न्यू इयर रेजोल्यूशन : आपका वर्ल्ड बदल देंगे ये वर्ड

कुछ ही दिनों में साल 2024 सबको अलविदा कहकर नए साल 2025 का स्वागत करता हुआ नजर आने वाला है। नए साल में हमें क्या करना चाहिए और क्या नहीं। क्या आपको मालूम है, साल 2024 के वर्ड ऑफ द इयर कौन से हैं ?

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Anand Pandey
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New Year Resolution These words will change your world

New Year Resolution These words will change your world Photograph: (the sootr)

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नए साल का क्या रेजोल्यूशन है? अब अगले एक सप्ताह…ये खूब सुनने को मिलने वाला है। और हो भी क्यों नहीं… आखिर नया साल एक मौका होता है- नई शुरुआत करने का। हालांकि रेजोल्यूशन लेना बहुत ही निजी मामला होता है। बेहद पर्सनल। लेकिन फिर भी हमारे आस- पास जो घट रहा है, उसको देखकर... उसको समझकर और उससे सीख लेकर भी हम तय कर सकते हैं कि, नए साल में हमें क्या करना चाहिए और क्या नहीं। क्या आपको मालूम है, साल 2024 के  कौन से हैं ? ऑक्सफोर्ड डिक्शनरी ने ब्रेन रॉट ( Brain rot ) और कैम्ब्रिज डिक्शनरी ने मेनिफेस्ट ( Manifest ) को वर्ड ऑफ द इयर चुना है। वहीं कोलिन्स डिक्शनरी ने ब्रेट ( Brat ) को वर्ड ऑफ द इयर माना है।

वर्ड ऑफ द इयर उन शब्दों को चुना जाता है जो बीते साल में बहुत ज्यादा चर्चा में रहे और गूगल पर बार-बार सर्च किए गए। इसका मतलब ये तीनों ही शब्द पूरे साल बहुत ज्यादा खोजे भी गए हैं और आम-ओ-खास के बीच चर्चा का विषय भी रहे। ये हम सबकी रोजमर्रा की जिंदगी से जुडे़ हुए तो हैं हीं।

तो अब सबसे पहले बात कर लेते हैं- ब्रेन रॉट की। बिना भाषा विशेषज्ञ बने हम साधारण बोलचाल में बात करें तो इसका सीधा-सपाट मतलब होता है- दिमागी सड़न …ऐसी सड़न, जो ज्यादा ऑनलाइन कंटेंट देखने की वजह से पैदा हुई है। तो क्या वाकई ज्यादा कंटेंट दिमागी सड़न पैदा कर रहा है। बिल्कुल…इस बात की तस्दीक भी हो चुकी है। एक स्टडी के मुताबिक पूरी दुनिया में सिर्फ एक मिनट में लगभग पांच सौ घंटे का वीडियो कंटेंट सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर अपलोड किया जा रहा है। यानी आप अगर सिर्फ एक मिनट के पूरे कंटेंट को ही देखना चाहें तो आपको तकरीबन 20 दिन लग जाएंगे। और वो भी तब, जब आप लगातार 24 घंटे कंटेंट ही देखते रहें।

तो ऑनलाइन कंटेंट में अधिकता की समस्या यानी प्रॉब्लम ऑफ प्लेंटी तो है ही, साथ में एक और बड़ी खराबी भी है। और वो ये कि हम और आप ज्यादातर बार ऑनलाइन कंटेंट बाय च्वाईस नहीं, बल्कि बाय चांस देखते हैं। उन दिनों को याद कीजिए जब हम कंटेंट के लिए अखबारों या पत्र-पत्रिकाओं पर आश्रित हुआ करते थे। तब कौन सा अखबार पढ़ना है या कौन सी मैगजीन खरीदनी है… या मैगजीन में क्या सबसे पहले पढ़ना है और क्या सबसे बाद में और क्या है जो पढ़ना ही नहीं है… ये सब हम अपनी पसंद से करते थे… यानी बाय च्वाईस। लेकिन ऑनलाइन कंटेंट में आमतौर पर ऐसा कुछ भी नहीं है।

हां, ये बात सही है कि गूगल आपकी पसंद को समझकर ही आपके सामने कंटेंट परोसता है, लेकिन फिर भी हमेशा ही ऐसा हो जरूरी नहीं। हम में से ज्यादातर लोग तो मोबाइल की स्क्रीन पर उंगलिया घुमाते रहते हैं और सामने जो आ जाता है उसे ही देख लेते हैं। वैसे भी गूगल आपकी जरूरत नहीं, बल्कि आपकी पसंद के मुताबिक कंटेंट परोसता है। ये कतई जरूरी नहीं कि जो आपकी पसंद हो वो आपके लिए अच्छी या जरूरी भी हो। इसीलिए अब डिजिटल फास्टिंग… डिजिटल डिटॉक्स या डिजिटल सब्बाथ की बात भी जमकर होने लगी है। इन सबका एक ही मतलब है- एक निश्चित समय तक ऑनलाइन कंटेंट से दूरी बनाकर रखना।  यानी जैसे शरीर के लिए कई दफा खाने से दूरी बनाकर उपवास रखा जाता है, वैसे ही कंटेंट का उपवास। तो क्या हम नए साल में ब्रेन रॉट से बचने का संकल्प ले सकते हैं। यकीन मानिए, अगर आप ऐसा कर पाए तो दुनिया के 99 फीसदी निकम्मे लोगों से शर्तिया तौर पर सिर्फ एक साल में ही बहुत आगे हो जाएंगे।

दूसरा वर्ड ऑफ द इयर है - मेनिफेस्ट। यूं तो मेनिफेस्ट का अर्थ होता है- घोषणा करना… व्यक्त करना या प्रदर्शित करना। इस साल इस शब्द को अध्यात्म... दर्शन और सेल्फ हेल्प कम्युनिटी की वजह से वर्ड ऑफ द इयर माना गया है। सैकड़ों बरस पुराना विश्वास है कि अगर आप किसी लक्ष्य को हासिल करना चाहते हैं तो पहले दिमाग में उसकी छवि बनाइए… कल्पना कीजिए कि आपने वो लक्ष्य हासिल कर लिया है या करने वाले हैं। कोई रेस जीतना चाहते हैं तो दिमाग में एक पोडियम बनाकर अपने आपको उस पर खड़ा करिए… कल्पना कीजिए कि आपके गले में मेडल डाला जा रहा है। बस यही मेनिफेस्ट है। वैसे भी हमारा दर्शन कहता है कि हम लगातार प्रकृति को सिग्नल्स भेजते हैं और उन सिग्नल्स को रिसीव करके ही प्रकृति हमें हमारी जरूरत के मुताबिक साधन- संसाधन मुहैया करवाती है। इसीलिए हमारे वेद- पुराणों में विचारों की शुद्धता यानी प्योरिटी ऑफ थॉट्स पर बहुत ज्यादा जोर दिया गया है। हमने हमेशा ही अपने बडे़- बुजुर्गों को कहते सुना है कि जैसा सोचोगे- वैसा मिलेगा… इसलिए हमेशा अच्छा और पॉजीटिव सोचो। तो क्या हम दूसरा संकल्प ये भी ले सकते हैं- हालात चाहें जैसे हों… हम हमेशा पॉजीटिव ही सोचेंगे।

नए साल का एक और शब्द है… वर्ड ऑफ द इयर- ब्रेट..। वैसे तो ब्रेट.. चार्ली एक्स सी एक्स के एक एलबम का नाम है, लेकिन कोलिन्स डिक्शनरी ने इसे नए तरह से डिफाइन किया है। नई डेफीनेशन के मुताबिक ब्रेट का अर्थ है- आत्मविश्वासी… आजाद और सुखी रवैये वाला। क्या नए साल में हम अपने आप से वादा कर सकते हैं कि… इस साल मैं आत्मविश्वास से सराबोर रहूंगा.। लोग क्या कहेंगे… इन बेड़ियों को तोड़कर आजाद रहूंगा और हर हाल में खुशी खोजकर...सुखी रवैये वाला बनू्ंगा।  शानदार जिंदगी के लिए ये तीनों ही वर्ड ऑफ द इयर, हम इस दफा अपने रिज्योलूशन में शामिल कर सकते हैं। क्योंकि हमारी सारी कामयाबियां… सारी उपलब्धियां… सारी सफलताएं और असफलताएं… इन्ही तीनों शब्दों के इर्द-गिर्द घूमती दिखाई पड़ती हैं। 
तथास्तु...।

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