव्य है कि वे बच्चों की सुरक्षा और उनके उचित विकास की व्यवस्था करें। बच्चों को ऐसी सुविधाएं मिलें, जिनसे वे मानसिक, शारीरिक और सामाजिक रूप से विकसित हो सकें।

2. गैर-भेदभाव का अधिकार (Right to Non-discrimination)

किसी भी बच्चे के साथ जाति, रंग, लिंग, भाषा, धर्म, राजनीतिक या अन्य विचारों, राष्ट्रीय या सामाजिक उत्पत्ति, संपत्ति, जन्म या अन्य स्थिति के आधार पर भेदभाव नहीं होना चाहिए।
सभी बच्चों को समान अवसर मिलना चाहिए, चाहे उनकी सामाजिक या आर्थिक स्थिति कुछ भी हो।

3. नाम और राष्ट्रीयता का अधिकार (Right to Name and Nationality)

प्रत्येक बच्चे का जन्म के समय पंजीकरण होना चाहिए और उसे एक नाम और राष्ट्रीयता प्राप्त करने का अधिकार है। बच्चों को अपने परिवार का संरक्षण प्राप्त होना चाहिए और वे अपने सांस्कृतिक मूल को जान सकें।

4. स्वास्थ्य और कल्याण का अधिकार (Right to Health and Well-being)

बच्चों को चिकित्सा सहायता और स्वस्थ जीवन के लिए आवश्यक सेवाएं मिलनी चाहिए। इस सिद्धांत के अंतर्गत बच्चों के स्वास्थ्य, पोषण, और देखभाल की जिम्मेदारी समाज और सरकार दोनों पर है।

5. शिक्षा का अधिकार (Right to Education)

प्रत्येक बच्चे को शिक्षा प्राप्त करने का अधिकार है, जो मुफ्त और अनिवार्य प्राथमिक शिक्षा से शुरू होनी चाहिए। शिक्षा के माध्यम से बच्चों को उनके व्यक्तित्व, प्रतिभा और मानसिक क्षमताओं का पूर्ण विकास करने का अवसर मिलना चाहिए। यह भी सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि शिक्षा बच्चों के अधिकारों, स्वतंत्रता, और उनकी संस्कृति का सम्मान करे।

6. विशेष देखभाल का अधिकार (Right to Special Care and Protection)

अनाथ, विकलांग और सामाजिक दृष्टि से वंचित बच्चों को विशेष देखभाल और संरक्षण का अधिकार है। ऐसे बच्चों के लिए विशेष कार्यक्रम और सेवाएं सरकार और समाज द्वारा उपलब्ध कराई जानी चाहिए।

7. शोषण से सुरक्षा का अधिकार (Right to Protection from Exploitation)

बच्चों को किसी भी प्रकार के शोषण जैसे बाल श्रम, बाल यौन शोषण, और तस्करी से बचाने की जिम्मेदारी सरकार की है। बच्चों को किसी भी प्रकार के हानिकारक कार्यों में लगाए जाने से रोकने के लिए सख्त कानून बनाए जाने चाहिए।

8. सुरक्षा का अधिकार (Right to Protection during Armed Conflicts)

युद्ध या सशस्त्र संघर्ष के दौरान बच्चों को विशेष सुरक्षा और सहायता का अधिकार है।
यूएन के तहत यह सुनिश्चित किया जाता है कि बच्चों का उपयोग सैनिकों के रूप में न किया जाए और उन्हें युद्ध की भयावहता से बचाया जाए।

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