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डिजिटल युग में सोशल मीडिया पर डीपफेक वीडियो और तस्वीरें एक बड़ी समस्या बनकर उभरी हैं। सरकार इस पर लगाम लगाने के लिए प्रयास कर रही है। सेलिब्रिटी से लेकर राजनेता तक कई बड़े लोग डीफेक बनाने वालों के निशाने पर आ चुके हैं। 8 जुलाई को केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण का एक वीडियो क्लिप वायरल हुआ जिसमें वह कथित तौर पर मीडिया को संबोधित करते हुए और जीएसटी को गोपनीय सूचना टैक्स बताते हुए दिखाई दे रही हैं।
द सूत्र ने जब पड़ताल की पता चला कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण का ये वीडियो डीपफेक है। यानी वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण डीप फेक का शिकार हो गईं थी। इसका ओरिजनल वीडियो डिजिटल क्रिएटर गरिमा ने बनाया था। जिसमें उन्होंने व्यंगात्मक तरीके से जीएसटी पर निर्मला सीतारमण की मिमिक्री की थी, लेकिन अब ओरिजनल वीडियो में गरिमा खुद दिखाई भी दे रही हैं।
जो वीडियो वायरल हो रहा है उसमें गरिमा की जगह वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण का चेहरा लगा दिया गया है। यानी निर्मला सीतारमण का चेहरा सुपरइंपोज किया गया है। सुपरइंपोज का मतलब होता है, एक चीज को दूसरी चीज के ऊपर रखना। गरिमा ने वीडियो 8 जुलाई को अपलोड किया गया था। इसी वीडियो में से 2 मिनट 17 सेंकड की क्लिप एडिट करके वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण का चेहरा लगाया गया। और इसे शेयर कर दिया, यानी वित्त मंत्री निर्मला सीतारण ने ऐसा कोई बयान नहीं दिया है।
डीपफेक वीडियो को सॉफ्टवेयर की मदद से बनाया जाता है। इसमें एआई टूल की मदद ली जाती है। जैसा कि मालूम है कि इन दिनों मार्केट में मशीन लर्निंग और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस टूल का इस्तेमाल बढ़ गया है। इस तकनीक में किसी के बोलने के लहजे और उसकी आवाज को मशीन लर्निंग की मदद से कैप्चर किया जाता है, उसके बाद सॉफ्टवेटर की मदद से लिप्सिंग कराई जाती है। साधारण शब्दों में समझें, तो जिस तरह से हम फोटो कॉपी करते हैं, उसी तरह डीपफेक टेक्नोलॉजी चलते-फिरते और बोलते लोगों को कॉपी कर लेता है। इसमें फेस स्वैपिंग करके उसके हावभाव को बदला जा सकता है। फेस स्वैपिंग के अलावा लिप-सिंकिंग की जाती है।
भारत सरकार ने इस तरह की गलत जानकारी के लिए सजा और फाइन का प्रावधान किया है। इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 की धारा 66D, जो कंप्यूटर संसाधन का इसका उपयोग करके धोखाधड़ी के लिए सजा से संबंधित है। संचार उपकरणों या कंप्यूटर संसाधनों का उपयोग करके नकल करते हैं तो दोषी पाए जाने वाले व्यक्ति को 3 साल तक की कैद और 1 लाख रुपए का जुर्माना हो सकता है।