स्कूलों में अब सप्ताह में 29 घंटे ही होगी पढ़ाई, पढ़ाई के दबाव से उबरेंगे स्कूली बच्चे, परीक्षा का भी पैटर्न बदलेगा

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Chakresh
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स्कूलों में अब सप्ताह में 29 घंटे ही होगी पढ़ाई, पढ़ाई के दबाव से उबरेंगे स्कूली बच्चे, परीक्षा का भी पैटर्न बदलेगा

New Delhi अब जल्द ही परीक्षा के साथ पढ़ाई में भी स्कूली बच्चों को राहत मिलने वाली है। स्कूलों में नए पाठ्यक्रम के लागू होने के साथ परीक्षा ही नहीं, बल्कि पढ़ाई का पैटर्न भी बदलने वाला है। इससे  बच्चों को पढ़ाई के बेवजह के दबाव से राहत मिल सकेगी। नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) के तहत तैयार किए गए स्कूलों के लिए जो नया नेशनल करिकुलम फ्रेमवर्क (एनसीएफ) तैयार किया गया है, उसमें स्कूली शिक्षा के सभी स्तरों के लिए वैश्विक मानकों के आधार पर पढ़ाई के घंटे भी निर्धारित किए गए हैं। इसके तहत स्कूलों में अब सप्ताह में अब सिर्फ 29 घंटे ही पढ़ाई होगी। इसमें सोमवार से शुक्रवार तक पांच से साढ़े पांच घंटे की और महीने के दो शनिवार को कुछ घंटे की ही पढ़ाई होगी। दो शनिवार को छुट्टी रहेगी। बोर्ड परीक्षाएं भी साल में दो बार ही आयोजित कर सकेंगे।





कक्षाओं का समय निर्धारित, पढ़ाई के वक्त में खेल भी होंगे



स्कूलों में पढ़ाई के लिए प्रस्तावित इस नए शेड्यूल में बच्चों को प्रत्येक स्तर पर पढ़ाई के दबाव से राहत देने की कोशिश की गई है। नए एनसीएफ में प्रमुख विषयों की कक्षाओं को छोड़ दें तो प्रत्येक स्टेज पर कक्षाओं का समय अधिकतम 35 मिनट तक ही रखा है। प्रमुख विषयों से जुड़ी कक्षाओं के लिए प्रत्येक स्टेज के अनुसार 40 से 50 मिनट तक का समय निर्धारित किया है। इस दौरान पूरी पढ़ाई को रुचिकर और दबाव मुक्त बनाने के लिए स्कूलों में हर दिन खेल, प्रतिस्पर्धा और आर्ट जैसी गतिविधियां आयोजित होंगी, जो पढ़ाई के घंटों में ही आयोजित होगी। इस व्यवस्था में प्रत्येक कक्षा के बाद पांच मिनट का ब्रेक भी रखा गया है। एनसीएफ की प्रस्तावित योजना के तहत स्कूली शिक्षा का कक्षा 3 से 12वीं तक नया पाठ्यक्रम भी अगले साल तक तैयार हो जाएगा। इसके साथ ही अगले शैक्षणिक सत्र से इस पर अमल भी शुरू हो जाएगा। 





अब लंच के लिए बच्चों को मिलेगा घंटेभर का समय



इन गतिविधियों के लिए औसतन हर दिन होने वाली पढ़ाई के घंटे में से आधा समय दिया जाएगा। स्कूल समय में ही बच्चों को ब्रेकफास्ट और लंच के लिए भी करीब घंटेभर का समय तय निर्धारित किया गया है। 





क्यों उठाना पड़ा यह कदम?



एनसीएफ के तहत स्कूलों में पढ़ाई के घंटे निर्धारित करने के पीछे अहम वजह भी सामने आई है। अभी तक स्कूलों का कुछ ऐसा व्यस्त शेड्यूल देखने को मिल रहा था, जिसमें बच्चों को स्कूलों में दाखिल होने के बाद पूरे समय पढ़ाई में ही डूबे रहना होता है, लेकिन अब वह इस नई व्यवस्था के बाद दबाव मुक्त होकर पढ़ सकेंगे। 





साल में 10 दिन बिना बैग के स्कूल जा सकेंगे विद्यार्थी 



एनसीएफ ने स्कूली बच्चों को पढ़ाई से बोझ से राहत सिर्फ यहीं तक नहीं दी है बल्कि साल में उनके लिए दस दिन ऐसे तय कर दिए हैं, जिसमें उन्हें बगैर बस्ते के स्कूल आना होगा। इन दौरान बच्चों को मौखिक और प्रयोगों के माध्यम से पढ़ाया जाएगा। इस दौरान साल में स्कूलों में सिर्फ 180 दिन ही कक्षाएं लगेंगी। 





220 खुलते हैं स्कूल, पढ़ाई सिर्फ 180 घंटे



एनसीएफ के तहत साल में वैसे भी राष्ट्रीय अवकाश सहित ग्रीष्म व शीतकालीन छुट्टियां आदि के चलते स्कूल 220 दिन ही खुलते हैं। इनमें से 20 दिन परीक्षाओं और 20 दिन स्कूलों में संचालित होने वाली अलग-अलग गतिविधियों में चले जाते है। ऐसे में पढ़ाई सिर्फ 180 घंटे ही होती है। इसके आधार पर पढ़ाई की पूरा शेड्यूल निर्धारित किया है। 





फाउंडेशन स्टेज : सिर्फ खेल और कहानी की लगेगी क्लास



एनसीएफ में वैसे तो स्कूली शिक्षा के प्रत्येक स्तर (फाउंडेशन, प्रिप्रेटरी, मिडिल और सेकंडरी ) पर पढ़ाई का एक शेड्यूल तय किया गया है, लेकिन फाउंडेशन स्टेज का शेड्यूल सबसे रोचक है। इसमें बच्चों की कक्षाएं सिर्फ कहानी, विचारों के आदान-प्रदान और खेल आधारित ही होगी। इस दौरान उन्हें एक फ्री टाइम भी दिया जाएगा, जिनमें उन्हें स्वतंत्र छोड़ दिया जाएगा, वह जो मन में आए कर सकेंगे



 



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