बीजेपी नेता पूर्णेश मोदी पहुंचे सुप्रीम कोर्ट, राहुल गांधी की अपील खारिज करने की उठाई मांग

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Pratibha Rana
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बीजेपी नेता पूर्णेश मोदी पहुंचे सुप्रीम कोर्ट, राहुल गांधी की अपील खारिज करने की उठाई मांग

New Delhi. मोदी सरनेम मानहानि मामले में कांग्रेस नेता राहुल गांधी की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। गुजरात कोर्ट से राहत नहीं मिलने के बाद सुप्रीम कोर्ट से आस लगाए बैठे राहुल की परेशानी अब और बढ़ सकती हैं। सोमवार (31 अगस्त) को बीजेपी नेता और गुजरात के पूर्व मंत्री पूर्णेश मोदी सुप्रीम कोर्ट पहुंचे। उन्होंने शीर्ष अदालत से राहुल गांधी की अपील को खारिज करने की मांग उठाई की। उन्होंने दलील देकर कहा है कि राहुल गांधी ने मोदी सरनेम वाले सभी लोगों, खासकर गुजरात की 'मोध वणिक' जाति के लोगों को बदनाम किया है। राहुल गांधी का रवैया अहंकारी वृत्ति नाराज समुदाय के प्रति असंवेदनशीलता और कानून के प्रति अवमानना को भी दर्शाता है। राहुल की दोषसिद्धि पर रोक लगाने का कोई आधार नहीं है। ऐसे में राहुल की अपील खारिज की जाए। 



कौन है पूर्णेश मोदी 



पूर्णेश मोदी ने 2019 में राहुल गांधी के खिलाफ आपराधिक मानहानि का मुकदमा दाखिल किया था। इसमें उन्होंने आरोप लगाया था कि राहुल ने 13 अप्रैल, 2019 को कर्नाटक के कोलार में एक चुनावी जनसभा को संबोधित करते हुए कहा था कि सभी चोरों के सरनेम मोदी क्यों हैं? 



पुर्णेश का 21 पेज का जवाब : राहुल स्वीकार चुके हैं मानहानि की बात 



राहुल की अपील के बाद अपने लिखित जवाब में शीर्ष अदालत में पुर्णेश मोदी ने कहा कि यह एक स्थापित कानून है कि असाधारण कारणों से दुर्लभतम मामलों में सजा पर रोक लगा दी जाती है। याचिकाकर्ता (राहुल) का मामला स्पष्ट रूप से उस श्रेणी में नहीं आता है। वकील पीएस सुधीर के माध्यम से दायर किए गए अपने 21 पेज के जवाब में पुर्णेश ने कहा कि जिरह के दौरान कांग्रेस नेता राहुल गांधी न केवल अभियोजन पक्ष के मामले में कोई प्रभाव डालने में विफल रहे, बल्कि व्यावहारिक रूप से मोदी सरनेम वाले लोगों की मानहानि की बात भी स्वीकार की है। 



राहुल की अहंकारी वृत्ति नाराज समुदाय के प्रति दर्शाता है असंवेदनशीलता 



अपने जवाब में पूर्णेश ने कहा कि राहुल गांधी का रवैया उन्हें सजा पर रोक के रूप में किसी भी राहत से वंचित करता है। यह अहंकारी वृत्ति नाराज समुदाय के प्रति असंवेदनशीलता और कानून के प्रति अवमानना को भी दर्शाता है। राहुल गांधी की दोषसिद्धि ट्रायल कोर्ट के समक्ष पेश किए गए सबूतों पर आधारित है। राहुल की दोषसिद्धि पर रोक लगाने का कोई आधार नहीं है। मालूम हो कि शीर्ष अदालत 4 अगस्त को गुजरात उच्च न्यायालय के 7 जुलाई के फैसले को चुनौती देने वाली राहुल गांधी की अपील पर सुनवाई करने वाली है। इसमें कोर्ट ने राहुल की सजा पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था।



राहुल ने सोच-विचार करके दुर्भावना से दिया था बयान  



पूर्णेश मोदी ने अपनी दलील में कहा है कि राहुल गांधी ने दुर्भावनापूर्ण और लापरवाही से एक बड़े और पूरी तरह से निर्दोष वर्ग के खिलाफ अपमानजनक शब्दों का इस्तेमाल किया है, जबकि इस समुदाय के लोगों ने कांग्रेस नेता को कभी कोई नुकसान नहीं पहुंचाया। राहुल का बयान प्रधानमंत्री के प्रति व्यक्तिगत घृणा के कारण दिया गया है। इस नफरत की सीमा इतनी ज्यादा थी कि याचिकाकर्ता ने उन लोगों पर घोर मानहानिकारक आक्षेप लगाए, जिनका सरनेम संयोग से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलता है। राहुल गांधी ने सोच-विचार करके दुर्भावना से उक्त बयान दिया था। 



राहुल किसी भी सहानुभूति के पात्र नहीं 



पूर्णेश मोदी ने सर्वोच्च अदालत से यह भी गुजारिश की है कि सजा के सवाल पर याचिकाकर्ता (राहुल गांधी) किसी सहानुभूति के पात्र नहीं हैं। अपराध के समय राहुल एक राष्ट्रीय स्तर की राजनीतिक पार्टी के अध्यक्ष और सांसद थे। राहुल को चाहिए कि वह देश में राजनीतिक विमर्श के उच्च मानक स्थापित करें। भले ही वह पीएम मोदी के खिलाफ अपमानजनक भाषा का इस्तेमाल करना चाहते हों फिर भी पूरे समुदाय के लोगों को चोर बताने की कोई वजह नजर नहीं आती। 



केस में अब तक क्या हुआ?  चार महीने, चार फैसले और चार झटके... 




  • कर्नाटक के कोलार में 13 अप्रैल 2019 को चुनावी रैली में राहुल गांधी ने कहा था, ''नीरव मोदी, ललित मोदी, नरेंद्र मोदी का सरनेम कॉमन क्यों है? सभी चोरों का सरनेम मोदी क्यों होता है''। 


  • राहुल के बयान को लेकर बीजेपी विधायक और पूर्व मंत्री पूर्णेश मोदी ने उनके खिलाफ धारा 499, 500 के तहत आपराधिक मानहानि का केस दर्ज कराया था। पूर्णेश ने आरोप लगाया था कि राहुल ने 2019 में चुनावी रैली को संबोधित करते हुए पूरे मोदी समुदाय को कथित रूप से यह कहकर बदनाम किया कि सभी चोरों का सरनेम मोदी क्यों होता है?

  • राहुल के खिलाफ मानहानि के मामले में चार साल बाद 23 मार्च को सूरत की निचली अदालत ने राहुल को दोषी करार देते हुए दो साल की सजा सुनाई। 

  • राहुल को कोर्ट से दोषी ठहराने जाने के बाद लोकसभा सचिवालय की ओर से उनकी संसद सदस्यता रद्द कर दी गई थी। 

  • निचली अदालत के फैसले के खिलाफ राहुल ने सूरत सेशन कोर्ट का रुख किया था। सेशन कोर्ट ने राहुल की याचिका खारिज कर दी। 

  •  निचली अदालत के फैसले पर रोक लगाने की मांग को लेकर राहुल ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया। हालांकि, हाईकोर्ट ने मई में राहुल को अंतरिम राहत देने से इनकार कर दिया। बाद में कोर्ट ने दो साल की सजा पर रोक लगाने से इनकार करते हुए राहुल गांधी की याचिका को खारिज कर दिया।

  • राहुल गांधी ने दो साल की सजा पर रोक लगाने के लिए सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर की, जिसे कोर्ट ने स्वीकार कर लिया। मामला अभी सुप्रीम कोर्ट में है।

     


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